अब नाम की सीएम हेल्पलाइन,16 हजार शिकायतों में पुलिस की सबसे ज्यादा
सीएम हेल्पलाइन में आने वाली शिकायतों को अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्वालियर में 16366 शिकायतें पेंडिंग हैं। किसी भी लेवल पर देखें तो शिकायतें ही शिकायतें हैं।
–सीएम हेल्पलाइन पर 16366 शिकायतें पेंडिंग, दूसरे नंबर पर उर्जा विभाग
–पहले ही अफसर ध्यान नहीं देते और वीआइपी मूवमेंट में बढ़ीं संख्या
ग्वालियर. । सीएम हेल्पलाइन में आने वाली शिकायतों को अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्वालियर में 16366 शिकायतें पेंडिंग हैं। किसी भी लेवल पर देखें तो शिकायतें ही शिकायतें हैं। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली सीएम हेल्पलाइन को लेकर जनता भले ही परेशान हो लेकिन अधिकारियों को अब फर्क नहीं पड़ता है। सबसे ज्यादा पुलिस की शिकायतें हैं जिनकी संख्या 1795 हैं। दूसरे नंबर पर उर्जा विभाग और तीसरे पर राजस्व विभाग है। वीआइपी मूवमेंट में प्रशासन से लेकर पुलिस व अन्य विभाग व्यस्त रहे और इधर शिकायतों का ढ़ेर बढ़ता गया। पहले से ही अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे थे फिर वीआइपी डयूटी का ठोस बहाना मिल गया। अब हालत यह है कि दफ्तरों से लेकर हेल्पलाइन तक पर निराकरण नहीं है।
पिछले दस दिनों से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आगमन की तैयारियों के चलते सरकारी विभागों में काम काज बंद जैसा हो गया था। विभागों के प्रमुख अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थीं तो सीएम हेल्पलाइन की तरफ किसी ने झांक कर नहीं देखा। यही कारण रहा कि लेवल वन से लेकर लेवल चार तक शिकायतों का ढ़ेर है। सीएम हेल्पलाइन पर वह शिकायतें पहुंचती हैं जिनका निराकरण निचले स्तर से नहीं मिलता है।
सीएम हेल्पलाइन: पहले भी टाप पर थी पुलिस
विभाग पिछले सप्ताह वर्तमान
पुलिस 1914 1795
उर्जा विभाग 2035 1576
राजस्व 1294 1144
अजा कल्याण 868 875
नपा-निकाय 850 823
खाद्य आपूर्ति 713 781
जेयू 733 714
उदाहरण: ढ़ेर बार लगाई हेल्पलाइन निराकरण नहीं
वार्ड तीन की श्री विहार कालोनी में जलभराव के कारण घरों में पानी भरने की शिकायत लंबे समय से सीएम हेल्पलाइन पर की गई,यहां तक कि चार लाख से ज्यादा का कार्य का एस्टीमेट भी स्वीकृत है। एल चार पर शिकायतें कई बार पहुंची लेकिन फोर्स क्लोज का खेल करके बार बार बंद कर दी गईं।
ऐसा हाल इसलिए: क्योंकि वरिष्ठ अफसरों का डर नहीं
सीएम हेल्पलाइन की ऐसी हालत इसलिए हो गई है क्योंकि अफसरों काे किसी बात का डर ही नहीं है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह हर सोमवार को बैठक लें या भोपाल से समीक्षा होने पर सभी को फटकार लगाएं, लेकिन अफसरों पर असर नहीं होता है। खुद कलेक्टर की फटकार पर निचले स्तर का अमला चेत नहीं रहा है, एसडीएम स्तर तक के अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए थे। हजारों की तादाद में शिकायतें पड़ी हुई हैं, यह खुद में अधिकारियों की कार्यप्रणाली को स्पष्ट बताता है।