एंड्रॉयड के फेर में उलझ रहा मासूमों का बचपन
माता-पिता नहीं जानते ब्राउजिंग हिस्ट्री …
भोपाल. एंड्रॉयड फोन के फेर में मासूमों का बचपन उलझ गया है। किशोर और युवा भी इससे अछूते नहीं हैं। साइबर घटनाओं के सबसे ज्यादा शिकार 6 से 32 साल के बच्चे, किशोर और युवा हो रहे हैं। साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन में मिले आंकड़ों एवं केस हिस्ट्री के मुताबिक अलग-अलग आयु वर्ग में अलग-अलग तरह के साइबर अपराध एवं घटनाओं में ये शामिल हो रहे हैं। आंकड़ों की समीक्षा में पाया गया कि 6 से 10 साल के बच्चे ऑनलाइन गेमिंग, 12 से 18 साल के किशोर वेबसाइट के जरिए गलत आदतें और 20 से 32 साल तक के युवा अपराध के पीड़ित एवं आरोपी बन रहे हैं।
एंड्रॉयड…
भोपाल साइबर क्राइम पुलिस ने स्कूल-कॉलेजों में अपराध एवं अपराध से बचाव के लिए जागरुकता पैदा करने हाल ही में निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया था। इसका मकसद अलग-अलग आयु वर्ग के बच्चों, किशोर एवं युवा वर्ग को आरोपी या पीड़ित बनने से पहले ही अपराध के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना था। यह प्रयोग सफल रहा। शहर में तेजी से सामने आने वाले साइबर अपराधों में अब बच्चों, किशोर एवं युवाओं के शामिल होने के प्रकरणों में कमी आई है।
साइबर पुलिस इन्वेस्टिगेशन के मुताबिक जिन मामलों में बच्चे, किशोर एवं युवा आरोपी या पीड़ित के रूप में सामने आए हैं। उनमें उनके माता-पिता को यह पता ही नहीं था कि उनका उनकी संतान स्मार्टफोन का इस्तेमाल किस प्रकार करती है। 95 फीसदी मामलों में माता-पिता अपने बच्चे के स्मार्टफोन की ब्राउजिंग हिस्ट्री को चेक नहीं करते।
घर पर ही सबसे प्रभावी मदद
डीसीपी साइबर क्राइम अमित कुमार सिंह ने बताया कि साइबर अपराध से इन्हें बचाने का सबसे प्रभावी तरीका परिजन ही हैं। पुलिस स्कूल-कॉलेजों में साइबर जागरुकता फैला रही है।