गुलाम नबी का मिशन कश्मीर डीकोडेड .. ?
BJP को घाटी में एक साथी की जरूरत, जो सामने से अलग, लेकिन अंदर से साथ हो …
सबसे पहले इन 3 वाक्यों को पढ़िए…
- ‘भारत जोड़ो यात्रा से पहले देशभर में कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकाली जानी चाहिए।’
- ‘कांग्रेस अब अपने लड़ने की इच्छाशक्ति और क्षमता खो चुकी है और पार्टी में किसी भी स्तर पर चुनाव नहीं हो रहे हैं।’
- ‘कांग्रेस पार्टी में बड़े पैमाने पर हो रहे इस धोखे के लिए पूरी तरह से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जिम्मेदार है।’
अब इन 2 बयान और 1 घटना के बारे में भी पढ़िए…
- गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि कांग्रेस से तंग आकर लोग दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए नई पार्टी बना रहा हूं।
- 29 अगस्त को गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘मैं तो मोदी जी को क्रूर आदमी समझता था। मुझे लगता था कि उन्होंने शादी नहीं की है और उनके बच्चे नहीं हैं तो उन्हें कोई परवाह नहीं है, लेकिन कम-से-कम इंसानियत तो उनमें है।’
- गुलाम नबी के बाद जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के 64 बड़े नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। इनमें पूर्व डिप्टी CM तारा चंद, पूर्व मंत्री माजिद वानी, घारू चौधरी, आदि शामिल हैं।
शुरुआत के तीनों तल्ख वाक्य 48 साल बाद कांग्रेस को अलविदा कहने वाले गुलाम नबी आजाद की उस चिट्ठी का हिस्सा है, जो उन्होंने 26 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष के नाम लिखा है। बाद की तीनों घटनाएं गुलाम नबी आजाद के असली मिशन को बता रहे हैं। ऐसे में आज के एक्सप्लेनर में समझते हैं कि आजाद का मिशन कश्मीर क्या है?
सबसे पहले गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से अलग होने की सभी घटनाओं के बारे में जानते हैं…
सितंबर 2013: राहुल ने की मनमोहन सरकार के अध्यादेश को फाड़ने की बात, आजाद विरोध में उतरे
जुलाई 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया- भ्रष्टाचार के दोषी सांसदों और विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी जाए।
2011 के अन्ना आंदोलन के बाद देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल था, लेकिन सरकार के सामने राजनीतिक मजबूरियां थीं। सो 2 महीने बाद मनमोहन सरकार इस फैसले के खिलाफ अध्यादेश ले आई। BJP, लेफ्ट समेत सभी दल इस अध्यादेश का विरोध करने लगे।
27 सितंबर 2013 को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल ने एक प्रेस कांफ्रेंस में अध्यादेश को फाड़कर फेंकने की बात कह दी थी। यह पहला मौका था जब गांधी परिवार के वफादार आजाद ने पार्टी की बैठकों में राहुल का विरोध किया।
मार्च 2020: कांग्रेस के खफा नेताओं ने बनाया ग्रुप 23, आजाद भी हुए इसमें शामिल
बात मार्च 2020 की है। कांग्रेस के 23 सीनियर नेताओं ने अध्यक्ष सोनिया गांधी को बागी तेवर में एक चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी में दो बड़ी शिकायतें थीं। पहली– पार्टी का पूरा संगठन सुस्त पड़ चुका है। इसमें ऊपर से नीचे तक पूरी तरह बदलाव किया जाना चाहिए। दूसरी– CWC की तुरंत बैठक बुलाई जाए और चुनाव के जरिए कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाए।
चिट्ठी लिखने वाले इन नेताओं को ही ग्रुप 23 कहा जाने लगा। माना जाता है कि इस चिट्ठी के बाद से ग्रुप के सभी नेता कांग्रेस आलाकमान के निशाने पर आ गए। सिद्धू से टकराव के बाद अमरिंदर का इस्तीफा हो, या जितिन प्रसाद का BJP में शामिल होना। बगावत भरी चिट्ठी को ही इसकी वजह माना जाता है।
फरवरी 2021: गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई के वक्त भावुक हुए PM मोदी
15 फरवरी 2021 के दिन गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हुआ। विदाई कार्यक्रम में PM नरेंद्र मोदी ने भावुक भाषण दिया, उनके आंसू छलक पड़े। उन्होंने कश्मीर में हुए एक धमाके को याद करते हुए CM रहते हुए गुलाम नबी आजाद की शानदार भूमिका को लेकर उनकी जमकर तारीफ की।
