उम्र के बराबर बस्ते का बोझ बच्चों की कमर में दर्द, झुकने लगे कंधे

प्राथमिक स्कूलों का हाल: बच्चों के बस्ते का भार 10 से 12 किलो तक …
उम्र के बराबर बस्ते का बोझ बच्चों की कमर में दर्द, झुकने लगे कंधे…
भोपाल. राजधानी के नामचीन स्कूल में 5वीं में पढ़नेे वाली 10 साल की छात्रा कई दिन से कमर दर्द से परेशान थी। तीन दिन पहले उसे असहनीय दर्द हुई। हड्डी रोग विशेषज्ञ ने एक्स-रे कराया। एमआरआइ की गई। इनकी रिपोर्ट में पता चला कि कमर के पास की रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो गई है, जिससे नसों पर दबाव पड़ रहा है। सर्जरी की सलाह दी गई। डॉक्टरों ने बताया कि झटके से भारी स्कूल बैग उठाने के कारण रीढ़ की हड्डी पर जोर आने से यह स्थिति हुई। यह तो एक उदाहरण है, जिसमें स्थिति इतनी गंभीर हो गई। सामान्य तौर पर भी भारी स्कूल बैग के कारण बच्चों के कंधे, रीढ़ की हड्डी, कमर और घुटनों में दर्द की शिकायतें मिल रही हैं। इन दिनों जिला अस्पताल से लेकर मेडिकल कॉलेजों में हर दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों का तर्क है कि सामान्य व्यक्ति अपने वजन का 60 फीसदी अतिरिक्त भार उठा सकता है।
क्या कहता है नियम

स्कूल बैग पॉलिसी-2020 के मुताबिक किसी भी कक्षा के बज्चे के बैग का वजन 5 किलो से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके उलट छठवीं और सातवीं कक्षा के बज्चे ही 10 से 12 किलो तक का भारी बैग ढो रहे हैं।

 

 

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