केजरीवाल सरकार को खतरा कम, सियासी ड्रामा ज्यादा … ?

दिल्ली में ऑपरेशन लोटस क्यों नहीं चलाएगी BJP, 5 पॉइंट्स में समझें

ये आरोप दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 25 अगस्त को ‌BJP पर लगाया। इस आरोप से कुछ देर पहले ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने केजरीवाल के घर पर बैठक की थी, जिसमें 62 में से 53 विधायक पहुंचे थे। मनीष सिसोदिया हिमाचल में होने की वजह से नहीं पहुंचे, जबकि केजरीवाल ने बाकी के 8 विधायकों से संपर्क नहीं होने का दावा किया।

इस एक्सप्लेनर में हम 5 पॉइंट्स में ये समझाएंगे कि आखिर क्यों केजरीवाल का ये बयान हकीकत कम और सियासी ड्रामा ज्यादा है, साथ ही यह भी जानेंगे कि BJP पर लगे आरोप में कितना दम है…

लॉजिक नंबर 1:

बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर है BJP

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से आप ने 62 और BJP ने 8 सीटें जीती थीं। दिल्ली में बहुमत का आंकड़ा 36 है। इस लिहाज से BJP को यहां सरकार बनाने के लिए और 28 सीटों की जरूरत पड़ेगी।

यानी उसे आप के कम से कम 28 विधायकों को तोड़ना पड़ेगा, जो BJP के लिए बेहद मुश्किल काम है।

केजरीवाल ने 25 अगस्त को दावा किया कि आप के 8 विधायक गायब हैं। उन्होंने BJP पर आप के विधायकों को तोड़ने का आरोप लगाया था। उनके दावे को सच भी मानें तो 8 विधायकों को तोड़ने के बाद भी BJP बहुमत से दूर ही रह जाती।

लेकिन सवाल भी है: हाल ही में महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने BJP की शह पर शिवसेना के 40 विधायक तोड़ लिए, दिल्ली में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?

लॉजिक नंबर 2:

दिल्ली में BJP के पास एकनाथ शिंदे जैसा कोई नेता नहीं है, जो आप के 40 विधायकों को तोड़ने जैसे मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम दे सके।

साथ ही आम आदमी पार्टी में फिलहाल शिवसेना जैसी कोई स्थिति नहीं दिख रही है। भले ही केजरीवाल ये दावा कर रहे हैं कि BJP की ओर से मनीष सिसोदिया को उनकी पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया गया था।

लॉजिक नंबर 3:

दिल्ली की सत्ता हासिल करके BJP को क्या मिलेगा?

महाराष्ट्र में सत्ता के उलटफेर के खेल में आखिरी मौके तक BJP खुलकर सामने नहीं आई, वजह- वह अपने सिर सरकार गिराने की तोहमत लेना नहीं चाहती थी। ठीक इसी तरह दिल्ली में BJP के सामने एक तरफ बदनामी का भी जोखिम है, तो दूसरी तरफ दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से भी BJP के लिए वहां पाने के लिए बहुत कुछ नहीं है।

दिल्ली नगर निगम में BJP काबिज है। LG केंद्र सरकार के ही प्रतिनिधि हैं, LG का हमेशा से आप सरकार से तकरार चलता ही रहा है। दिल्ली पुलिस भी केंद्र सरकार के हाथ में है।

2019 में दिल्ली में केजरीवाल सरकार के बहुमत में होने के बावजूद कुछ महीने बाद हुए लोकसभा चुनावों में सभी 7 सीटें BJP ने जीती थीं।

इसी तरह 2014 के लोकसभा चुनावों में भी दिल्ली में सभी 7 सीटें BJP ने जीती थीं, जबकि उसके कुछ महीनों बाद हुए विधानसभा चुनावों में केजरीवाल ने बहुमत हासिल किया था।

यानी दिल्ली में केजरीवाल के सत्ता में होने के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनावों में दिल्ली में BJP पर हार का खतरा कम है।

लॉजिक नंबर 4:

