MP में डैम के फूटने की 7 बड़ी वजह …?
पहाड़ के पानी का प्रेशर इग्नोर किया, मिट्टी की कमजोर वॉल बना दी; जानें – खामियां …
धार में कारम नदी पर 304 करोड़ 44 लाख रुपए की लागत से बन रहा डैम पहली ही बारिश में लीक हो गया। धार और खरगोन जिले के 18 गांवों के हजारों लोगों की जान सांसत में आ गई है। डैम के रिसाव को रोकने के साथ ही उसके पानी को बहाने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। यहां तक कि सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। आखिर ऐसे हालात क्यों बने, यह जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने डैम की स्थिति और गांवों के बिगड़ते हालात का जायजा लिया।
भास्कर की पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। डैम के निर्माण से लेकर पानी भरने तक हर कदम पर लापरवाही बरती गई।
………. की टीम ने कई ग्रामीणों और अधिकारियों से बात की। पड़ताल में ये 7 गंभीर खामियां सामने आईं…
1. बारिश से पहले जल्दबाजी में काम पूरा करने के लिए मिट्टी को कंपैक्ट नहीं किया। इसी वजह से मिट्टी की दीवार (पाल) में लीकेज होना शुरू हो गया।
2. इंजीनियर दीवार डिजाइन करते समय इस बात का ध्यान रखना भूल गए कि उस मिट्टी की दीवार पर सीधे पहाड़ का पानी आएगा जो उसे कमजोर कर सकता है, इससे निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं थे।
3. जिस दीवार में लीकेज हो रहे हैं, उसका आधा हिस्सा बेहतर तरीके से बनाया गया है, लेकिन आधे हिस्से को जल्दबाजी में तैयार करने की गफलत में यह नौबत आई है।
4. इंजीनियरों ने कांट्रैक्टर से काम जल्दी में पूरा करने के लिए तो कहा, लेकिन कभी इसकी क्वालिटी की मॉनिटरिंग नहीं की। उन्होंने यह भी नहीं देखा की मिट्टी को सही तरीके से छानकर इस्तेमाल किया जा रहा है या नहीं और उसकी स्ट्रैंथनिंग की गई है या नहीं।
5. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि बांध की दीवार बनाते समय उसमें ज्यादा संख्या में पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जो मिट्टी की पकड़ को कमजोर करता है।
6. बांध के ऊपरी हिस्से में जिस भुरभुरी मुरम का इस्तेमाल किया गया है। वह मिट्टी की पकड़ को कमजोर करने की बड़ी वजह रही है।
7. कॉन्ट्रैक्ट में जल्दबाजी में इस बात का ख्याल भी नहीं रखा कि यहां पानी को अवशोषित करने वाली ब्लैक स्वाइल की जरूरत थी, यहां आसपास की कच्ची और मुरम वाली मिट्टी बिना एसेसमेंट के भर दी गई।
एक्सपर्ट से जानें तीन बड़ी वजह
लीकेज की तीन बड़ी वजह हो सकती है। डिजाइन में तकनीकी खामी रही हाेगी। दूसरा मटेरियल और तीसरा कंस्ट्रक्शन की क्वालिटी में खराबी हो सकती है। मिट्टी से जाे पाल बनाई, उसमें पत्थर या मुरम को मिट्टी से कवर कर दिया होगा। उसी में गेप से लीकेज हुआ होगा।
डाॅ. जेएस चाैहान, पूर्व डायरेक्टर, इंजीनियरिंग काॅलेज
बांध बनने की कहानी समझिए…
