नोएडा के ट्विन टावर कल टूटेंगे …?

3700 किलो बारूद भरा गया, लोगों को अपने घर बचाने की फिक्र …

नोएडा में बने 32 मंजिला ट्विन टावर रविवार दोपहर ढाई बजे गिरा दिए जाएंगे। 13 साल में बनी दोनों इमारतें टूटने में सिर्फ 12 सेकेंड लगेंगे। कुतुब मीनार से ऊंचे ट्विन टावर से ठीक 9 मीटर दूर सुपरटेक एमरेल्ड सोसायटी है। यहां 650 फ्लैट्स में करीब 2500 लोग रहते हैं।

देश भर में ज्यादातर लोग देखना चाहते हैं कि ट्विन टावर कैसे टूटेंगे, लेकिन आसपास रहने वालों को डर है कि उनके घर कैसे बचेंगे। घर बच भी गए तो टावर के मलबे से निकली धूल से कैसे बचेंगे। ये जगह सेक्टर-93 में है और नोएडा के महंगे एरिया में शामिल है। यहां 3BHK फ्लैट की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है।

3700 किलो बारूद से 12 सेकेंड में गिरेगी पूरी बिल्डिंग
ट्विन टावर गिराने का जिम्मा एडिफाइस नाम की कंपनी को मिला है। ये काम प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता की निगरानी में हो रहा है। वे बताते हैं कि हमने बिल्डिंग में 3700 किलो बारूद भरा है। पिलर्स में लंबे-लंबे छेद करके बारूद भरना होता है। फ्लोर टु फ्लोर कनेक्शन भी किया जा चुका है।

मेहता ने बताया कि हम टावर गिराने में वाटरफॉल टेक्नीक इस्तेमाल कर रहे हैं। ये एक तरह का वेविंग इफेक्ट होता है, जैसे समंदर की लहरें चलती हैं। पूरी प्रोसेस उसी तरह होगी। बेसमेंट से ब्लास्टिंग की शुरुआत होगी और 30वीं मंजिल पर खत्म होगी। इसे इग्नाइट ऑफ एक्सप्लोजन कहते हैं। इसके बाद बिल्डिंग गिरना शुरू होगी। इसमें करीब 12 सेकेंड लगेंगे।

सेफ्टी के लिए 4 लेयर का कवर
मेहता बताते हैं कि जहां-जहां कॉलम में हमने बारूद लगाया है, वहां जियोटेक्सटाइल कपड़ा लगाया है। इसमें फाइबर कंपोजिट होता है। अगर कोई चीज इससे टकराती है तो वह कपड़े को फाड़ती नहीं, बल्कि रिवर्स होती है। आसपास की इमारत पर भी कपड़े लगा दिए हैं।

‘पत्नी को अस्थमा है, उसे कहां ले जाऊं?’
अश्विनी कुमार ट्विन टावर से सटी एमरेल्ड गोल्ड सोसायटी में रहते हैं। उनकी बालकनी से दोनों टावर दिखते हैं। टावर की ओर देखते हुए वे अपना गुस्सा नहीं रोक पाते। कहते हैं- घर में पत्नी और बच्चे हैं। पत्नी को सांस की बीमारी है। वह खराब हवा बर्दाश्त नहीं कर सकती।

अश्विनी बालकनी ढंकने के लिए ग्रीन नेट खरीदकर लाए हैं, ताकि टावर में ब्लास्ट हो, तो इससे उड़ने वाली धूल घर में न घुसे। वे बताते हैं कि हमारी दो चिंताएं हैं। पहली- बिल्डिंग गिरने पर धमाका कितना बड़ा होगा और उससे हमारे घरों को नुकसान तो नहीं होगा। दूसरी- डिमोलिशन के बाद कितने दिन तक मलबा उठाया जाएगा। इसमें जितनी देर होगी, उतनी धूल उड़ती रहेगी।

