UP, MP और राजस्थान में 8-8 कार्यकाल की पेंशन ले रहे पूर्व विधायक, जानिए पंजाब ने क्यों बदला नियम?

आइए जानते हैं राजस्थान, UP और मध्य प्रदेश में पूर्व विधायकों को कितनी पेंशन मिलती है? इसके अलावा उन्हें और क्या सुविधा मिलती है? साथ ही यह हर कार्यकाल के साथ कैसे बढ़ती जाती है?

पंजाब में पूर्व विधायकों को इसलिए ज्यादा पेंशन मिलती थी

  • 26 अक्टूबर 2016 में पंजाब में पूर्व विधायकों को मिलने वाली पेंशन में संशोधन किया गया था। इसके तहत पूर्व विधायकों को उनके पहले कार्यकाल के लिए पेंशन के रूप में 15 हजार रुपए और इसके बाद अगले हर कार्यकाल के लिए 10 हजार रुपए देने का प्रावधान किया गया।
  • इस रकम में पहले 50 फीसदी DA मर्ज होगा और उसके बाद बनने वाली कुल रकम में फिर से 234% महंगाई भत्ता जुड़ जाएगा। इस तरह पूर्व विधायकों को काफी फायदा हुआ, क्योंकि इससे 15000 पेंशन में 50% DA यानी 7,,500 रुपए जुड़ने से 22500 रुपये बने। अब 22,500 में 234 फीसदी DA यानी 52,650 रुपये और जुड़ने से कुल पेंशन 75,150 रुपये बन जाती है।
  • इसी नियम के चलते कई नेताओं को 5 लाख रुपए तक की पेंशन मिलती थी। अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल 11 बार विधायक रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें 5.76 लाख रुपए की पेंशन मिलती थी। हालांकि, उन्होंने इस बार विधानसभा चुनाव में हार के बाद अपनी पेंशन नहीं लेने का ऐलान किया था।

मुख्यमंत्री भगवंत मान की पंजाब के पूर्व विधायकों की मोटी पेंशन रोकने की घोषणा से हर साल पंजाब सरकार के करोड़ों रुपए बचेंगे।

MP में पहले कार्यकाल के बाद पूर्व विधायकों की पेंशन हर साल 9,600 रुपए बढ़ जाती है

  • मध्य प्रदेश विधानसभा के सेक्शन 6 A के तहत, मध्य प्रदेश में पूर्व विधायकों को हर महीने 20 हजार रुपए की पेंशन मिलती है।
  • ये सुविधा हर पूर्व विधायक को मिलती है, फिर चाहे उसने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया हो या नहीं। उपचुनाव जीतकर कार्यकाल पूरा न कर पाने वालों को भी 20 हजार रुपए प्रति माह की पेंशन मिलती है।
  • पांच साल से ज्यादा विधायक रहने वालों की पेंशन में हर साल 800 रुपए हर महीने के हिसाब से पेंशन जुड़ती जाती है।
  • इसका मतलब ये है कि अगर कोई दोबारा विधायक बना और उस दौरान जितने साल विधायक रहा, तो 20 हजार रुपए प्रति माह की पेंशन के अलावा हर साल उसकी पेंशन में 800 रुपए महीने और मिलते हैं, यानी सालाना 9,600 रुपए और उसकी पेंशन में जुड़ जाते हैं।
  • इसका मतलब है कि अगर उसने दो कार्यकाल पूरे किए हैं, तो उसे 24 हजार रुपए मासिक पेंशन मिलेगी।

फैमिली पेंशन

  • पूर्व विधायक की मृत्यु की तारीख से उसके पति/पत्नी, या मृतक आश्रित को हर महीने 18 हजार रुपए की फैमिली पेंशन मिलती है।
  • हर साल फैमिली पेंशन में 500 रुपए जुड़ जाते हैं।
  • पूर्व विधायकों को हर महीने 15 हजार रुपए का मेडिकल भत्ता और राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा मिलती है।

रेलवे की यात्रा में छूट

  • पेंशन के हकदार सभी पूर्व विधायकों को अपनी पति/पत्नी या एक अटेंटडेंट के साथ रेलवे के फर्स्ट एसी या सेकेंड एसी कोच में यात्रा के लिए रेलवे के कूपन मिलते हैं।
  • इस रेलवे कूपन से वे राज्य भर में बिना रोक-टोक कहीं भी यात्रा करने को स्वतंत्र होते हैं।
  • राज्य के बाहर हर फाइनेंशियल ईयर में चार हजार किलोमीटर तक की यात्रा मुफ्त होती है।

राजस्थान में पूर्व विधायकों को कितनी पेंशन मिलती है?