कारम मध्यम सिंचाई परियोजना धार जिले के ग्राम कोठीदा में है। चार साल पहले 2018 में शिलान्यास और भूमिपूजन धार जिले के तत्कालीन प्रभारी मंत्री अंतर सिंह आर्य ने किया था। इस बांध को विंध्याचल रेंज की पहाड़ी को दो तरफ से जोड़कर कारम नदी पर बनाया जा रहा है। डैम का हिस्सा नालछा, मांडू, भरूड़पुरा, बगड़ी की पहाड़ी से लगा हुआ है। महू-मानपुर से निकलने वाली अजनार नदी आगे चलकर कारम नदी में मिलती है।
डैम का निर्माण दिल्ली की कंपनी एएनएस कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. कर रही है। 10 अक्टूबर 2018 से बन रहे इस डैम को 36 महीने में बनकर पूरा होना था। हालांकि, कोरोना काल के चलते दो साल इसका काम बंद रहा। डैम का जल संग्रहण क्षेत्र 183.83 वर्ग किमी है। लंबाई 564 मीटर और चौड़ाई 6 मीटर है। जल भरण क्षमता 43.98 मीट्रिक घन मीटर रखी जाना है, लेकिन डैम में लीकेज होने से जगह-जगह से पानी निकलने लगा है। डैम के बनने के बाद करीब 8 से 11 हजार हेक्टेयर में सिंचाई के लिए पानी मिलना है। शुरू से ही ग्रामीण मुआवजा राशि के लिए आंदोलन और भूख हड़ताल करते रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई और इस परियोजना से 8 गांव की जमीन डूब में गई।
अब यहां से शुरू होती है बांध के लीकेज होने की कहानी…
गुरुवार की बात है। बांध की मिट्टी वाली वॉल से पानी रिसता हुआ दिखा। हो सकता है कि पानी का रिसाव कुछ दिन पहले से हो रहा हो लेकिन गांव वालों की नजर पड़ी तो सूचना अफसरों तक पहुंची। शुक्रवार को जब रिसाव तेज हुआ तो हड़कंप मच गया। ताबड़तोड़ अफसरों ने दौड़ लगाई। अफसरों को समझने में देर नहीं लगी कि मामला गंभीर है। सवाल ये खड़ा हुआ कि मिट्टी कब तक पानी के दबाव को रोक सकेगी। जैसे ही मिट्टी की ताकत जवाब देगी जल सैलाब आ जाएगा।
इसकी जद में कई गांव आएंगे । प्रशासन ने मुनादी कराई कि तत्काल गांव खाली कर दें। यह सुन गांव के लोग दहशत में आ गए और जैसे और जिस हालत में थे, सामान समेट कर भागने लगे। यह सिलसिला शुक्रवार दोपहर से देर रात तक चलता रहा। इधर, प्रशासन की टीम दो अलग-अलग प्लान पर एक साथ काम कर रही है। पहले प्लान के तहत बांध टूटने के जोखिमों को कम करने के लिए रिसाव वाले एरिया पर मिट्टी और मुरम डालकर उसे मजबूती देने का प्रयास किया जा रहा है।
वहीं, दूसरे प्लान में वॉटर प्रेशर कम करने के लिए बांध का पानी चैनल बनाकर निकालने का प्रयास किया जा रहा है।
इन गांवों को करवाया गया खाली
डैम के निचले हिस्से में बसे जहांगीरपुरा, कोठीदा, भारुड़पूरा, इमलीपुरा, भांडाखो, दुगनी, डेहरिया, सिमराली, सिरसोदिया, डहीवर, लसनगांव, हनुमंतिया समेत धार जिले के 12 गांवों को खाली करवाया गया है। वहीं, खरगोन जिले के 6 गांवों जलकोटा, बड़वी, नयापुरा, काकरिया, मेलखेड़ी, मोयदा को रात में खाली करवा लिया गया है।
विधायक बोले- शुरू से डैम की खामियां उजागर कर रहा हूं…
धरमपुरी विधायक पांचीलाल मेड़ा ने कहा- बांध में कई खामियां हैं, जिसे मैं समय-समय पर उठाता रहा हूं। जल्दबाजी में इसे तैयार किया जा रहा है, इस कारण मुरम और काली मिट्टी डालकर डैम को तैयार कर दिया गया। इन्होंने इतनी लापरवाही की कि मिट्टी और मुरम को दबाया तक नहीं। हाईवा और डंपर से डालकर सीधे बांध की दीवार (पाल) को उठाया गया। यही कारण है कि आज ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। जिन्होंने इसमें लापरवाही बरती है, उनसे न सिर्फ 305 करोड़ रुपए वसूलने चाहिए, बल्कि सख्ती से कार्रवाई भी होनी चाहिए। घर छोड़कर लोग पहाड़ियों पर बैठे हैं, दो दिन से सो नहीं पा रहे हैं। कानूनी कार्रवाई काे लेकर विधानसभा में मामला उठाऊंगा। धरने पर बैठना पड़े तो वह भी करूंगा।
