मोरबी हादसा: एक रात में खोदी 40 कब्र ..!
श्मशान से कब्रिस्तान तक की रूह कंपाने वाली कहानी ..
मोरबी पुल हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. मोरबी के सबसे बड़े कब्रिस्तान में महज 12 घंटे में 20 लोगों को दफनाया गया. श्मशान में भी ढेरों लाशें जलाई गईं.
मोरबी के सबसे बड़े कब्रिस्तान के मुख्य कार्यवाहक गफ्फूर पास्तिवाला ने कहा, “हमें रात भर में 40 कब्रें खोदनी पड़ीं और 12 घंटे के भीतर 20 लोगों को दफनाया गया, जिनमें 8 बच्चे भी शामिल हैं.” पास्तिवाला ने कहा कि इस घटना ने 200 से अधिक निवासियों को अकल्पनीय दुख में डाल दिया है. पास्तिवाला ने साथ-साथ चार कब्रों की एक पंक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे सुमारा परिवार के थे, जिन्होंने इस त्रासदी में सात सदस्यों को खो दिया, जिनमें 4 बच्चे और 3 महिलाएं शामिल हैं.
वापस नहीं लौटे आमिर और तौफीक…
त्रासदी के एक दिन बाद, व्यवसाय बंद रहे और सड़कों पर एक सुनसान नजारा दिखाई दिया. मोरबी के सबसे पुराने हिंदू श्मशान घाट से लगभग 50 मीटर की दूरी पर, ढोलेश्वर महादेव, जहां तत्कालीन रियासत की मृत्यु में स्मारक है, 25 वर्षीय आमिर रफीक खलीफा और 18 वर्षीय तौफीक अल्ताफ अजमेरी के परिवार गमगीन हैं. कुलीनगर के रहने वाले आमिर और तौफीक रविवार को शहर के सबसे लोकप्रिय आकर्षण झूला कुंड को देखने गए थे और वापस नहीं लौटे.
मोक्षधाम श्मशान में जलती लाशें
मच्छु नदी के उस पार, मोक्षधाम श्मशान में भी कई लाशों का अंतिम संस्कार किया गया. मोक्षधाम श्मशान में, सुरेश परमार दो 10 वर्षीय लड़कों, युवराज और गिरीश मकवाना की जलती हुई लकड़ी की चिता को देखते हुए कहते हैं, “महेश, जो मेरा चचेरा भाई है, अपने बेटे और भतीजे को कुछ चाइनीज खाना खिलाने के लिए गया था. उस दौरान वे पुल भी चला गया और लगभग 1 बजे हमें एक फोन आया जिसमें कहा गया था कि उनके शवों की पहचान कर ली गई है.”
सौराष्ट्र के छोटे से शहर में एक अन्य सामुदायिक कब्रिस्तान में, मुचड़िया परिवार ने अपने तीन युवा लड़कों – चिराग राजेश मुचड़िया और धार्मिक राजेश मुचड़िया, साथ ही उनके चचेरे भाई चेतन राजू मुचड़िया को दफनाया. ये तीनों उन 134 लोगों में शामिल हैं, जिनकी अब तक केबल ब्रिज हादसे में मौत हो चुकी है.