SC के जज बोले- हमें सांस लेने दो …?

केस में देरी की खबर पर जस्टिस चंद्रचूड़ खफा, कहा- कोरोना हो गया था इसलिए नहीं की सुनवाई….

सुप्रीम कोर्ट के जज एक याचिका की लिस्टिंग को लेकर नाराज हो गए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने यहां तक कहा कि मैंने हाल ही में एक न्यूज आर्टिकल पढ़ा, जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई में देरी कर रहा है। हमें भी तो एक ब्रेक दें! आप जजों को कितना टारगेट कर सकते हैं। इसकी भी एक सीमा है।

दरअसल गुरुवार को ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा को उजागर करने वाली याचिका बेंच के सामने आई। जिसकी तत्काल सुनवाई के लिए वकील ने अपील रखी। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने प्रतिक्रिया दी।

कोरोना के कारण सुनवाई टल गई थी
मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होनी थी, बाद में इसे 15 जुलाई को लिस्टेड किया गया, लेकिन तब भी इसकी सुनवाई नहीं हो सकी। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ बोले- मुझे कोरोना हुआ था, इसलिए इस मामले की लिस्टिंग नहीं की जा सकी, लेकिन ऐसी खबरें कौन पब्लिश कर रहा है? बेंच में जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल थे। हालांकि, बाद में मामले को सुनवाई के लिए लिस्टेड करते हुए बेंच ने कहा, ठीक है, इसे लिस्ट में लें नहीं तो कोई और खबर छप जाएगी।

ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा का माामला
सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें देशभर के कई राज्यों में ईसाई समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा और मॉब लिंचिंग को रोकने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

याचिका सीनियर एडवोकेट डॉ. कॉलिन गोंजाल्विस और बंगलोर कैथोलिक चर्च के आर्कबिशप डॉ. पीटर मचाडो ने नेशनल सॉलिडेरिटी फोरम, द इवेंजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया की तरफ से दायर की थी। इसमें कहा गया था कि हर महीने देश भर में ईसाई संस्थानों और पुजारियों पर औसतन 45 से 50 हिंसक हमले होते हैं।

जून और जुलाई में इसकी सुनवाई नहीं होने पर मीडिया में यह खबर आई कि सुप्रीम कोर्ट ईसाई-विरोधी हिंसा याचिका की सुनवाई में देरी कर रहा है। इसी खबर को देखकर जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकील को फटकार लगा दी।

4 साल पहले ही निर्देश दे चुका है सुप्रीम कोर्ट
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे। इनमें फास्ट-ट्रैक ट्रायल, पीड़ित को मुआवजा, सजा और कानून लागू करने में ढील देने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शामिल थी। अदालत ने कहा था कि हेट क्राइम, गोरक्षा और लिंचिंग की घटनाओं जैसे अपराधों को जल्द से जल्द खत्म किया जाना चाहिए।

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