कानपुर : गंगा में जहरीला पानी जाने पर FIR ..!
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक ने कानपुर रिवर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड पर दर्ज कराई रिपोर्ट ..
गंगा में टेनरियों का केमिकल युक्त और नाले का पानी जाने जाने पर कंपनी पर मुकदमा दर्ज हो गया। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने जाजमऊ थाने में केस दर्ज कराया। कानपुर रिवर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और इसकी सयोगी कंपनी कंससनेयर को आरोपी बनाया गया है।
ट्रीटमेंट प्लांट के इरिगेशन चैलट का गेट ढह गया था। जिससे करोड़ों लीटर गंदा पानी सीधे गंगा में चला गया। ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण का काम देखने वाली कंपनी की लापरवाही मिली थी। जांच के दौरान निजी कंपनी की लापरवाही सामने आई है। इसके बाद कार्रवाई की गई है।
गंगा में गया जहरीला पानी
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई कानपुर के परियोजना प्रबंधक जीके चौधरी ने बताया, “नमामि गंगे परियोजना के तहत नए सीवेज और ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण का काम चल रहा है। पुराने ट्रीटमेंट प्लांट के मेंटेनेंस का काम 15 साल के लिए निजी कंपनी कनसेसनेयर को दिया गया है। इसके अंतर्गत कानपुर के 43 एमएलडी एसटीपी जाजमऊ, 210 एमएलडी एसटीपी बिनगवां, 42 एमएलडी एसटीपी सजारी और 130 एमएलडी एसटीपी जाजमऊ का काम कंपनी के पास है। इसके साथ ही जाजमऊ कैंपस स्थित 36 एमएलडी सीईटीपी के ट्रीटेड एफ्लूएंट चैनल के बगल में नया ट्रीटेड एफ्लूएंट पंप हाउस और क्लोरीन यूनिट (सीयू) का निर्माण भी यही कंपनी कर रही है।
निर्माण के दौरान कंपनी ने एफ्लुएंट चैनल के काफी करीब लापरवाही करते हुए नॉन टेक्निकल तरीके से तीन मीटर गहरी खुदाई करके छोड़ दिया। इस वजह से 15 सितंबर को हुई भीषण बारिश के दौरान ट्रीटेड एप्लूएंट चैनल ढह गया और करोड़ों लीटर जहरीला क्रोमियम युक्त व नाले का पानी सीधे गंगा में जाने लगा। 15 से 17 सितंबर तक सीधे गंगा में जहरीला पानी गिरा। लापरवाही को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कंपनी के अफसरों को पहले जमकर फटकार लगाई थी। अब मामले में एफआईआर दर्ज कराई है।
इन धाराओं में हुई एफआईआर
धारा 269: जानकारी होने के बाद भी अगर कोई ऐसा काम करता है जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना संभव है। वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह महीने तक होगी या फिर जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
धारा 277: जो कोई किसी लोक जल-स्रोत या जलाशय के जल को स्वेच्छया इस प्रकार भ्रष्ट या कलुषित करेगा कि वह उस प्रयोजन के लिए, जिसके लिए वह मामूली तौर पर उपयोग में आता हो, कम उपयोगी हो जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी। या फिर जुर्माना और सजा दोनों की होगी।
धारा 284: जो कोई किसी विषैले पदार्थ से कोई कार्य ऐसे उतावलेपन या उपेक्षा से करेगा, जिससे मानव जीवन संकटापन्न हो जाए, या जिससे किसी व्यक्ति को, उपहति या क्षति कारित होना सम्भाव्य हो ।
धारा 427: जो भी ऐसी कोई कुचेष्टा करेगा और जिससे पचास रुपए या उससे अधिक की हानि या नुकसान हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा।
213 टेनरियों का जहरीला पानी सीधे गंगा में गिरा
इन ट्रीटमेंट प्लांट से 213 कंपनियों का पानी शोधित होने के बाद गंगा में जाता है। लेकिन कंपनी की लापरवाही से ट्रीटमेंट प्लांट का चैनल ढह जाने से गंगा में 213 टेनरियों का पानी सीधे गंगा में जाने लगा। इसके बाद आनन-फानन में टेनरियों को बंद करने का आदेश जारी किया गया।
चार प्लांट में 21.7 करोड़ लीटर पानी होता है शोधित
जाजमऊ में 21.7 करोड़ लीटर गंदा पानी शोधित करने की क्षमता वाले एसटीपी में चार प्लांट लगे हुए हैं। इनमें से एक 36 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) क्षमता वाले प्लांट में टेनरियों का क्राेमियम युक्त जहरीला पानी भी शोधित होता है। अन्य तीन प्लांटों में टैप किए गए सीसामऊ नाला समेत अन्य नालों का पानी शोधित किया जाता है। चारों प्लांट में शोधित पानी सीवेज एंफ्लूएंट हाउस में पहुंचता है और वहां से एरीगेशन चैनल के जरिए नहर में भेजा जाता है। नहर का पानी शेखपुर, जाना, मोतीपुर, मदारपुर समेत अन्य गांवों में जाता है और सिंचाई के काम आता है।