भिंड /अटेर : महिला जनपद सदस्यों के पति-बेटों को सीईओ ने बाहर का रास्ता दिखाया …!

बैठक का बहिष्कार क्योंकि हम पुरुष नहीं चाहते कि हमारे घर की महिलाएं सशक्त …

अटेर जनपद के पहले साधारण सभा के सम्मेलन में महिला सदस्यों के साथ आए उनके पति और बेटों को बाहर कर दिया गया, जिसके बाद नाराज सदस्यों न सिर्फ बैठक का बहिष्कार कर दिया। बल्कि बैठक में उनके पति और बेटे को बैठने से रोकने वाले अटेर जनपद के प्रभारी सीईओ उदय सिंह सिकरवार पर जमकर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए। उनका कहना था कि जब प्रशासन को ही सबकुछ अपनी मर्जी से करना था तो आखिर चुनाव क्यों कराए गए।

वहीं इस संबंध में जब सीईओ सिकरवार से पूछा गया तो उन्होंने शासन के आदेश का हवाला देते हुए बैठक में निर्वाचित सदस्यों के प्रतिनिधियों को बाहर जाने के लिए बोलने की बात कही। साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप पर वे बोले उन्हें नहीं लगता उन्होंने कोई ऐसा कृत्य किया है, जिसमें भ्रष्टाचार हुआ है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों सशक्तिकरण एवं ग्रामीण विकास में उनकी भूमिका को मजबूत करने के उद्देश्य से ग्राम सभाओं और बैठकों में उनकी सक्रिय भागीदारी हो। लेकिन सरकार का यह आदेश नवनिर्वाचित महिला सदस्यों के पति और बेटों को रास नहीं आ रहा है।

मंगलवार को जब अटेर जनपद की पहली बैठक में महिला जनपद सदस्यों के साथ उनके पति व बेटे आए तो उन्हें बाहर किया गया तो उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने जनपद सीईओ सिकरवार पर जमकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाना शुरू कर दिया। हालांकि जनपद अध्यक्ष अटेर के पुत्र विकास शर्मा का कहना है कि जो निर्वाचित महिला सदस्य पढ़ना नहीं जानती हैं, उनके साथ एक प्रतिनिधि का रहना आवश्यक है। ताकि ठहराव प्रस्ताव में क्या लिखा है वह पढ़ तो लेंगे। वहीं अध्यक्ष का कहना है कि सीईओ को हटाने के लिए आंदोलन करूंगी, हमें तो दूसरे सीईओ साहब चाहिए।

अध्यक्ष बेटे का आरोप- बिना अनुमोदन के पास किए बिल
अटेर जनपद अध्यक्ष कमला शर्मा के बेटे विकाश शर्मा ने आरोप लगाया कि जनपद की सदस्यों की शपथ ग्रहण 7 अगस्त को हुई थी। उसके बाद नियमानुसार कोई भी भुगतान बिना जनपद परिषद के अनुमोदन के नहीं हो सकता। लेकिन जनपद अटेर में धड़ल्ले से भुगतान किए जा रहे हैं। उनका आरोप है कि मनरेगा में मशीनों से कार्य हो रहा है। इंजीनियर नीचे से कमीशन खा रहे हैं। जनता को जबाव उन्हें देना पड़ता है।

अब परिषद की बैठक में भी नहीं बैठ पाएंगे पार्षद पति
मंगलवार को कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि त्रिस्तरीय पंचायतों एवं नगरीय निकायों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के स्थान पर बैठकों में निर्वाचित जनप्रतिनिधि के उपस्थित न होकर अन्य किसी भी व्यक्ति द्वारा बैठक में उपस्थित होकर भाग लेना वर्जित किया गया है। यदि कोई निर्वाचित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पार्षद, सरपंच एवं पंच सदस्यों आदि के स्थान पर उनके परिजन अथवा अन्य व्यक्ति शासकीय बैठकों में भाग लेते हुए पाए जाते हैं तो ऐसी स्थिति में मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 एवं मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 के अंतर्गत नियम विरुद्ध पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जिला और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और नगरीय निकाय के मुख्य नगरपालिका अधिकारी यह कार्रवाई प्रारंभ करेंगे। बता दें कि सोमवार को भिंड नगरपालिका में आयोजित पीआईसी (प्रेसीडेंट इन काउंसिल) की बैठक में महिला पार्षदों के साथ उनके परिजन ने भी भाग लिया था। यह खबर दैनिक भास्कर में प्रकाशित होने के बाद कलेक्टर ने यह आदेश जारी किया है।

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