इंदौर के ड्रायफ्रूट मार्केट में घुसने से लगता है डर …?

900 करोड़ टर्नओवर, देशभर में सप्लाई; हालात देख आप भी चौंक जाएंगे…

प्रदेश का सबसे बड़ा थोक किराना बाजार सियागंज। 1000 दुकानें। दस हजार से ज्यादा कर्मचारी। बाजार का हर महीने 900 करोड़ का टर्नओवर है। देशभर में यहां से ड्रायफ्रूट सप्लाई होते हैं। चुनाव आते ही करीब 60 साल पुराने इस बाजार का ट्रैफिक मुद्दा बन जाता है। शहर में तेजी से बढ़ते वाहन, आसपास 15 से ज्यादा बाजार, बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन के कारण यह समस्या धीरे-धीरे विकराल रूप लेती जा रही है। गलियां तो छोड़िए… मेन रोड की हालत ऐसी हो चुकी है कि एक बार गाड़ी लेकर घुसे तो एक-दो घंटे बाहर निकलने की बात भूल जाइए। यहां आने वाले तो कहते हैं मजबूरी है, इसलिए आते हैं, पर भीतर घुसने से डर लगता है। दैनिक भास्कर ने चुनाव माहौल में सियागंज वार्ड- 60 (रानीपुरा) का रुख किया और जानी यहां की समस्या….

ऐसी बेतरतीब पार्क किए गए वाहन जिससे मार्ग से निकलना भी मुश्किल।
ऐसी बेतरतीब पार्क किए गए वाहन जिससे मार्ग से निकलना भी मुश्किल।

सियागंज की भौतिक संरचना कुछ ऐसी है कि पटेल ब्रिज, जवाहर मार्ग, हाथीपाला, महारानी रोड, कोठारी मार्केट सहित आसपास की कई गलियां इस वार्ड से जुड़ी हुई हैं। यहां 18 हजार 450 वोटर्स हैं, लेकिन बाजार में एक समय में 30 हजार से ज्यादा लोग मौजूद रहते हैं। यदि बात करें बाजार के आसपास से गुजरने की तो डेढ़ से दो लाख लोगों को मूवमेंट रोज रहता है।

बीच रोड में ही वाहन खड़े कर खरीदी जिससे लगता है जाम।
बीच रोड में ही वाहन खड़े कर खरीदी जिससे लगता है जाम।

दरअसल, यह क्षेत्र 20 प्रतिशत रिहायशी और 80 प्रतिशत व्यावसायिक क्षेत्र है। यहां किराना, मसाला, ड्रायफ्रूट्स, हार्डवेयर, शक्कर, नारियल आदि का बड़ा व्यवसाय है। यहां स्थानीय थोक और खेरची व्यापारियों के अलावा अन्य राज्यों के व्यापारी भी आते हैं। 1 हजार से ज्यादा दुकानों वाला यह सियागंज प्रदेश में 24 घंटे व्यापारिक गतिविधियां चलने वाला बाजार है। यह बाजार खरीदारों के लिए सुबह 10 बजे रात 9 बजे तक खुलता है, इसके बाद अलसुबह तक यहां माल की लोडिंग-अनलोडिंग होती है।

व्यापारियों का कहना है कि व्यापारियों के अलावा यहां 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इनकी तो गाड़ियां बाजार में रहती ही हैं। बाहर से आने वाले ग्राहकों के वाहनों की आवाजाही भी सुबह से शुरू हो जाती है। दोपहर 12 बजते-बजते तो यहां गुत्थमगुत्था शुरू हो जाता है। गलियों की हालत तो ऐसी है कि दोनों ओर वाहन ऐसे बेतरतीब हो जाते हैं कि पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा बाजार में छोटे लोडिंग वाहनों और ठेलों के कारण भी ट्रैफिक का दबाव काफी बढ़ जाता है।

बाजार में पार्किंग की जगह नहीं मिलने पर ब्रिज पर ही कारें होती है पार्क।
बाजार में पार्किंग की जगह नहीं मिलने पर ब्रिज पर ही कारें होती है पार्क।

सियागंज किराना एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने बताया कि सियागंज से ही ट्रांसपोर्ट नगर सहित अन्य बाजारों से माल लेकर जाने वाले वाहन भी यहीं से गुजरते हैं, जिसके कारण भी काफी दबाव है। ऐसे ही कई यात्री बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जाने के लिए इस मार्ग से जाते हैं, जिससे दबाव और भी बढ़ जाता है। दिन में कई बार यहां जाम लगता है।

लोडिंग चार्ज ज्यादा देने से व्यापार में आ रही कमी
खण्डेलवाल ने बताया कि सियागंज देश का ऐसा बाजार है, जो 24 घंटे खुला रहता है। दरअसल, दिन में यहां ट्रक व अन्य बड़े लोडिंग वाहनों को अनुमति नहीं है। ऐसे में रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक यहां बाहर से माल आता है और जाता है। इससे सुरक्षा को लेकर परेशानी तो है ही रात को लेबर चार्ज भी दोगुना हो जाता है। दूसरा यह कि बाहर से आने वाले ट्रक दिन में अन्य स्थानों पर पार्क होते हैं और रात को सियागंज में आते हैं, ऐसे में भाड़ा व लोडिंग चार्ज भी अन्य शहरों की तुलना में ज्यादा लगता है। इन सभी कारणों के चलते थोक व्यापार कम हो रहा है। यहां आने वाले व्यापारी अब राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात से व्यापार करने लगे हैं।

व्यापारियों को बारिश से लगता है डर
सचिव नईम पान वाला ने बताया कि बारिश में बाजार की हालत और भी खराब हो जाती है। जवाहर मार्ग की ओर से आने वाला पानी का बहाव सियागंज की ओर आता है और तलघरों में भर जाता है। ऐसे ही रेलवे स्टेशन की ओर से आने वाला पानी भी गोदामों में आ जाता है। इन तलघरों में व्यापारियों का थोक का माल रखा होता है, जिसमें शक्कर, रवा, मैदा सहित कई आइटम रहते हैं जो खराब हो जाते हो जाते हैं। जब भी नाले उफान पर होते हैं तो तलघरों में तीन-चार फीट पानी भर जाता है। व्यवसायिक क्षेत्र होने से पानी का ज्यादा उपयोग नहीं होता है तो अधिकांश चेंबर जाम रहते हैं। पार्किंग व पानी भरने की समस्या यहां स्थाई है। व्यापारियों को उम्मीद है कि इस बार चुनाव के बाद इस समस्या का कोई स्थाई हल निकलेगा।

दो घंटे से मालिक का कर रहा हूं इंतजार
बाहर से आने वाले व्यापारियों की हालत यह है कि वे अपने चार पहिया वाहन जवाहर मार्ग पर ड्राइवर के भरोसे पार्क कर देते हैं। इसके बाद अकेले जाकर लेबर के साथ माल बाहर लेकर आते हैं। पटेल ब्रिज पर कार में बैठे उज्जैन के कमल भावसार (ड्राइवर) ने बताया कि वे दो घंटे से अपने सेठ का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि अगर वे उन्हें देखने बाजार में गए तो ट्रैफिक पुलिस गाड़ी उठा लेगी। बेटमा निवासी व्यापारी सुनील वर्मा का कहना है कि अब तो यहां आने से डर लगता है, क्योंकि पार्किंग की समस्या इतनी गहरा गई है कि पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती।

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