कमेटी की रिपोर्ट पर करेंगे कार्रवाई: मंत्री तुलसी सिलावट
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा- कारम नदी पर मध्यम सिंचाई प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे पक्के बांध में कोई नुकसान नहीं हुआ है। बांध निर्माण के लिए पानी रोकने के लिए बनाए गए मिट्टी बांध में रिसाव से इस तरह की स्थिति बनी है।
नदी पर पक्का बांध 100 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है। इसका लगभग 90 प्रतिशत काम पूर्ण हो चुका है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद 52 गांवों में 10 हजार 500 हैक्टेयर कृषि भूमि सिंचित हो सकेगी। एक कमेटी बनाई गई है। तीन दिन में रिपोर्ट देगी, जो भी जिम्मेदार ने लापरवाही की होगी। उस पर कार्रवाई की जाएगी।
कांग्रेस का आरोप- ब्लैक लिस्टेड कंपनी को बचाने में लगा प्रशासन
प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने बांध में आए लीकेज को भ्रष्टाचार के स्मारक का घटिया निर्माण करार दिया है। मिश्रा ने आरोप लगाया कि प्रशासन घटिया निर्माण करने वाली ब्लैक लिस्टेड कंपनी को बचाने में लग गया है, क्योंकि इस पर शिवराज मंत्रिमंडल के एक ताकतवर मंत्री का हाथ है। यही नहीं इस कंपनी ने दिल्ली की एक एएनएस कंस्ट्रक्शन्स कंपनी को सब कॉन्ट्रैक्टर नियुक्त किया हुआ है।
मिश्रा ने कहा कि क्षेत्र के जिम्मेदार नागरिकों ने 3 महीने पहले ही जिला प्रशासन और भोपाल में बैठे जिम्मेदारों को शिकायत की थी, जिसे सभी ने अनसुना कर दिया।
मुगल काल के पुल-पुलिया मजबूत, 15 साल वाले ध्वस्त हो रहे
मिश्रा का कहना है कि क्या कारण है कि मुगल शासकों-अंग्रेजों और 50 सालों पुराने पुल-पुलियाएं, स्टॉपडैम आज भी मजबूत हैं और 15 सालों में निर्मित पुल-पुलियाएं, स्टॉपडैम, बांध, सड़कें निर्माणाधीन कार्य दिवसों या बनते ही ध्वस्त क्यों हो रहे हैं? एक महीने पहले ही मंडीदीप के कालिया सोत पुल, जो मात्र एक साल पहले ही MPRDC द्वारा 529 करोड़ की लागत से बना था, सिंगारचोली-मुबारकपुर में 221 करोड, बुंदेलखंड में 881 करोड़ की लागत से निर्मित पुल-पुलियाएं और स्टॉपडैम और दो साल पहले दतिया में दो नवनिर्मित बांध कैसे ढह गए? भ्रष्टाचारियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
जानिए अब तक क्या?
गुरुवार शाम को बांध में लीकेज की जानकारी मिली थी। धार के 12 और खरगोन के 6 गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया था। रिसाव तेज होने पर शुक्रवार देर रात तक प्रशासन ने ग्रामीणों को गांव से राहत शिविरों में पहुंचाया। उधर, NDRF, SDRF और लोकल प्रशासन दिन भर बांध को मजबूती प्रदान करने में जुटा रहा। देर रात सेना भी आ गई। शनिवार सुबह से सेना भी डैम को बचाने की कोशिश में जुट गई।