राधाकृष्णन से जगदीप धनखड़ तक, किसकी जीत सबसे बड़ी, किसकी सबसे छोटी, कौन निर्विरोध जीता?

Vice President Election
जगदीप धनखड़ देश के नए उपराष्ट्रपति होंगे। शनिवार को हुए चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हरा दिया। राज्यसभा और लोकसभा के कुल 780 सांसदों में से 725 ने इस चुनाव में वोट डाले। इनमें से धनखड़ के पक्ष में 528 वोट पड़े। वहीं, अल्वा को महज 182 वोट से संतोष करना पड़ा। 15 वोट रद्द कर दिए गए। आइये जानते हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से लेकर जगदीप धनखड़ तक का चुनाव कैसे हुआ? कब और कौन निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुना गया?  किसकी जीत सबसे बड़ी रही?
पं. नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
1. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन निर्विरोध चुने गए थे। दरअसल 1952 में उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन मांगे गए थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और शेख खादिर हुसैन ने अपना नामांकन दाखिल किया। हालांकि, बाद में शेख खादिर का नामांकन रिटर्निंग ऑफिसर ने निरस्त कर दिया। इसके बाद इकलौते प्रत्याशी होने के चलते राधाकृष्णन को निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुन लिया गया। डॉ. राधाकृष्णन ने 13 मई 1952 को उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था। 1957 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन दोबारा निर्विरोध उपराष्ट्रपति चुने गए।

इंदिरा गांधी के साथ डॉ. जाकिर हुसैन
2. जाकिर हुसैन 
1962 में पहली बार उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान की नौबत आई। इसके पहले लगातार दो बार उपराष्ट्रपति रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन निर्विरोध चुने गए थे। इस चुनाव में जाकिर हुसैन के सामने  एनसी सामंतसिन्हार उम्मीदवार थे। सात मई 1962 को हुए चुनाव में कुल 596 सदस्यों ने वोट डाला। जाकिर हुसैन के पक्ष में रिकॉर्ड 582 यानी 97.65% वोट पड़े। दूसरे नंबर पर रहे एनसी सामंतसिन्हार को केवल 14 वोट मिले। 14 वोट रद्द कर दिए गए।
तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई
3. वीवी गिरी 
छह मई 1967 को तीसरे उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ। तब वीवी गिरी और मोहम्मद हबीब मैदान में थे। ओवरऑल 679 वोट पड़े थे। इसमें वीवी गिरी को 483 सदस्यों ने वोट दिया। मोहम्मद हबीब को 193 वोट मिले थे। इस तरह से 71.45% वोट हासिल कर वीवी गिरी देश के तीसरे उपराष्ट्रपति बने।

गोपाल स्वरूप पाठक
4. गोपाल स्वरूप पाठक 
1969 में वीवी गिरी ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 30 अगस्त 1969 को देश के चौथे उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव हुआ। तब छह उम्मीदवार मैदान में थे। इन्हीं में से एक गोपाल स्वरूप पाठक भी थे। पाठक ने 400 वोट हासिल कर जीत हासिल की। गोपाल स्वरूप पाठक ने कार्यकाल पूरा किया। गोपाल पहले ऐसे उपराष्ट्रपति रहे, जो बाद में राष्ट्रपति नहीं बन पाए। इसके पहले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन और वीवी गिरी उपराष्ट्रपति के बाद राष्ट्रपति भी बने।

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