अथॉरिटी से डॉक्यूमेंट मांगे, तो कहा गया कि नहीं दे सकते
सोसायटी की रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट उदयभान सिंह तेवतिया बताते हैं कि ट्विन टावर 2009 से बनना शुरू हुए थे। ये गैरकानूनी तरीके से बनाए गए। हम लोगों से कभी इस पर बात ही नहीं की गई। टावर हमारी सोसायटी से सिर्फ 9 मीटर दूर बने हैं। नियम के हिसाब से ये दूरी 16 मीटर होनी ही चाहिए।

नोएडा अथॉरिटी से हमने ट्विन टावर से जुड़े डॉक्यूमेंट मांगे, तो कहा गया कि ये सीक्रेट डॉक्यूमेंट हैं, नहीं दिए जा सकते। इसी आधार पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टावर बनाने वाले सुपरटेक ग्रुप और इसके लिए जिम्मेदार नोएडा अथॉरिटी के अफसरों को सजा दी जाए।

पॉल्यूशन कितना होगा, किसी को नहीं पता
उदयभान सिंह तेवतिया कहते हैं कि डिमोलिशन की वजह से चिंताएं तो बहुत हैं, लेकिन खुशी है कि गैरकानूनी तरीके से बनी इमारतें गिराई जा रही हैं। बिल्डिंग गिरेंगी तो कितना धुआं और धूल निकलेगी, इसका अंदाजा अब तक नहीं है। बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर होगा। हमने मीटिंग में नोएडा अथॉरिटी से भी पूछा था कि इस समस्या के लिए आपका क्या प्लान है? उनके पास कोई ठोस जवाब नहीं था।

भूकंप के हल्के झटके की तरह भी महसूस नहीं होगा
प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता का कहना है कि धमाके से हल्के भूकंप के बराबर भी झटका महसूस नहीं होगा। लोगों को हिदायत के तौर पर कहा गया है कि वे टीवी से प्लग निकाल दें और कांच के सामान अंदर रख लें। हवा के दबाव से कांच की चीजें टूट सकती हैं। ब्लास्ट से धूल होगी, लेकिन कितनी, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

आसपास के लोगों को रविवार सुबह 7 बजे घर छोड़ना होगा
सोसायटी में रहने वाले सुरेश कुमार ने बताया कि हमें सेफ्टी की फिक्र है। कहीं डिमोलिशन में कोई गड़बड़ी न हो जाए। ट्विन टावर का कोई हिस्सा हमारी सोसायटी पर न गिर जाए। हमसे कहा गया है कि सुबह 7 बजे घर छोड़ दें। कुछ लोग उस दिन होटल में रुकेंगे।

दो किमी के दायरे में बढ़ेगा पॉल्यूशन
डॉ. सुशीला कटारिया गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में सीनियर डायरेक्टर हैं। उनका कहना है कि जब ट्विन टावर गिरेंगे, तो आसपास के 2 किमी के दायरे में पॉल्यूशन लेवल बढ़ जाएगा। धूल के कण हवा में फैल जाएंगे।

हवा में प्रदूषण का स्तर कितना होगा, ये इस पर निर्भर करेगा कि आप साइट से कितनी दूर और डिमोलिशन के कितनी देर बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) माप रहे हैं। वक्त बीतने के साथ धूल के कण जमीन पर बैठेंगे और AQI लेवल नीचे आ जाएगा। अभी नहीं कहा जा सकता कि आम दिनों के मुकाबले कितना प्रदूषण होगा।

टावर गिराने की तैयारी में लगे 181 दिन
ट्विन टावर गिराने के लिए 181 दिन से तैयारी चल रही थी। 21 फरवरी से 350 वर्कर्स और 10 इंजीनियर इस काम में जुटे थे। रविवार सुबह 7 बजे तक आसपास के 500 मीटर में मौजूद सभी 1396 फ्लैट्स खाली करा लिए जाएंगे।

टावर के ऊपर 10 किलोमीटर इलाके को नो-फ्लाई जोन बनाने के लिए कहा गया है। आसपास की सड़कों पर आवाजाही बंद रहेगी। दोपहर 2 बजे काउंटडाउन शुरू होगा। 2.30 बजे एक रिमोट बटन दबाते ही दोनों टावर मलबे में बदल जाएंगे। पढ़िए टावर बनने और गिराए जाने की

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