न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड …? जिन्हें सस्पेंड करना है, उन्हीं को क्यों दी जांच, बताओ नहीं तो सीबीआई को देंगे मामला

मप्र हाईकोर्ट ने गुरुवार को जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल अग्निकांड के मामले पर सख्ती दर्शाई। चीफ जस्टिस रवि मलिमथ व जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से पूछा कि जिन डॉक्टर्स को अग्निकांड का दोषी पाकर सस्पेंड करने का प्रस्ताव है, उन्हें ही निजी अस्पतालों की जांच टीम में क्यों शामिल कर लिया गया? कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी कर कहा कि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो मामला सीबीआई के सुपुर्द करने पर विचार किया जाएगा।

– जनजीवन से खिलवाड़ को लेकर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
– नियम विरुद्ध खोले गये अस्पतालों के मामले में हाईकोर्ट की सख्ती

जबलपुर। ...मप्र हाईकोर्ट ने गुरुवार को जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल अग्निकांड के मामले पर सख्ती दर्शाई। चीफ जस्टिस रवि मलिमथ व जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से पूछा कि जिन डॉक्टर्स को अग्निकांड का दोषी पाकर सस्पेंड करने का प्रस्ताव है, उन्हें ही निजी अस्पतालों की जांच टीम में क्यों शामिल कर लिया गया? कोर्ट ने तल्ख़ टिप्पणी कर कहा कि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो मामला सीबीआई के सुपुर्द करने पर विचार किया जाएगा। अगली सुनवाई 22 अगस्त तक जवाब मांगा गया।

मप्र लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएसन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल की ओर से जनहित याचिका दायर की गई। इसमें कोरोनाकाल में जबलपुर में खोले गये नियम विरुद्ध अस्पतालों का मसला उठाया गया। गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत सिंह ने जबाब पेश करते हुए बताया कि याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर कार्यवाही की जा रही है। 3 अस्पतालों के लायसेंस रद्द कर दिए गये हैं। 1 अगस्त को न्यू लाइफ अस्पताल में हुई आगजनी की घटना से 8 लोगों की जलकर मौत तथा 18 लोगों के गंभीर रूप से घायल होने के मामले में भादवि की धारा 304 के तहत एफआईआर दर्ज कर दोषियों पर कार्यवाही की जा रही है।जिले के सीएमएचओ को भी निलंबित कर दिया गया है ।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने कोर्ट को बताया कि सरकार की ओर से पेश किये गये जबाब में 2 अगस्त की एक नोटशीट प्रस्तुत की गयी है । इसमें कहा गया है कि न्यू लाइफ मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल जबलपुर का भौतिक निरीक्षण कर कमेटी के सदस्य डॉ. एल.एन. पटेल, डॉ. निषेध चौधरी ने अनफिट भवन को सही बताकर लायसेन्स जारी करने की अनुशंसा की थी। तत्कालीन नर्सिंग होम शाखा प्रभारी डॉ. कमलेश वर्मा ने उक्त अस्पताल की फायर एनओसी की अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी उसका पंजीयन निरस्त नही किया था। उक्त तीनों की लापरवाही से अग्निकांड जैसी दुखद घटना घटित हुई। इसलिए तीनों को निलंबित करने का प्रस्ताव उल्लेखित है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि वहीं दूसरी ओर अग्निकांड हादसे के बाद जबलपुर के समस्त अस्पतालों की जांच हेतु बनाए गये 43 सदस्यीय निरीक्षण दल में भी उक्त तीनों डॉक्टरों को शामिल कर लिया गया, जिन्हें इस घटना का दोषी माना जा रहा है। तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि जिस मामले में जिन व्यक्तियों को दोषी मानकर निलंबित किया जा रहा है, उन्ही व्यक्तियों को अस्पतालों की जांच कमेटी में रखा गया। कोर्ट ने इस रवैये पर कड़ी फटकार लगाते हुए सरकार से ऐसा किये जाने के संबंध में जबाब मांगा। कोर्ट ने उक्त तीनों निरीक्षणकर्ताओं के निलंबन की वस्तुस्थिति पूछी। इस पर शासन की ओर से संतोषजनक उत्तर नही मिलने पर युगलपीठ ने जनजीवन से जुडी इतनी बड़ी घटना पर हुई लापरवाही की कड़ी निंदा की। कोर्ट ने इस घटनाक्रम के संबंध में सोमवार तक शपथ पत्र में जबाब मांगा। कोर्ट ने कहा कि यदि सोमवार तक संतोषजनक उत्तर नही मिला तो मामले की जांच सीबीआई को भी सौंपने के निर्देश दिए जा सकते हैं।

जनहित याचिका में उठाये गये हैं ये बिंदु –
1. नगर निगम द्वारा जारी बिल्डिंग कम्पलीशन सर्टिफिकेट के बिना खोल दिए अस्पताल
2. फायर एनओसी के बिना तथा प्रोविजनल एनओसी के आधार पर ही जारी कर दिए हैं अस्पताल के लायसेंस
3. नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 का पालन न करने वाले भवनों में भी खोल दिए हैं अस्पताल
4. आगजनी की स्थिति से निपटने भवन के लिए चारों ओर 6 मीटर खुले स्थान के बगैर अनफिट भवनों को दिया लायसेंस
5. पार्किंग स्पेस के बिना भी दे दिया पंजीयन
6. प्रवेश एवं निर्गम हेतु एकांकी मार्गो वाले भवनों में भी दी गयी है अस्पताल की अनुमति

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