ग्वालियर मे्ं सीएम राइज विद्यालयों में परिवहन सेवा उपलब्ध कराने में अफसर बे‘बस’
स्कूल शिक्षा विभाग जिस किराया दर पर टेंडर करने का प्रयास कर रहा है, उसमें बस आपरेटर रुचि ही नहीं ले रहे हैं…
ग्वालियर । शैक्षणिक सत्र शुरू हुए डेढ़ माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन निजी विद्यालयों की तर्ज पर सीएम राइज स्कूलों में छात्रों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। नई इमारतें और सुविधाएं मिलने में समय लगना तय है, लेकिन 400 स्कूलों में विद्यार्थियों को लाने-ले जाने के लिए बसों के टेंडर तक नहीं हो पाए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला स्तर पर बसों के टेंडर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन ग्वालियर सहित सभी महानगरों व अन्य जिलों में टेंडर प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। इसका कारण यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग जिस किराया दर पर टेंडर करने का प्रयास कर रहा है, उसमें बस आपरेटर रुचि ही नहीं ले रहे हैं।
विभाग के अनुमान के मुताबिक एक स्कूल के लिए 10 से 12 बसों की आवश्यकता है। बसों की व्यवस्था न होने के कारण विद्यार्थियों को अपने साधनों से स्कूल पहुंचना पड़ रहा है। दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला स्तर पर बसों के टेंडर बुलाए हैं, लेकिन अधिकतर जिलों में दो बार विज्ञप्ति जारी होने के बाद भी बस आपरेटर आगे नहीं आए। महानगरों में जिला शिक्षा अधिकारियों ने जब परिवहन विभाग के अफसरों से समन्वय स्थापित कर बस आपरेटरों से बात की, तो पता चला कि विभाग सिर्फ एक साल के लिए बसों को किराए पर ले रहा है। आपरेटरों की मांग है कि इसे बढ़ाकर तीन वर्ष किया जाए। इसके अलावा कुछ आपरेटर इसलिए भी हिचक रहे हैं, क्योंकि उन्हें ये बसें पूरी तरह से स्कूल के सुपुर्द करनी होंगी। वर्तमान में आपरेटर अपनी बसों को एक ही समय में स्कूल व कालेजों से अटैच कर लेते हैं। इससे उन्हें अधिक मुनाफा होता है। इसके अलावा वे शादी-समारोह या अन्य कार्यक्रमों के लिए भी ये बसें किराए पर चला देते हैं। स्कूल शिक्षा विभाग को बसें देने पर उनका यह मुनाफा खत्म हो जाएगा। इस कारण वे इस प्रक्रिया में भाग ही नहीं ले रहे हैं।
तीन तरह की बसों की है मांगः अधिकतर जिलों में तीन तरह की बसों की मांग की गई है। इसमें 12 सीटर, 32 सीटर और 52 सीटर बसें शामिल हैं। 12 सीटर बसों का इस्तेमाल प्राथमिक व मिडिल कक्षाओं तक के बच्चों को स्कूल तक लाने-ले जाने के लिए किया जाएगा। इसी प्रकार 32 और 53 सीटर बसों में हाई स्कूल व हायर सेकंडरी के विद्यार्थियों का परिवहन किया जाएगा। महानगरों में आठ-आठ सीएम राइज स्कूल हैं और प्रत्येक स्कूल के लिए कम से कम 10 से 12 बसों की जरूरत है।
जिलों से मंगाई है रिपोर्टः पिछले दिनों प्रमुख सचिव की समीक्षा बैठक में यह मुद्दा सामने आया कि सीएम राइज विद्यालयों के लिए बसों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इसको लेकर विभागीय अफसरों ने नाराजगी भी जताई थी, क्योंकि इससे शासन द्वारा निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए किए गए दावे फेल हो रहे हैं। ऐसे में सभी जिलों में जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने जिलों से नियम-शर्तों की जानकारी भेजें। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर जो संशोधन की आवश्यकता हो, उसकी भी टीप दी जाए ताकि संशोधन कर जल्द से जल्द बसों की व्यवस्था की जा सके।
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सीएम राइज स्कूलों में बसों की व्यवस्था के लिए सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट आने के बाद जिला स्तर पर आवश्यकता के अनुसार संशोधन कराए जाएंगे, ताकि स्कूलों के लिए बसें उपलब्ध हो सकें। जल्द ही यह निराकरण कर दिया जाएगा।
डीएस कुशवाह, एडिशनल डायरेक्टर, लोक शिक्षण
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