नोएडा और ग्रेटर नोएडा बनेंगे सेफ सिटी:400 फेस डिटेक्शन कैमरे लगेंगे ..!
नोएडा और ग्रेटर नोएडा बनेंगे सेफ सिटी:400 फेस डिटेक्शन कैमरे लगेंगे; बेंगलुरु की तर्ज तैयार हुआ है ब्लू प्रिंट, 160 करोड़ खर्च होंगे …
नोएडा का आईएसटीएमएस कंट्रोल रूम यहां से ट्रैफिक का लिया जा रहा जाएजा।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपराधियों को पकड़ने के लिए सेफ सिटी प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए यहां फेस डिटेक्शन कैमरे लगाए जाएंगे। कैमरों की जद में कोई भी अपराधी आता है तो इसकी जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को मिल जाएगी। डाटा बेस के जरिए उसकी जानकारी ली जाएगी और उसे पकड़ लिया जाएगा।
बेंगलुरु की तर्ज पर इसे यहां संचालित किया जाएगा। नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 150 बाजार और 245 सरकारी व निजी स्कूलों व ब्लैक स्पाट को सुरक्षित किया जाएगा। ऐसे में सरकार के निर्देश पर पुलिस कमिश्नर की ओर से सेफ सिटी परियोजना के तहत 160 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव तैयार कर नोएडा प्राधिकरण के पास भेज दिया गया है।
![ये चित्र नोएडा के सेक्टर-94 कमांड कंट्रोल रूम का है](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/10/17/new-project-2022-09-12t195025923_1666008427.jpg)
इसके तहत दोनों शहरों में 400 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। जिसको लेकर अब नोएडा प्राधिकरण ने कमांड कंट्रोल सेंटर पर एक सेफ सिटी के लिए नया कंट्रोल रूम तैयार का निर्देश दिया है। ग्रेटर नोएडा शहर के लिए भी नया कंट्रोल रूम तैयार किया जाएगा। इन दोनों कंट्रोल रूम की कंट्रोलिंग ISTMS से की जाएगी।
स्मार्ट सिटी में लगाया जाएगा ये प्रोजेक्ट
लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, बरेली, मुरादाबाद, अलीगढ़, सहारनपुर, झांसी, गाजियाबाद, मेरठ, मथुरा, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, अयोध्या और गोरखपुर शामिल है।
![सीसीटीवी कैमरे में आने के बाद कुछ इस तरह से FRT चेहरे की पहचान करेगा](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/10/17/new-project-2022-10-17t173944449_1666008598.jpg)
जानिए क्या होता फेस डिटेक्शन कैमरे
ये फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी या FRT पर काम करता है। इसकी मदद से किसी भी कैमरा को खास क्षमताएं दी जा सकती हैं। कैमरा इसके फ्रेम में आने वाले सब्जेक्ट के चेहरे पहचानने से लेकर उनके हाव-भाव तक समझ सकता है। कैमरा इस टेक्नोलॉजी की मदद से एक चेहरे से दूसरे चेहरे के बीच अंतर भी समझ जाता है। इसका इस्तेमाल CCTV से लेकर स्मार्टफोन कैमरा तक में किया जा सकता है।
कैसे काम करती है फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी?
फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी किसी चेहरे की पहचान करने या फिर उसके हाव-भाव समझने के लिए कंप्यूटर एल्गोरिदम्स का इस्तेमाल करती है। उदाहरण के लिए, आंखों या ठुड्डी के आकार और नाक और होंठ के बीच की दूरी जैसे पैमाने इसमें मदद करते हैं। यह टेक्नोलॉजी पहले से सेव डाटा का एनालिसिस कर किसी चेहरे से मिलान कर सकती है। फेस डिटेक्शन और एनालिसिस के बाद आखिरी चरण के तौर पर डाटा का मिलान किया जाता है।
![ये चित्र नोएडा के आईएसटीएमएस का है जहां से शहर के ट्रैफिक की मॉनिटरिंग की जा रही है।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/10/17/new-project-2022-09-12t193311462_1666008665.jpg)
चालान से नहीं होगा कोई संबंध
ये कैमरे आईएसटीएमएस की बजाए सेफ सिटी के तहत लगाए जाएंगे। इनका वाहनों के चालान से कोई संबंध नहीं होगा। हालांकि सुरक्षा के तहत वाहनों की नंबर प्लेट व उसमें बैठे लोग भी साफ तौर पर कैमरों में नजर आएंगे। जिन जगह कैमरे लगाए जाएंगे उनमें अधिकतर हिस्सा शहरी क्षेत्र ही है।
नोएडा में इन स्थानों को किया गया चिन्हित
संबंधित स्थानों में मुख्य रूप से सेक्टर-38 शशि चौक के पास, सेक्टर-32 सिटी सेंटर सहित अन्य मेट्रो स्टेशन, सेक्टर-37 बस स्टॉप, महामाया फ्लाईओवर का मोड़, कालिंदी कुंज बार्डर, फिल्म सिटी गेट, सेक्टर-29 गंगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स सड़क के अलावा यू-टर्न व अन्य स्थान शामिल हैं। इसके अलावा स्कूल और शहर के बाजार शामिल है।