  • यदि किसी विधायक ने 5 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है तो उसे हर महीने 35 हजार रुपए पेंशन के रूप में मिलते हैं।
  • वहीं अगर कोई दूसरी बार विधायक बनता है और अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करता है तो इन पांच साल के दौरान हर महीने के हिसाब से 1,600 रुपए और मिलेंगे यानी दो कार्यकाल पूरा करने के बाद उसे हर महीने 43 हजार रुपए मिलने लगेंगे।
  • वहीं 70 वर्ष की उम्र होने पर इसमें 20% की वृद्धि होगी और 80 वर्ष का होने पर यह 30% बढ़ जाएगी।
  • उप चुनाव में जीते विधायकों को उनकी शपथ लेने की तारीख से विधानसभा खत्म होने के पीरियड को 5 साल मानकर पेंशन दी जाएगी।

फैमिली पेंशन

  • विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले यदि किसी विधायक की मौत हो जाती है तो ऐसे में उसके आश्रितों को हर माह वही पेंशन मिलेगी. जो पूर्व विधायक को मिलती है।
  • वहीं, पूर्व विधायक के निधन के बाद उनकी पत्नी या पति को 17,500 रुपए या उन्हें मिली लास्ट पेंशन का 50%, जो भी ज्यादा हो वह पेंशन के रूप में मिलता है।

मेडिकल सुविधा

सभी पूर्व विधायकों को राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम यानी RGHS के तहत कैशलेस मेडिकल सुविधा मिलती है।

ट्रैवल सुविधा

  • पूर्व विधायकों को दो फ्री पास मिलते हैं। इससे वे और उनके साथ कोई और व्यक्ति राजस्थान की सरकारी बसों में फ्री यात्रा कर सकते हैं।
  • इसके साथ ही पूर्व विधायक अपने साथ एक व्यक्ति को लेकर किसी फाइनेंशियल ईयर में 1 लाख रुपए तक रेल, फ्लाइट या शिप से किसी भी कैटेगरी में यात्रा कर सकते हैं। यदि पूर्व विधायक एक साल में 70 हजार रुपए ही ट्रैवल पर खर्च कर पाते हैं तो ऐसे बचा हुआ पैसा अगले साल के ट्रैवल भत्ते में जुड़ जाएगा।
  • इसके अलावा भी पूर्व विधायकों को कई और सुविधाएं मिलती हैं।

उत्तर प्रदेश में पूर्व विधायकों को पेंशन के साथ मिलता है जीवन भर मुफ्त रेलवे पास

  • उत्तर प्रदेश में 2000 से ज्यादा पूर्व विधायक हैं।
  • उत्तर प्रदेश में पूर्व विधायकों को हर महीने 25 हजार रुपए पेंशन मिलती है।
  • 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले विधायकों की पेंशन में हर साल 2 हजार रुपए की बढ़ोतरी होती जाती है।
  • यानी 10 साल विधायक रहने वालों को हर महीने 35 हजार रुपए की पेंशन मिलती है।
  • इसी तरह 15 साल विधायक रहने वालों को हर महीने 45 हजार रुपए की पेंशन मिलती है।
  • 20 साल विधायक रहने वालों को हर महीने 55 हजार रुपए की पेंशन मिलती है।
  • विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रह चुके लोगों, यानी MLA और MLC को मिलने वाले पेंशन और सुविधाएं एक ही होती हैं।
  • पूर्व विधायकों को सालाना एक लाख रुपए का रेल कूपन मिलता है, जिसमें से 50 हजार रुपए निजी वाहन के डीजल, पेट्रोल के लिए कैश लिए जा सकते हैं।
  • इसके अलावा जीवन भर मुफ्त रेलवे पास और मुफ्त मेडिकल सुविधा का लाभ मिलता है।
  • उत्तर प्रदेश में पिछले 9 बार से विधानसभा का चुनाव जीतने वालों में भाजपा के सुरेश खन्ना, सपा के दुर्गा यादव हैं, जबकि आजम खान 10वीं बार जीते हैं।
  • 2016 में अखिलेश यादव सरकार ने उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायकों की पेंशन को 10 हजार रुपए प्रति महीने से बढ़ाकर 25 हजार रुपए प्रति माह किया था।
अखिलेश यादव ने 2016 में UP के पूर्व विधायकों की पेंशन को 10 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपए प्रति माह कर दिया था