अब आप प्रधानमंत्री के भाषण के उस मौके को यहां वीडियो में देख सकते हैं
सितंबर 2021: गुलाम नबी को नहीं कश्मीर प्रभारी को बनाया राज्यसभा उम्मीदवार
सितंबर 2021 में महाराष्ट्र के राज्यसभा 7 सीटों के लिए चुनाव होने थे, जिसमें कांग्रेस के हिस्से में 2 सीट आनी थीं। गुलाम नबी को कैंडिडेट बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस ने उनकी जगह जम्मू-कश्मीर की प्रभारी रजनी पाटिल को टिकट दे दिया।
मार्च 2022: गुलाम नबी को मोदी सरकार ने दिया पद्म भूषण, कांग्रेस नेता ने किया पलटवार
52 साल कांग्रेस के सिपाही रहे गुलाम नबी को 21 मार्च 2022 को मोदी सरकार ने समाज सेवा का पद्म भूषण दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पर तंज कसा था। रमेश ने बंगाल के पूर्व CM बुद्धदेव भट्टाचार्य के पद्म भूषण पुरस्कार को अस्वीकार करने के फैसले याद करते हुए कहा था, ‘उनका यह फैसला सही था, वह गुलाम नहीं आजाद होना चाहते थे।’
ये वो 5 घटनाएं हैं, जो गुलाम नबी और कांग्रेस के बीच की तल्खी और उनके मिशन कश्मीर की ओर जाने की क्रोनोलॉजी बताते हैं….
अब एक्सपर्ट के हवाले से जानते हैं कि गुलाम नबी आजाद का अगला कदम और मिशन कश्मीर क्या है?
‘BJP को घाटी में एक साथी की जरूरत जो दिखने में अलग, लेकिन अंदर से साथ हो’
CSDS के प्रोफेसर अभय कुमार दुबे का कहना है कि इस बात की मजबूत संभावना है कि जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद नई पार्टी बनाएंगे। ऐसा उन्होंने अपने कुछ इंटरव्यू में भी कहा है। लगता है कि इन सबके पीछे BJP है। भाजपा को लग रहा है कि जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए घाटी में उसे एक साथी की जरूरत है। ऐसा साथी जो दिखने में BJP से अलग हो, लेकिन अंदर से उसके साथ हो। भाजपा के इस सपने को गुलाम नबी आजाद ही पूरा कर सकते हैं।’
‘चुनाव के बाद गुलाम नबी की पार्टी और BJP मिलाएंगे हाथ’
पॉलिटिकल एक्सपर्ट राशिद किदवई का कहना है कि पिछले साल भर में गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर में करीब 100 से ज्यादा रैलियां कर चुके हैं। ऐसे में साफ है कि वह यहां की राजनीति में एंट्री करने वाले हैं। आजाद की पार्टी कश्मीर में 10 या इससे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब होती है तो इससे BJP की मदद से सरकार भी बन सकती है।
किदवई ने यह भी कहा कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले आजाद की पार्टी शायद BJP से किसी तरह का गठबंधन नहीं करे, लेकिन चुनाव के बाद ऐसा हो सकता है। यहां लोग नए विकल्प की तालाश में हैं ऐसे में पुराने नेता होने और कश्मीरियत की बात करने की वजह से आजाद की पार्टी को लाभ मिल सकता है।
अब इन 3 घटनाओं के बारे में पढ़िए जिससे BJP और गुलाम नबी आजाद की नजदीकी के संकेत मिलते हैं…
1. 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने संविधान से अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35A को खत्म कर दिया। इसके बाद महबूबा मुफ्ती, फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला समेत सभी बड़े नेताओं को हिरासत में लेकर नजरबंद किया गया था, लेकिन गुलाम नबी इस वक्त भी आजाद थे।
2. फरवरी 2022 के बाद गुलाम नबी आजाद लोकसभा और राज्यसभा किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। उनके पास कोई दूसरा अहम पद भी नहीं है। इसके बावजूद लुटियंस में उनका बंगला खाली नहीं कराया गया। अगस्त 2022 में ही उनके बंगले का एक्सटेंशन दे दिया गया।
3. 29 अगस्त को गुलाम नबी आजाद ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘मैं तो मोदी जी को क्रूर आदमी समझता था। मुझे लगता था कि उन्होंने शादी नहीं की है और उनके बच्चे नहीं हैं तो उन्हें कोई परवाह नहीं है, लेकिन कम से-कम इंसानियत तो उनमें है।’