मुलायम का राजनीतिक सफर …! 28 की उम्र में विधायक बने, 3 बार यूपी के सीएम रहे; 1992 में बनाई समाजवादी पार्टी
उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय नेता और ‘धरतीपुत्र’ के नाम से पहचाने जाने वाले मुलायम सिंह यादव को सफलता और असफलता ने कभी प्रभावित नहीं किया। नेताजी अपनी उस पीढ़ी के राजनेताओं में से एक थे, जिन्होंने अपने मूल्यों को बरकरार रखा और राजनीति में किसी भी चीज से समझौता नहीं किया।
अपने दमखम और नीतियों से राजनीति दुनिया में मुकाम हासिल करने वाले समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव इस दुनिया में रहें। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने आज (10 अक्टूबर) को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। बीते कुछ दिनों से मेदांता में उनका इलाज चल रहा था। मुलायम सिंह यादव को ‘नेताजी’ और ‘धरतीपुत्र’ के नाम से भी जाना जाता था। वो उत्तर प्रदेश के काफी लोकप्रिय नेता था। यूपी की राजनीति में उनकी एक अलग ही धमक थी। नेताजी के लिए हर कोई महत्वपूर्ण था। चाहे वह उनके परिवार वाले हों या गांव का कोई व्यक्ति। वह दोस्तों के दोस्त थे। वह अपने दुश्मनों को भी दोस्त बना लेते थे।
मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर
मुलायम सिंह ने पहली बार 1967 में राम मनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर करहल से विधानसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने राज्य विधानसभा के सदस्य के रूप में आठ बार सेवा की। 1975 में, इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाने के दौरान, यादव को गिरफ्तार कर लिया गया और 19 महीने तक हिरासत में रखा गया। वह पहली बार 1977 में राज्य मंत्री बने। बाद में, 1980 में उत्तर प्रदेश में लोक दल के अध्यक्ष बने और इसके बाद में जनता दल का हिस्सा बन गए।
1982 में, वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष के नेता चुने गए और 1985 तक उस पद पर रहे। जब लोक दल पार्टी का विभाजन हुआ, तो यादव ने क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी का शुभारंभ किया। मुलायम सिंह यादव पहली बार 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।
मुलायम सिंह यादव एक ऐसे मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने अपने नौकरशाहों से सही तरीके से काम लिया। उन्होंने कड़े फैसले लिए और उनके अधिकारियों ने उन्हें लागू किया। वास्तव में, कई लोग दावा करते हैं कि नौकरशाही का राजनीतिकरण मुलायम के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही शुरू हुआ। पिछले पांच सालों में अखिलेश यादव के पार्टी की कमान संभालने के बाद मुलायम सिंह लोगों के बीच बने रहे।