MP: कागजों में बंट गया 110 करोड़ का राशन …!
THR और मुफ्त भोजन योजना में घोटाला …
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1,125.64 मीट्रिक टन टीएचआर ट्रकों के माध्यम से वितरित किया गया था, लेकिन पंजीकृत वाहनों के सत्यापन के दौरान यह पाया गया कि ये ट्रक मोटरसाइकिल, कार, ऑटो और टैंकर के रूप में पंजीकृत थे.
मध्यप्रदेश में टेक होम राशन (टीएचआर) और मुफ्त भोजन योजना में बड़ी अनियमितता सामने आई है. यह खुलासा सरकार की एक आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है. इसमें फर्जी लाभार्थियों और आपूर्ति ट्रकों को दिखाकर वर्ष 2020-21 के दौरान 110.83 करोड़ रुपए का राशन सिर्फ कागजों में बांट दिया गया. डब्ल्यूसीडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव, अशोक शाह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मसौदा रिपोर्ट के निष्कर्षों को अंतिम रूप देने से पहले सत्यापित किया जाएगा.
स्कूल से बाहर टीएचआर वितरण पर रोक
डब्ल्यूसीडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव, अशोक शाह ने कहा कि रिपोर्ट में बताया गया है कि टीएचआर के वितरण के लिए दिखाए गए ट्रक नंबर, किसी और वाहन के रूप में पंजीकृत थे. इसी तरह, इस साल अप्रैल में केंद्र ने मप्र सरकार की सिफारिश के आधार पर स्कूल से बाहर किशोरियों को टीएचआर वितरण रोक दिया था. इसमें यह निर्णय लिया गया कि स्कूलों में आने वालों को टीएचआर देने के बजाय मध्याह्न भोजन दिया जाए.
केंद्र ने कराया सर्वे
रिपोर्ट के अनुसार, आंगनवाड़ी केंद्रों के सत्यापन में राज्य के एमआईएस पोर्टल के विपरीत, आठ जिलों के 49 आंगनवाड़ी केंद्रों में केवल तीन किशोरियां पंजीकृत पाई गईं, जहां पहले संख्या 63,748 थी. केंद्र ने पहले राज्य के डब्ल्यूसीडी विभाग से ओओएसएजी की पहचान करने के लिए अप्रैल 2018 तक सर्वे करने का अनुरोध किया था. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है, शिक्षा विभाग ने 2018-19 में केवल 9,000 ओओएसएजी का अनुमान लगाया था, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग ने 36.08 लाख मान लिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि डब्ल्यूसीडी विभाग ने आखिरकार स्वीकार किया कि यह आंकड़ा लगभग 5.5 लाख बढ़ा दिया गया गया है.
विभाग में पारदर्शिता लाने की कोशिश
भाजपा नेता और पूर्व डब्ल्यूसीडी मंत्री इमरती देवी की उपचुनावों में हार के बाद पद से हटा दिया गया था. इसके बाद 2020 से डब्ल्यूसीडी विभाग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की देखरेख में है. शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रालय संभालने के बाद, सभी फर्जी लाभार्थियों को बाहर निकालने और पारदर्शिता लाने का निर्णय लिया गया था. एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के साथ पहले दौर की बैठक हो चुकी है. उनकी मदद से विभाग पारदर्शिता लाएगा और जवाबदेही बढ़ाएगा.