हिमाचल : चुनाव में जीत का सर्टिफिकेट मिलते ही विधायक पेंशन के हकदार हो जाते हैं

  • प्रदेश में विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हाेने के बाद जैसे ही विधायक बनने का सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, वह पेंशन के हकदार बन जाते हैं।
  • यहां पर विधायक काे एक टर्म यानी 5 साल पूरा होने पर हर महीने 36,000 रुपए पेंशन मिलती है। इसके बाद एक और टर्म पूरा करने पर विधायक काे 5,000 रुपए अतिरिक्त पेंशन दी जाती है यानी एक साल का एक हजार रुपए ज्यादा मिलता है।
  • प्रदेश में इस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर और गंगूराम मुसाफिर सहित कई पूर्व विधायक है जिन्हें अधिक पेंशन मिलती है। विधानसभा से जुटाई गई जानकारी के अनुसार विधायकों काे पेंशन बेसिक टर्म 65,000 रुपए DA के साथ मिलता है।

झारखंड

  • झारखंड में एक टर्म के विधायक को 40 हजार रुपए प्रति माह पेंशन राशि निर्धारित है।
  • एक बार 40 हजार रुपए का पेंशन निर्धारित होते ही प्रति वर्ष उसमें केवल 4 हजार रुपए की वृद्धि होती जाएगी, लेकिन पेंशन की अधिकतम राशि एक लाख रुपए से अधिक नहीं होगी।
  • दर्जन भर पूर्व विधायक हैं, जिन्हें एक लाख रुपए प्रति माह पेंशन मिल रही है।

गुजरात

पेंशन नहीं देता गुजरात, सरकारी हॉस्पिटल के मानदंड के अनुसार इलाज के बिल के भुगतान, राज्य परिवहन में मुफ्त यात्रा की सुविधा।

भारत में सांसद और विधायक खुद अपनी सैलरी बढ़ाने पर फैसला करते हैं

दुनिया के अनेक देशों में जनप्रतिनिधियों को वेतन और सुविधाएं मिलती हैं। हालांकि, इसे वह खुद नहीं तय करते हैं बल्कि इसे तय करने का अधिकार अलग संस्थाओं को रहता है। इसके लिए उम्र और सेवा की सीमा तय है। वहीं, ब्रिटेन जैसे देश में इसके लिए आयोग का गठन किया गया हैं। हालांकि, भारत में सांसद व विधायकों की सुविधाओं के संबंध में क्रमश: संसद व विधानसभाएं ही फैसला लेती हैं।

विदेशों में कौन तय करता है सांसदों की सैलरी में बढ़ोतरी

कनाडा में सालाना बढ़ोतरी: हर साल तय होती है और ये पिछले साल के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित होती है।

ब्रिटेन में है आयोग: इंडिपेंटेंड पार्लियामेंट्री स्टैंडर्ड अथॉरिटी में शामिल सांसद, ऑडिटर और पूर्व जज तय करते हैं। सैलरी में सालाना संशोधन होता है, जो पब्लिक सेक्टर की औसत इनकम के अनुसार होता है।

ऑस्ट्रेलिया में एक्सपर्ट्स तय करते हैं: सरकार, इकोनॉमी, कानून और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के एक्सपर्ट्स तय करते हैं, सालाना संशोधित होती है।

न्यूजीलैंड में स्वतंत्र संस्था तय करती है: जज, सांसद और स्वतंत्र कानूनी संस्थाएं तय करती हैं, ये सदन में सांसद या विधायक के पद पर आधारित होती है।

फ्रांस में सिविल सेवकों की सैलरी से तय होता है: हाईएस्ट ग्रेड वाले सबसे ज्यादा और सबसे कम सैलरी वाले सिविल सेवकों की सैलरीज के औसत से तय होती है। सिविल सेवकों की सैलरी को सदन के कोषाध्यक्ष (तीन सांसद) तय करते हैं।

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