गुजरात चुनाव करीब है, BJP नहीं देना चाहेगी आप को मौका

करीब 4 महीने बाद, यानी दिसंबर में गुजरात में चुनाव है। आम आदमी पार्टी ने वहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। आप ने 300 यूनिट फ्री बिजली और महिलाओं को 1 हजार रुपए महीना देने जैसे वादे किए हैं। BJP ने भी हाल ही में 4 हजार गांवों में फ्री वाई-फाई की सुविधा शुरू की है, जिसे आप के फ्री स्कीम वादों का जवाब माना जा रहा है।

यानी गुजरात चुनावों में BJP आप की हर चुनौती से निपटने की तैयारी में जुटी है। ऐसे में गुजरात चुनावों से ठीक पहले BJP दिल्ली में सरकार गिराकर आम आदमी पार्टी को विक्टिम कार्ड खेलने का मौका नहीं देना चाहेगी।

लॉजिक नंबर 5:

शराब घोटाले से ध्यान भटकाने की कोशिश ज्यादा

केजरीवाल के BJP पर सरकार गिराने के हालिया आरोपों को शराब घोटाले से ध्यान भटकाने की कोशिश माना जा रहा है। खास बात ये है कि शराब पॉलिसी पर उठ रहे सवालों का जवाब अब तक केजरीवाल सरकार दिल्ली में एजुकेशन सेक्टर पर किए अपने कामों के जरिए ही ज्यादा दिया है। इसके लिए उसने ने हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक आर्टिकल का भी उदाहरण दिया है, जिसमें आप सरकार के दिल्ली के स्कूल मॉडल की तारीफ की गई थी। सिसोदिया दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी हैं। शराब पॉलिसी पर उठ रहे सवालों के जवाब देने की जगह केजरीवाल का एजुकेशन और हेल्थ के कामों की तारीफ का हवाला देना, मुद्दे से ध्यान भटकाने की ही कोशिश जैसा ही है।

दरअसल, CBI ने 19 अगस्त को शराब घोटाले को लेकर दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के आवास समेत 21 ठिकानों पर छापेमारी की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई शराब नीति में खामियों को लेकर CBI और ED की शुरुआती रिपोर्ट में सामने आया है कि इससे शराब डीलर्स का मुनाफा 989% बढ़ गया, लेकिन सरकार की कमाई घटी और उसके वैट और एक्साइज ड्यूटी में करीब 99% की गिरावट आई।

बता दें कि केजरीवाल सरकार ने नवंबर 2021 में दिल्ली में नई शराब पॉलिसी लागू की थी। जुलाई 2022 में LG वीके सक्सेना ने नई शराब पॉलिसी में नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए CBI जांच की सिफारिश की थी। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा, यानी EOW ने जुलाई 2022 में LG और दिल्ली CM को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सिसोदिया पर नई शराब नीति के जरिए कोरोना के नाम पर 144 करोड़ रुपए की टेंडर लाइसेंस फीस माफ करने और शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था।

दो वजहें, जिनकी वजह से सच हो सकता है केजरीवाल का डर

1.ऑपरेशन लोटस में माहिर है BJP

विपक्षियों का आरोप है कि ऑपरेशन लोटस के जरिए BJP चुनी हुई राज्य सरकारों के विधायकों को अपने पाले में मिलाकर सरकार गिराने का खेल करती रही है।

इसके हालिया उदाहरण पिछले 3 सालों के दौरान कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र हैं। इन सभी राज्यों में कांग्रेस या उसके गठबंधन की सरकारें थीं, लेकिन सभी जगह समय से पहले ही सरकारें गिरीं और BJP सत्ता पर काबिज हो गई।

इन राज्यों के उदाहरण को देखते हुए केजरीवाल के दिल्ली में भी BJP के ऑपरेशन लोटस चलाने के दावे को पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता है।

2. 22 साल से दिल्ली की सत्ता से दूर है BJP

पिछले कुछ सालों में BJP का ग्राफ देश में तेजी से बढ़ा है। इसके बावजूद वह दिल्ली की सत्ता से पिछले 22 साल से दूर है। आखिरी बार 1998 में BJP दिल्ली की सत्ता में आई थी, जब सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री बनी थीं। इसके बाद 1998 से 2013 तक कांग्रेस की शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं।

2013 में आम आदमी पार्टी के उभार के बाद से अरविंद केजरीवाल दो बार 2015 और 2019 में जोरदार जीत के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं। ऐसे में BJP केजरीवाल सरकार को सत्ता से बाहर करके सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर सकती है।

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