आगरा के आईजी को मिला अनूठा इनाम, ग्रामीण ने खुश होकर भेजा 500 रुपये का चेक

आगरा के आईजी सतीश गणेश को अनूठा सम्मान मिला है. उन्हें एक ग्रामीण ने 500 रुपये का चेक और प्रशंसापत्र भेजा है जिसमें आईजी के काम की तारीफ की गई है

आगरा: आगरा के आईजी सतीश गणेश को एक अनोखा सम्मान मिला है. एटा के रहने वाले एक शख्स ने आईजी की कार्यप्रणाली से खुश होकर उन्हें एक प्रशंसा पत्र और 500 रुपये का चेक भेजा है. आईजी सतीश गणेश आगरा के हाइवे पुलिस थाने पहुंचे थे और पुलिस के काम करने के तरीके की जांच की थी. उनकी ये कार्यशैली एक शख्स को बहुत पसंद आई और यही कारण है कि उन्होंने आईजी को ये चेक भेजा है.

 

विजयपाल सिंह नाम के शख्स ने पत्र में लिखा है कि उन्होंने अखबार में आईजी की कार्यशैली के बारे में पढ़ा था. उन्होंने लिखा,”अक्सर देखा जाता है कि पुलिस थाने में गरीब और असहाय लोगों का मुकदमा नहीं लिखा जाता और उनको थाने से भगा दिया जाता है. आपकी कार्यशैली से खुश होकर मैं 500 रुपये बतौर ईनाम चेक के माध्यम से भेज रहा हूं.”

 

ये था पूरा मामला

 

दरअसल आगरा के आईजी सतीश गणेश बिना सरकारी गाड़ी और वर्दी के पुलिस थाने में पहुंच गए. वहां उन्होंने अपना परिचय कर्नल सतीश कुमार का दिया. पुलिस वालों को उन्होंने बताया कि उनकी कार से लैपटॉप चोरी हो गया है. इससे पहले उन्होंने 100 नंबर पर भी फ़ोन कर चोरी के बारे में बता दिया था. जब उन्हें लोकेशन शेयर करने के लिए बताया गया तो आईजी ने कहा कि उनके पास स्मार्ट फ़ोन नहीं है. ऐसा बता कर वे नज़दीक के पुलिस थाने की तरफ़ बढ़ गए.

 

आईजी ने थाने में बताया कि गाड़ी में कुछ ज़रूरी दस्तावेज रखे थे, वे भी ग़ायब हैं. कर्नल बने आईजी ने वहां के थानेदार से मिलने की बात बताई. उन्हें तुरंत थानेदार से मिलवाया गया. उन्होंने थानेदार को बताया कि वे बिहार के रहने वाले हैं और चोरी का मुक़दमा लिखवाना चाहते हैं. उन्हें पानी पिलाया गया, चाय के लिए पूछा गया. फिर कर्नल बने आईजी ने अंग्रेज़ी में मुकदमा लिखा. थानेदार रामपाल सिंह भाटी ने पूरे सम्मान के साथ उन्हें एफआईआर की कॉपी दी. आईजी के टेस्ट में जब थानेदार पास हो गए, फिर उन्होंने अपना सही परिचय दिया. उन्होंने बताया कि वे कर्नल नहीं हैं. थानेदार समेत सभी पुलिसवालों ने उन्हें सैल्यूट दिया.

 

सतीश गणेश 1996 बैच के आईपीएस अफसर हैं. थोड़े वक्त पहले ही उन्हें आगरा का आईजी बनाया गया. इससे पहले वे लखनऊ में पीएसी में तैनात थे. कर्नल बन कर उन्होंने थानेदार का टेस्ट लिया. टेस्ट में रामपाल सिंह भाटी पास हुए. आईजी ने उन्हें 5 हज़ार रूपये का ईनाम भी दिया.

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