आगरा यूनिवर्सिटी का एक और घोटाला …!

पूर्व कुलपति बिना काम पूरा हुए कर गए भुगतान; विवि के प्रोफेसर की शिकायत पर STF कर रही जांच …

आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में घोटालों की फेहरिस्त लगातार बढ़ती जा रही है। अब नया मामला विश्वविद्यालय में सॉफ्टवेयर, स्कैनिंग, कंप्यूटरीकरण और दस्तावेज डिजिटलाइजेशन के मद में करीब 1.01 करोड़ रुपए के भुगतान का है। आरोप है कि पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो. विनय पाठक ने अपने चहेतों को टेंडर दिए। अधूरे कार्य पर ही एजेंसी को पूरा भुगतान कर दिया गया। शिकायत के बाद एसटीएफ ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

ये है पूरा मामला
पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो. विनय पाठक ने जनवरी से सितंबर तक पद भार संभाला। इस दौरान सॉफ्टवेयर इंस्टालेशन, चार्ट और दस्तावेज की स्कैनिंग और विभागों के कंप्यूटरीकरण के लिए टेंडर हुआ। आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदार को स्कैनिंग का काम दे दिया। इसकी शिकायत विवि के खंदारी परिसर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के पूर्व निदेशक प्रो. वीके सारस्वत ने एसटीएफ से की। इसको संज्ञान में लेकर एसटीएफ ने विश्वविद्यालय प्रशासन को सात दिसंबर को पत्र लिखकर एजेंसी का नाम, एजेंसी के मालिक और संचालक का नाम, टेंडर का बजट, कार्ययोजना, टेंडर की शर्तें, कितना कार्य हुआ और कितने का भुगतान कर दिया, यह सब जानकारियां मांगी गई हैं।
एसटीएफ ने शुरू की जांच
विवि के कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह का कहना है कि एसटीएफ ने जो जानकारी और रिकॉर्ड मांगे हैं, उन्हें तीन दिन में उपलब्ध कराने के लिए वित्त अधिकारी और संबंधित प्रभारियों को निर्देश दिए हैं। आईईटी के पूर्व निदेशक प्रो. वीके सारस्वत का कहना है कि विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध अपनी मनमानी करते हुए अनुचित निर्णय लिए। इससे छात्र और विश्वविद्यालय का अहित हुआ। इसे ध्यान में रखते हुए इनकी जांच कराने के लिए शिकायत की।

न आरोपों की एसटीएफ कर रही जांच

  • इट्रेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नोएडा को वित्त विभाग, एचआर और स्टोर विभाग को कंप्यूटरीकरण का कार्य दिया था। इसका अधूरा कार्य होने पर भी भुगतान कर दिया। इसका बजट 76 लाख रुपये का था। कार्य समाप्ति का प्रमाणपत्र तलब किया है।
  • बेबेल टेक्नोलॉजी लिमिटेड को विश्वविद्यालय के दस्तावेज के डिजिटलाइजेशन और स्कैनिंग का कार्य दिया। इसका बजट 25 लाख रुपये है। ये प्रो. पाठक के रिश्तेदार की कंपनी बताई गई है। अधूरे और घटिया कार्य में ही भुगतान किया। कार्य समाप्ति के बाद प्रमाणपत्र मांगा है।
  • एक जनवरी 2022 में राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय अलीगढ़ से संबद्ध महाविद्यालयों को संबद्धता स्वीकृत हुई। संबद्धता डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की ओर से समाप्त कर दी गई। इसके बाद भी आगरा विश्वविद्यालय से संबद्धता दी गई। इसके निरस्तीकरण आदेश की प्रतिलिपि मांगी है।
  • डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध आरबीएस कॉलेज प्रबंध समिति को प्रो. विनय पाठक ने अनुमोदन कर दिया था। बाद में इसे निरस्त किया। इन आदेशों की भी प्रतिलिपि मांगी है।

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