किशोरावस्था में बच्चे जल्दी भटक जाते हैं …

 जानिए किशोर खुद को भटकने से कैसे बचा सकते हैं ..
  • किशोरावस्था बड़ी नाज़ुक होती है, क्योंकि यही समय होता है जब भविष्य बनाने की दिशा में कार्य किए जाते हैं और इसी उम्र में भटक जाने के आसार भी होते हैं। इसलिए उम्र के इस मोड़ पर समझदारी से काम लेना बहुत आवश्यक हो जाता है।

किशोर अवस्था उम्र का वह पड़ाव है, जहां से जीवन के अनगिनत रास्ते निकलते हैं। इसी उम्र में ऊर्जा और क्षमता भी भरपूर होती है। हालांकि, किशोरावस्था में कुछ शारीरिक व मानसिक बदलाव आते हैं जिससे थोड़ा भटकने की आशंका रहती है लेकिन इस उम्र का भटकाव भविष्य को अंधकार में डाल सकता है।

इसके साथ ही यही कॅरियर बनाने का समय भी होता है। इसलिए भटकाव को रोकने के लिए और कॅरियर पर फोकस करने के लिए कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना होगा। कुछ बातों का ख़्याल रखकर किशोर ख़ुद को भटकने से बचा सकते हैं और अपना भविष्य भी सुरक्षित कर सकते हैं।

अभी से करें तैयारी

आपको किस क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना है, ये सिर्फ़ आप तय कर सकते हैं। सबसे पहले अपनी रुचि को ध्यान में रखते हुए ये पता करें कि आप किस क्षेत्र के लिए बने हैं। उसके बाद उसकी तैयारी अभी से ही शुरू कर दें। इससे आपके मन में अपने कॅरियर को लेकर जिज्ञासा बनी रहेगी और आप भटकाव से दूर रहेंगे। पढ़ाई करने के साथ ही जिस क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं धीरे-धीरे उस बारे भी रिसर्च करें और सही दिशा में आगे बढ़ें।

पसंदीदा गतिविधियां करें

हर किसी के कोई न कोई शौक़ होते हैं जैसे खाना पकाना, खेलना, किताबें पढ़ना, पेंटिंग करना आदि। ये शौक़ मन को शांत रखते हैं और इस कारण दिमाग़ इधर-उधर की बातों में नहीं उलझता। इसके अलावा पसंदीदा गाने भी सुन सकते हैं या डांसिंग एक्सरसाइज़ कर सकते हैं। इससे मज़ा भी आएगा और शरीर भी स्वस्थ रहेगा। अगर पेट्स के साथ खेलना पसंद है तो घर में पालतू भी रख सकते हैं। इससे ऊब महसूस नहीं करेंगे और मन भी नकारात्मक बातों से दूर रहेगा।

लत से दूरी भली

आजकल बच्चों की एक समस्या सामान्य होती जा रही है, वो है मोबाइल फोन और इंटरनेट का हद से ज़्यादा उपयोग। ये एक ऐसा आकर्षण या लत बन गई है जिसका सीधा संबंध बच्चे के मानसिक विकास और कॅरियर से होता है। यदि बच्चों से मोबाइल छीन लिया जाए या इंटरनेट एक्सेस नहीं दिया जाए तो वे और ज़्यादा बौखला जाते हैं। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि बच्चों के फोन उपयोग करने के समय को निर्धारित किया जाए। फोन से जुड़ाव कम होगा तो पढ़ाई से बढ़ेगा।

दोस्ती लाएगी सकारात्मकता

जब भी आप तनावपूर्ण महसूस करें या मन कभी शांत न लगे तो अपने दोस्तों के बीच बैठें। उनके साथ मस्ती-मज़ाक, गपशप करें। ऐसा करने से आपको ख़ुशी और ताज़गी दोनों मिलेंगे। दोस्तों के साथ मिलकर पसंदीदा फिल्म देखें या रोज़ साथ मिलकर सुबह या शाम सैर पर जाएं। दोस्तों से कॅरियर पर भी बात करें। उनसे राय लें कि वे क्या करना चाहते हैं, किस दिशा में कॅरियर बनाना चाहते हैं। इससे आपको भी पता चलेगा कि कौन-सी फील्ड हैं जिनके बारे में आपको जानकारी नहीं थी या आप भी वैसा ही कुछ करना चाहते हैं।

ख़ुद के साथ वक़्त बिताएं

दिमाग़ को शांत रखने के लिए घर से बाहर जाएं और ख़ुद के साथ समय बिताएं। अपने आसपास के पार्क में जाकर अलग-अलग तरह के फूलों को देखें। इसके अलावा आप ख़ुद भी अपने पसंदीदा पौधों को घर या अपने आसपास के पार्क में लगा सकते हैं। सुबह-सुबह जल्दी उठकर प्राकृतिक नज़ारे देखने से मन शांत और अच्छा महसूस करता है। ऐसा करने से आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। अगर बाहर नहीं जा पा रहे हैं तो सुबह बालकनी में बैठकर चिड़ियों की चहचहाहट सुनें, बहुत सुकून मिलेगा।

संगत पहचानना है अहम

भटकाव का सबसे बड़ा और पहला कारण संगत होती है। इस उम्र में मस्ती मज़ाक करना, दोस्तों के साथ घूमना-फिरना अच्छा है। लेकिन अगर संगत ग़लत हो तो भविष्य ख़तरे में पड़ सकता है, चूंकि किशोर इतने परिपक्व नहीं होते कि सही-ग़लत पहचान सकें। इसलिए माता-पिता बच्चे की संगत व दोस्तों की पूरी जानकारी रखें।

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