नोएडा : जिला अस्पताल में एंटी बायोटिक दवा का नमूना फेल, इंदौर की कंपनी के खिलाफ होगी कार्रवाई

जिला अस्पताल में एंटी बायोटिक दवा का नमूना फेल, लगी रोक

करीब डेढ़ महीने से मरीजों को दी जा रही कम असर वाली दवा, इंदौर की कंपनी के खिलाफ होगी कार्रवाई

– 23 अगस्त को लिया गया नमूना, अब आई जांच रिपोर्ट

नोएडा। जिला अस्पताल में मरीजों को बांटी जा रही कम असर वाली एंटी बायोटिक दवा का नमूना फेल हो गया है। यह दवा इंदौर की मॉडर्न लैब ने जिला अस्पताल को आपूर्ति की थी। लखनऊ स्थित केंद्रीय लैब की जांच में यह अधोमानक मिली है। शनिवार को रिपोर्ट मिलने के बाद बचे हुए स्टॉक को सीज करते हुए इसके वितरण पर रोक लगा दी गई है। वहीं, अस्पताल प्रबंधन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि एंटी बायोटिक एमोक्सिलिन एंड पॉटेशियम क्लैवुलैनेट आईपी 625 मिग्रा सहित तीन दवाओं का नमूना जिला अस्पताल के स्टोर से लेकर जांच के लिए भेजा गया था। रिपोर्ट आने के बाद एफएसडीए ने इसकी जानकारी जिला अस्पताल के प्रबंधन को दी। नोटिस भी एफएसडीए की तरफ से स्टोर प्रभारी चीफ फार्मासिस्ट को जारी किया गया है। जानकारी के मुताबिक, नमूना लिए जाने से कुछ दिन पहले ही यह दवा जिला अस्पताल में आपूर्ति हुई थी। करीब 8000 टैबलेट इसकी मंगाई गई थी। करीब डेढ़ महीने से दवा मरीजों को बांटी भी जा रही है। शनिवार शाम रिपोर्ट आने के बाद इसके वितरण पर रोक लगा दी गई थी। जो स्टॉक सीज हुआ है। उसे कंपनी को वापस भेजा जा रहा है।

जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. रेनू अग्रवाल का कहना है कि रिपोर्ट में एमोक्सिलिन मानक के मुताबिक 90 फीसदी मिली है। केवल इसको प्रभावी बनाने के लिए दवा में शामिल पॉटेशियम क्लैवुलैनेट की मात्रा 90 फीसदी की जगह 81 फीसदी पाई गई है। इससे मरीजों को कोई नुकसान नहीं होगा। इससे दवा का असर केवल कम हो जाता है। हमारा हमेशा प्रयास यही रहता है कि मरीजों को दवा प्रभावी असर वाली मिले। कंपनी के खिलाफ भी अस्पताल प्रबंधन आवश्यक कार्रवाई करेगा, जिससे अधोमानक दवाओं की आपूर्ति भविष्य में नहीं हो।

इनसेट–
नमूना लेते समय दवा सीज का नियम नहीं
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि सरकारी अस्पतालों से दवा के नमूने लेकर जांच को भेजा जाना एक प्रक्रिया है। इसमें यह नियम नहीं है कि जिस दवा का नमूना लिया गया हो उसे सीज कर दिया जाए। इससे दवा का वितरण मरीजों को नहीं रूक पाता है। हमारी कोशिश यही रहती है कि जांच रिपोर्ट जल्दी आ जाए। जैसे ही जांच रिपोर्ट हमें मिली तुरंत जिला अस्पताल को सूचना भेज दी गई। कंपनी को भी नोटिस भेजकर कार्रवाई की जा रही है।

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