278 ऐसे लोगों को मिली मेडिकल की डिग्री, जो छात्र थे ही नहीं!

मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने 278 ऐसे लोगों को डिग्री दी है, जिन्होंने कभी क्लास अटेंड ही नहीं की है. ये लोग यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स भी नहीं हैं.

सेमेस्टर एग्जाम, प्रैक्टिकल, असाइनमेंट, फाइनल एग्जाम जैसी ‘बाधाओं’ को पार करने के बाद कहीं जाकर स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल होती हैं. हम इन्हें बाधाएं इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि स्टूडेंट्स कई बार एग्जाम और असाइनमेंट की वजह से परेशान भी हो जाते हैं. यही वजह है कि हायर एजुकेशन हासिल करने वाले स्टूडेंट्स जानते हैं कि Degree हासिल करने के लिए कितनी मेहनत करनी होती है. लेकिन क्या हो, जब ऐसे लोगों को डिग्री मिल जाए, जिन्होंने कभी कॉलेज या यूनिवर्सिटी का चेहरा भी नहीं देखा हो. ये हैरान करने वाला मामला मध्यप्रदेश में सामने आया है.

क्या था मामला?

मामले की शुरुआत कुछ इस तरह होती है कि 16 अगस्त, 2021 को सात याचिकाकर्ता ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं. इनका कहना होता है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए मेडिकल और नर्सिंग कॉलेजों में 2018-19 परीक्षाओं के प्रMadhya Pradesh Medical University Allegedly Awarded 278 Degrees to People Who Were Never Students शासन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है. ऐसे में इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच की जाए.

याचिकाकर्ताओं के इन दावों की जांच के लिए, अदालत ने राज्य सरकार को 4 अक्टूबर, 2021 को एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया. इस समिति में एक रिटायर्ड हाईकोर्ट के जज, एक पुलिस अधिकारी और तीन एक्सपर्ट शामिल थे. सात दिन बाद, राज्य सरकार ने केके त्रिवेदी को समिति का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया. जांच के निष्कर्ष जुलाई में अदालत में पेश किए गए. अब 2 जनवरी को होने वाली सुनवाई में इन पर चर्चा होने की उम्मीद है.

समिति ने जांच में क्या पाया?

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी ने कोर्सेज में एडमिशन लेने वाले और डिग्री हासिल करने वाले 278 छात्रों के बीच का डाटा मेल नहीं खाता है. रिपोर्ट आगे बताती है कि यूनिवर्सिटी ने केवल कुछ उम्मीदवारों और संस्थानों के संबंध में काम किया. इनमें से ज्यादातर मामलों में, अन्य उम्मीदवारों के नाम पर मार्कशीट जारी की गई थी, भले ही एनरॉलमेंट नंबर पर एक अलग नाम हो.

एक निजी आईटी फर्म माइंडलॉजिक्स इंफ्राटेक को यूनिवर्सिटी के क्वेश्चन पेपर डिलीवर करने और 2 लाख छात्रों के रिजल्ट घोषित करने का काम दिया गया था. हालांकि कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर संपर्क करने पर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. समिति द्वारा खोजी गई अन्य अनियमितताओं में उन छात्रों को बेहतरीन ग्रेड देना शामिल है, जिनकी आंसर शीट को फिर से लिखा गया है.

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