UP: 207 पंचायतों के फंड में ‘करोड़ों का गबन’, प्रधान और सचिवों पर लटकी तलवार
गबन के इस खेल में कई लोगों के मिलीभगत होने की आशंका जाहिर की जा रही है. वहीं, डीपीआरओ ने साफ निर्देश दिए हैं कि सप्ताह भीतर हिसाब ना देने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.
कानपुर में सर्वाधिक घोटाला तहसील घाटमपुर के भीतर गांव क्षेत्र में पाया गया है. यह घोटाला लेखा परीक्षा अधिकारी की 3 साल की ऑडिट रिपोर्ट के सामने आने के बाद प्रकाश में आया है. अभी तक 68 पंचायतों में 9.59 करोड़ रुपए का गड़बड़झाला सामने आया है. वहीं, इस मामले में प्रधान वीरेंद्र त्रिपाठी व सचिव शैलेंद्र कुमार को जिम्मेदार माना गया है. कुल मिलाकर 207 ग्राम पंचायतों में ऑडिटर की ऑडिट में 27 करोड़ का बंदरबाट सामने आया है.
इन ग्राम पंचायतों में सबसे ज्यादा घपला
वर्ष 2019-20 में कल्याणपुर को छोड़कर, बाकी 9 ब्लॉकों की 153 ग्राम पंचायतों में 21 करोड़ों का घपला किया गया है. सरसौल में 72.6 9 लाख, बिधनू में 1.98 करोड़ बिल्हौर में 1.06 करोड़, शिवराजपुर में 1 .64 करोड़, चौबेपुर में 3.04 करोड़ ककवन में 1.60 करोड़, घाटमपुर में 1 .78 करोड़, भीतर गांव में 8.28 करोड़ और बता रा में 9.33 लाख का गबन ऑडिट में सामने आया है. जबकि वर्ष 2020 21 सिर्फ भीतर गांव की 18 और शिवराजपुर की 36 पंचायतों में 6.37 करोड का गबन किया गया है. पूरी ऑडिट में एक बात तो साफ हो गई है कि ग्राम प्रधानों और ग्राम पंचायतों के जिम्मेदारों ने सचिवों के साथ मिलकर कामना कराते हुए पैसों की बंदरबांट की है.
हिसाब ना देने वाले प्रधानों के खिलाफ होगी कठोर कार्रवाई
पूरे मामले में कानपुर के जिला पंचायत राज अधिकारी कमल किशोर का कहना है कि ऑडिट होने पर ग्राम पंचायतों में 27 करोड़ का अधिकार निकाला है. घोटाले के मामले में डीपीआरओ का सख्त निर्देश है कि घोटाले से संबंधित प्रधानों और सचिव को नोटिस देकर कर चुकी धन राशि का हिसाब लिया जाए. डीपीआरओ ने साफ निर्देश दिए हैं कि सप्ताह भीतर हिसाब ना देने वाले प्रधानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.