ग्वालियर : स्कूल की राह में दांव पर नौनिहालों की जान

वाहन में क्षमता 12 बच्चे बैठाने की लेकिन 27 बच्चे थे सवार …

दुर्घटना में 15 बच्चे घायल ….

ग्वालियर. भिंड की आज की घटना ने एक बार फिर घोर सरकारी लापरवाही को उजागर कर दिया। जीवन संवारने के लिए लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं लेकिन अधिकतर स्कूल प्रबंधन पैसा बचाने के फेर में नौनिहालों की जिंदगी दांव पर लगा रहें है। स्कूल से घर और घर से विद्यालय के लिए परिवहन के दौरान बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन की अव्यवस्था और प्रशासन की निष्क्रियता मासूम नौनिहालों पर भारी पड़ रही है।
स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर 8 जुलाई को उच्चतम न्यायालय के निर्णय के तहत जारी गाइडलाइन को भी दरकिनार किया जा रहा है। इसकी पालना करवाने वाले भी मौन हैं। भिण्ड में प्राइवेट स्कूल के वाहन पलटने से घायल हुए एक दर्जन से ज्यादा बच्चों के हादसे ने उनके परिवारों को ही नहीं बल्कि शहर के आम नागरिक को भी झकझोर दिया है। वाहन में क्षमता 12 बच्चे बैठाने की थी लेकिन 27 बच्चे सवार थे। दुर्घटना में 15 बच्चे घायल हो गए कुछ को गंभीर हालत में ट्रोमा सेंटर में भर्ती करवाना पड़ा है। जिन वाहनों में बच्चों को स्कूल से घर और घर से स्कूल लाया और ले जाया जा रहा है उन वाहनों की फिटनेस ,मानक अनुसार गति नियंत्रक यंत्र स्कूल बैग रखे जाने के लिए अलग से व्यवस्था ,बस में डबल दरवाजा तथा आपात खिडक़ी ,फस्र्टएड बॉक्स, चालक वाहन की वर्दी, वाहन में जीपीएस सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे,वाहन के अंदर अग्निशामक यंत्र के अलावा चालक परिचालक के वर्दी में होने और बिना नशे के वाहन चालने की व्यवस्थाओं को चेक करने और खामियां पाए जाने पर अंकुशात्मक कार्रवाई करने के लिए संबंधित विभागों के अफसरों को फुर्सत ही नहीं। फिर आखिरकार नौनिहालों को मौत के मुहाने पर रोज रखे जाने से कौन बचाएगा। इन पर कर्रवाई के लिए यातायात पुलिस, परिवहन विभाग तथा शिक्षा विभाग के अधिकारी आगे आ सकते हैं। क्या वजह है कि स्कूली वाहनों का आकस्मिक निरीक्षण नहीं किया जा रहा। बच्चों की जान से क्यों खिलवाड़ किया जा रहा है। भिण्ड में जो स्कूली वाहन पलटा उसमें उच्चतम न्यायालय की गाइडलाइन अनुसार व्यवस्थाएं नहीं थीं। हालांकि अब जिम्मेदार चालक का लाइसेंस निरस्त करने और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में बच्चों को ले जाने वाले वाहनों के खिलाफ अभियान चलाने की बात कह रहे हैं। क्या वजह है कि स्कूली वाहनों का आकस्मिक निरीक्षण नहीं किया जा रहा यह भी जांच का विषय है। बहरहाल देखना ये है कि प्रशासन इस हादसे के बाद कार्रवाई करेगा या मामूली घटना समझते हुए मामले को रफादफा कर सबकुछ यूं ही चलने दिया जाएगा।

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