ग्वालियर : बिना अनुमोदन भर्ती के अलावा पीएफ में भी हुई थी गड़बड़ी, चार वर्षों से परेशान हैं आउटसोर्स कर्मचारी
ठेके पर काम करने वाले 1882 कर्मचारियों के ईपीएफ का 12 करोड़ के घोटाला का मामला फिर से सामने आया है।
ग्वालियर. नगर निगम में आउटसोर्स कर्मचारियों की फर्जी भर्ती का मामला अभी थमा भी नहीं है कि एक बार फिर से ठेकेदारों और अधिकारियों की जुगलबंदी से नगर निगम में ठेके पर काम करने वाले 1882 कर्मचारियों के ईपीएफ का 12 करोड़ के घोटाला का मामला फिर से सामने आया है। हालांकि यह मामला वर्ष 2020 से चला आ रहा है, लेकिन आउटसोर्स कर्मचारियों की फर्जी भर्ती के साथ अब इस मामले ने भी तूल पकड़ लिया है। इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत की गई और एक पत्र भी प्रधानमंत्री कार्यालय से आया था, लेकिन दो साल से अधिक समय बीतने के बावजूद अब तक न तो ठेका लेने वाली एजेंसियों पर कार्यवाही की गई और न ही भुगतान करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया।
कॉर्पोरेट घरानों से लेकर ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन से भविष्य निधि (ईपीएफ) के रूप में पैसा काटा जाता है। इसमें वेतन की 12.5 प्रतिशत राशि कर्मचारी के वेतन से एवं इतना ही पैसा ठेकेदार द्वारा ईपीएफ फण्ड में जमा कराया जाता है। यह पैसा इसलिए जमा कराया जाता है ताकि किसी भी विपदा एवं आपत्ति में कर्मचारी पैसा निकालकर अपना काम चला सके। नगर निगम में कलेक्ट्रेट दर पर कर्मचारी रखे गए हैं। इसमें कुशल, अकुशल का अलग-अलग वेतन है। इन कर्मचारियों का लगभग एक हजार रुपय महीना वेतन से कटता है और इतनी ही राशि ठेकेदार को ईपीएफ में जमा करनी होती है। दो हजार रुपए महीना एक कर्मचारी का ईपीएफ होता है जो 24 हजार रुपये एक साल का हो जाता है। लोकसूचना के तहत 3 फरवरी 2020 को मिली जानकारी के अनुसार राज सिक्योरिटी द्वारा नगर निगम में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या 531 बताई गई थी, जिनकी यूनिक आईडी 5 मार्च 2019 को बनाई गई थी और ईपीएफ ईएस आई का पैसा पचास लाख रुपए जमा कराया गया था, जबकि नगर निगम ग्वालियर में 1882 आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन दिसंबर 2016 से निकाली जा रहा था। इस मामले में जब स्वयंसेवक अधिकारी कर्मचारी संघ मध्यप्रदेश ने शिकायत की तो फरवरी माह में 2020 में निगम में शिविर लगाकर यूएन आई डी बनवाई गई थी जिसमें राज सिक्योरिटी द्वारा बकाया कर्मचारियों की नियुक्ति जनवरी 2020 बताकर यूएन आईडी बनाकर ईपीएफ का पैसा जमा कराया गया। फर्जी भर्ती घोटाले को छुपाने व ईपीएफ घोटाले को छुपाने के लिए तत्कालीन आयुक्त संदीप माकिन द्वारा लगभग 300 आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था, उनकी जगहा नई भर्ती करके यूएन आई डी बनाई गई। अभी भी लगभग 220 कर्मचारियों की यूएन आईडी नहीं बनाई गई है न ही ईपीएफ ईएसआई का पैसा जमा कराया गया है। इस मामले में जब शिकायत की गई तो आनन फानन में दिखाने के लिए समिति गठित की गई। जिसको एक माह में अपना प्रतिवेदन देना था लेकिन निगम अधिकारियों के द्वारा मिली भगत करके कंपनी को फायदा पहुंचाने एंव फर्जी भर्ती घोटाला छुपाने के लिए सिर्फ बकाया कर्मचारियों की यूएनआईडी बनाकर नगर निगम के ईपीएफ के नाम पर फर्जी भुगतान लिया गया है।