छुपे रुस्तम आइएएस अफसरों पर शिकंजा संपत्ति नहीं बताई तो वेतन पर लगाम

सख्ती ऐसी: 2011 से अब तक की प्रॉपर्टी बताना अनिवार्य, वरना वेतन-मेट्रिक्स में अपग्रेडशन नहीं…
छुपे रुस्तम आइएएस अफसरों पर शिकंजा संपत्ति नहीं बताई तो वेतन पर लगाम…
26 आइएएस ने 2022 में नई प्रॉपर्टी खरीदी। 76 आइएएस ने प्रॉपर्टी में कुछ न होना बताया। 06 आइएएस ने उलटे प्रॉपर्टी घटना बताया है…

भोपाल. प्रदेश में सरकार से प्रॉपर्टी छुपाने वाले आइएएस अफसरों पर शिकंजा कस दिया गया है। बीते 11 वर्षों में कभी भी यदि किसी आइएएस अफसर ने किसी साल अपनी प्रॉपर्टी की जानकारी सरकार को नहीं दी है तो उसे अब देनी होगी। फिर भी यदि कोई अफसर संपत्ति की जानकारी नहीं देता है तो उसे अगली वेतनवृद्धि नहीं मिलेगी। इसलिए इन छुपे रुस्तम आइएएस अफसरों की खोजबीन शुरू कर दी गई है। प्रदेश में ऐसे 6 से ज्यादा अधिकारी हैं, जिन्होंने बीते वर्षों में प्रॉपर्टी की जानकारी नहीं दी या देने में चूक गए। इसमें इस साल भी दो अफसर ऐसे हैं, जिन्होंने प्रॉपर्टी नहीं बताई है।

दरअसल, प्रदेश में प्रॉपर्टी छुपाने वाले आइएएस अफसरों की खोजबीन केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस से जानकारी मांगने के बाद होने लगी है। मंत्रालय ने 28 जून को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर ऐसे अफसरों को संपत्ति की जानकारी बताने का एक और मौका देने के लिए कहा था। इसके बाद मुख्य सचिव ने जीएडी-कार्मिक को चिट्ठी लिखकर जानकारी दी। इसके बाद जीएडी-कार्मिक ने खोजबीन शुरू कर दी है। इस दायरे में आधा दर्जन से ज्यादा आइएएस आ रहे हैं। इनमें इस साल प्रॉपर्टी न बताने वाले संतोष वर्मा और रानी बंसल भी शामिल हैं।

मध्यप्रदेश: कब कितने आइएएस ने दिया ब्यौरा

वर्ष आइएएस

2011 127

2012 136

2013 155

2014 176

2015 185

2016 200

2017 233

2018 275

2019 302

2020 316

2021 351

2022 343

प्रदेश में 343 अफसरों की जानकारी मौजूद

प्रदेश में 343 आइएएस अफसरों की प्रॉपर्टीं डिटेल सरकार के पास है। सूबे में करीब 400 आइएएस के पद हैं। दो आइएएस ने डिटेल नहीं दी है, जबकि बाकी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। देश में 567 आइएएस अफसरों ने 2018 से 2021 के दौरान प्रॉपर्टी का ब्यौरा नहीं दिया। इनमें 2018 में 135, 2019 में 128, 2020 में 146 और 2021 में 158 ने प्रॉपर्टी नहीं बताई। इसकी रिपोर्ट संसदीय स्थाई समिति ने दी थी। इसके बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के स्तर पर ऐसे आइएएस पर शिकंजा कसने का रास्ता ढूंढना शुरू किया गया। इसके बाद यह नियम लाए हैं।

एक नजर में दास्तां: कहां से शुरू हुआ मामला, अब क्या

2021 में संसदीय कमेटी ने रिपोर्ट दी कि देश में 567 आइएएस ने प्रॉपटी नहीं बताई।

दिसंबर 2021 में डीओपीटी ने प्रॉपर्टी छुपाने वालों को वेतन मेट्रिक्स में आगे नहीं बढ़ाने के नियम लागू किए।

अप्रेल 2022 में केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने इन नियमों को पूरे देश में लागू करने के लिए पत्र लिखा।

जून 2022 में मध्यप्रदेश सहित अन्य मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर प्रॉपर्टी बताने के लिए एक मौका देना तय किया।

15 जुलाई से 14 सितंबर तक 11 सालों में जो प्रॉपर्टी नहीं बताई, उसका ब्यौरा देने का मौका आइएएस को मिला।

एक्सपर्ट व्यू

आइएएस, आइपीएस या आइएफएस की प्रॉपर्टी की जांच कराना खर्चीला और अनुपयोगी काम है। यह हो सकता है कि संदिग्ध अफसर की जांच हो। हर साल रेंडम 2-5 प्रतिशत की जांच की व्यवस्था कर सकते हैं। संदिग्ध की जांच की व्यवस्था को जरूर शुरू व मजबूत करना चाहिए। –एससी बेहार, पूर्व सीएस, मप्र

जांच का सिस्टम नहीं: आइएएस जो ब्यौरा देते हैं, उनकी जांच का फुल प्रूफ सिस्टम नहीं है। जो ब्यौरा दिया जाता है, उनमें प्रॉपर्टी की वास्तविक कीमत और ब्यौरे में दिए मूल्य में अंतर रहता है। सिर्फ जीएडी की कार्मिक शाखा परीक्षण करती है। इसमें भी अलग से कोई विंग नहीं है।

 

 

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