टीएमआर स्कीम …? एक दवा-एक दाम नीति 15 से हो सकती लागू ….

इंदौर में 100 MSME पर होगा असर…..

एक दवा, एक दाम थीम से जुड़े योजना का खाका तैयार कर लिया गया है और 15 से इसे लागू करने की तैयारी….

इंदौर लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधियों ने भी इसमें हिस्सा लिया था। औद्योगिक संगठन सस्ती दवाएं देने के तो पक्ष में हैं। उनका कहना है इस स्कीम से देश में बड़ी फार्मा कंपनियों को तो फायदा मिलेगा, लेकिन प्रतिस्पर्धा में छोटी और मध्यम उद्योगों (MSME) को बड़ा नुकसान होगा। ट्राइबल, रूरल सहित पहाड़ी इलाकों में दवाओं का वितरण और उपलब्धता प्रभावित होगी। बिना वितरण व्यवस्था जाने इसे लागू करने से एमएसएमई को बड़ा नुकसान होगा।

  • 9हजार करोड़ का कारोबार है मप्र में दवाओं का
  • 41 हजार होलसेल और रिटेल लाइसेंस होल्डर हैं

स्कीम लागू करने से पहले वितरण को व्यवस्थित और दुरुस्त करना जरूरी

केंद्रीय मंत्री की बैठक का हिस्सा रहे इंदौर के लघु उद्योग भारती के नेशनल फार्मा विंग के सदस्य अमित चावला का कहना है, जनता को सस्ती दवाएं मिले, इस फैसले के हम साथ हैं, लेकिन वितरण व्यवस्था का व्यवस्थित अध्ययन किए बिना टीएमआर स्कीम लाना एमएसएमई के लिए घातक साबित होगा। मप्र की 200 सहित इंदौर की करीब 100 छोटी और मध्यम इंडस्ट्री को नुकसान होगा।

दरों के बजाय दवाओं के मार्जिन तय करना चाहिए

ऑल इंडिया ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के महासचिव राजीव सिंघल का कहना है दवाओं के दाम कम होना ही चाहिए, आम जनता को राहत मिलेगी, लेकिन दवा के एक कॉम्बिनेशन की दरें एक करने से बड़ी कंपनियां तो सर्वाइवर कर जाएंगी, लेकिन छोटे उद्योगों को मुशिक्ल होगी। दरों के बजाए दवाओं के मार्जिन तय करना चाहिए।

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