आरोपों के बीच दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला, छह महीने तक लागू रहेगी पुरानी आबकारी नीति

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि सोमवार से दिल्ली में पुरानी आबकारी नीति लागू होगी। यह छह महीने तक लागू रहेगी …

उपराज्यपाल द्वारा सीबीआई जांच के आदेश के बाद तमाम आरोपों का सामना कर रही दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। शनिवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि सोमवार से दिल्ली में पुरानी आबकारी नीति लागू होगी। यह छह महीने तक लागू रहेगी।

नई आबकारी नीति (new excise policy) में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद दिल्ली सरकार बैकफुट पर आ गई है। मनीष सिसोदिया  ने कहा कि नई आबकारी नीति वापस होगी। नई नीति तैयार होने तक पुरानी नीति के तहत ही शराब की बिक्री की जाएगी।

इसकी घोषणा करते हुए सिसोदिया ने कहा कि हमने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए नई आबकारी नीति लागू की थी। इसके पहले 850 शराब की दुकानों से सरकार को 6000 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति होती थी। लेकिन नई आबकारी नीति लागू होने के बाद हमारी सरकार को उतनी ही दुकानों से 9000 करोड़ रुपये से भी अधिक राजस्व मिलता।

क्या है नई आबकारी नीति में

  • निगमों से शराब की बिक्री वापस लेकर पूर्णत: निजी हाथों में सौंप दी गई
  • शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष की गई
  • दुकान को कम से कम 500 वर्ग मीटर, सीसीटीवी से लैस करने के निर्देश
  • तीन दिन ही ड्राई डे यानी दुकानें साल में 3 दिन बंद करने की अनुमति थी
  • पिंक बूथ खोलने की अनुमति दी गई थी ताकि महिलाएं शराब का सेवन कर सकें
  • रेस्तरां व बार को शराब बिक्री केंद्र से ही शराब खरीदने की अनुमति
  • शराब बिक्री केंद्र को एमआरपी पर छूट देने की अनुमति थी
  • बार, क्लब्स और रेस्तरां को रात 3 बजे तक दुकान खोलने की छूट थी

राज्यपाल दे चुके हैं जांच का आदेश
एलजी विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। केजरीवाल सरकार पर नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप है। आरोप है कि नई आबकारी नीति में नियमों की अनदेखी करते हुए शराब की दुकानों के टेंडर दिए गए।

एलजी ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट के बाद सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। इसी महीने की शुरुआत में तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार केजरीवाल सरकार पर जीएनसीटीडी एक्ट 1991, व्यापार लेनदेन नियम 1993, दिल्ली आबकारी नीति 2009 और दिल्ली आबकारी नियम 2010 के उल्लंघन का आरोप है।

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