भ्रष्टाचार का प्रदीप:न फाइलों का खुलासा हुआ न खातों की पड़ताल; ईओडब्ल्यू की जांच धीमी, खुद को बचाने के लिए निगम अफसर एक्शन मोड में

ग्वालियर 

पांच दिन पहले पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा के मामले में जहां ईओडब्ल्यू की टीम की जांच धीमी हो गई है, वहीं खुद को फंसता देख नगर निगम के अफसर एक्शन माेड में दिखाई दे रहे हैं। रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद ईओडब्ल्यू की टीम ने वर्मा को उसी रात बिना पूछताछ पूरी किए दो लाख रुपए के मुचलके पर छोड़ दिया था। उसके बाद अब तक न तो उसके घर से बरामद फाइलों की जानकारी मिल पाई है और न ही उसके बैंक खाते व बेनामी संपत्तियों की। दूसरी ओर नगर निगम के अधिकारियों ने भवन निर्माण शाखा से गुम हुईं तीन महत्वपूर्ण फाइलों के मामले में एफआईआर कराने के लिए पुलिस को पत्र लिख दिया है। साथ ही भवन शाखा से दो कर्मचारियों को भी हटा दिया है।

पांच लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए निगम के सिटी प्लानर (अब निलंबित) प्रदीप वर्मा के चेंबर के बाहर दो दिन से ताला लटका हुआ है। यहां पर पदस्थ कर्मचारियों को यहां-वहां बैठकर काम करना पड़ रहा है। क्योंकि चेंबर के अंदर ही कम्प्यूटर सिस्टम लगा है, जिस पर कर्मचारी काम करते हैं। नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी दो दिन बीत जाने के बाद भी ताले नहीं खुलवा सके। यहां पर दो अलमारियां रखी हैं। इनमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे हुए बताए जाते हैं।

इधर आयुक्त ने सिटी प्लानर ऑफिस (भवन शाखा) में पदस्थ दो विनियमित कर्मचारियों को हटा दिया है। देवेश कटारे और सुनील कुमार रजक को केदारपुर प्लांट पर पहुंचाया गया है। आयुक्त संदीप माकिन ने प्रदीप वर्मा को 28 नवंबर को पहले पद से हटाया था, फिर निलंबित कर दिया था। रविवार-सोमवार की छुट्टी के बाद सिटी प्लानर का चेंबर खुलना था। लेकिन बुधवार तक नहीं खुला।

बाबुओं को हटाया फिर भी कर रहे थे काम : 2015 में ऑटोमेटिक बिल्डिंग परमिशन एप्रूवल सिस्टम लागू होने के बाद से ऑडिट का पासवर्ड इस्तेमाल कर फाइलें पास कर रहे भवन शाखा के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नाथू बाथम जो कि बाबू का काम करता है, और कंप्यूटर ऑपरेटर केशव शंखवार को सितंबर में जनकार्य विभाग में भेजा गया था। लेकिन वे अब भी भवन शाखा में काम कर रहे हैं। सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा के पकड़े जाने के बाद से ये दोनों भी गायब हैं।

तत्कालीन सिटी प्लानर, दो उपयंत्री और तीन कर्मचारियों के नाम से होगी एफआईआर
नगर निगम से सिटी सेंटर स्थित सालासर भवन, बिरला अस्पताल और होटल लैंडमार्क की निर्माण मंजूरी की गुम हुई फाइलों का मामला गरमा गया है। ये तीनों मामले लोकायुक्त में भी चल रहे हैं। ईओडब्ल्यू द्वारा सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा को पकड़े जाने के बाद निगम प्रशासन इन मामलों को लेकर अचानक सक्रिय हो गया है। आयुक्त संदीप माकिन ने गुम फाइलों के संबंध में एफआईआर कराने के लिए यूनिवर्सिटी थाने में एक पत्र दिया है।

भवन शाखा से जुड़े उक्त मामलों में दी गई अनुमतियों में गड़बड़ी की शिकायतें पहले से ही लोकायुक्त में पहुंच चुकी हैं। अब जब अधिकारियों की लोकायुक्त में पेशी होना है तो अधिकारियों ने एफआईआर कराने का मन बना लिया है। सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा से विभाग से जुड़े दो उपयंत्री व तीन कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। उक्त तीनों प्रकरणों के संबंध में 11 जनवरी 2021 को लोकायुक्त के सामने पेशी होना है।

जानिए… कौन सी हैं फाइलें, किसने क्या दिया जवाब
सालासर भवन-
 उपयंत्री वेदप्रकाश निरंजन ने जवाब दिया कि समयपाल बृजेंद्र सिंह कुशवाह को प्रकरण के दस्तावेज दे दिए थे। श्री कुशवाह ने जवाब में कहा कि भवन शाखा का रिकार्ड उपयंत्री-क्षेत्राधिकारी के पास रहता है। प्रार्थी के पास कोई रिकार्ड नहीं है
होटल लैंडमार्क- तत्कालीन भवन लिपिक सतीश चंद्र गोयल ने लिखा है कि उक्त प्रकरण सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा को दिया गया है। सिटी प्लानर ने इस पर लिखा है कि लैंडमार्क भवन के प्रकरण की फाइल मुझे दिए जाने के संबंध में मेरी पावती उपलब्ध कराई जाए।
बिड़ला अस्पताल- उपयंत्री राजीव सोनी ने जवाब दिया कि भवन शाखा से संबंधित रिकार्ड को संधारित करने का दायित्व समयपाल गीतांजलि श्रीवास्तव एवं राजेश भदौरिया को सौंपा गया था। श्रीमती श्रीवास्तव सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। श्री भदौरिया क्षेत्र क्रमांक-9 पर पदस्थ है।

गुम फाइलें नहीं मिली इसलिए अब एफआईआर के लिए पत्र लिखा है
सालासर भवन, होटल लैंडमार्क भवन और बिरला अस्पताल भवन से संबंधित प्रकरण अंतिम रूप से किस अधिकारी-कर्मचारी के पास रहे हैं, इसका परीक्षण नगर निगम स्तर से होना संभव नहीं है। यह अनुसंधान का विषय है। पिछले कई दिनों से फाइलों को खोजने के लिए जिम्मेदारों को कहा था। उनके पास फाइलें नहीं मिली। इसलिए पुलिस को पत्र देकर एफआईआर कराने के लिए कहा गया है।
-संदीप माकिन, आयुक्त, नगर निगम

 

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