शिक्षा से खिलवाड़ का यह अक्षम्य अपराध …!

हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो पाऊं फिर भी विचार प्रकट करने के आपके अधिकारों की रक्षा करूंगा। —वाल्तेयर 

शिक्षक का पेशा पवित्रतम माना जाता है। यह इसलिए भी कि शिक्षक के माध्यम से ही बच्चों के भविष्य की नींव तैयार होती है। यह नींव ही उनके भविष्य को मजबूत बनाने का काम करती है। लेकिन जब इस पवित्र पेशे की गरिमा को आघात पहुंचाने का काम लोभी प्रवृत्ति के शिक्षक करते हैं तो शिक्षा के समर्पण के गायब होते भाव पर चिंता होना स्वाभाविक है। जब अपने कारोबार केे फायदे के लिए शिक्षक आपराधिक कृत्य करने लगे तो फिर अदालत ही ऐसे लोेगों को सजा देने का काम करती है।

शिक्षा को नफा-नुकसान के नजरिए से देखने का ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में सामने आया है जिसमें अदालत के फैसले ने न केेवल मध्यप्रदेश बल्कि समूचे देश के लिए नजीर भी पेश की है। बारह बरस पुराने मामले में इस जिले में एक स्कूल की महिला शिक्षक ने अपने शिक्षक पति की मदद से 12वीं कक्षा के 16 छात्रों के एक पेपर की उत्तर पुस्तिका के पन्ने ही फड़वा दिए। इन बच्चों ने महिला शिक्षक के उसके यहां कोचिंग करने के दबाव को दरकिनार कर दिया था। अदालत ने शिक्षक दंपती के कृत्य को आपराधिक करार देते हुए उन्हें पांच-पांच साल की कैद की सजा सुनाई। यह देश में अपने किस्म का अनूठा उदाहरण है, जो किसी भी हद तक जाने को उतारू नजर आते कुछ शिक्षकों के बेलगाम से बन गए कदमों को थामने का काम करेगा। अपनी आर्थिक जरूरतें व महत्त्वाकांक्षाएं हद से ज्यादा बढ़ा देने और फिर इनकी पूर्ति के लिए पथभ्रष्ट होने वालों की लंबी खेप को आगाह करेगा कि किसी दिन जेल की सलाखों के पीछे वे भी हो सकते हैं। इस उदाहरण से निश्चित रूप से ऐसी घटनाओं में कमी आएगी। लेकिन समस्या को जड़ से खत्म करने के ठोस प्रयास जरूरी हैं। शिक्षा के कर्ताधर्ताओं को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा जिसमें बच्चों के साथ भेदभाव के किसी भी प्रयास पर निगरानी रखी जा सके। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी होगा कि स्कूलों में पढ़ाई पूरी व गुणवत्तापूर्ण हो, ताकि ट्यूशन की आवश्यकता या तो हो ही नहीं या फिर न्यूनतम हो। सरकारी व निजी स्कूलों केे शिक्षकों में ट्यूशन की दुष्प्रवृत्ति पर अंकुश भी रखना होगा। इसके लिए जरूरी है कि शिक्षण संस्थाओं और कोचिंग सेंटर्स के शिक्षक अलग-अलग हों। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि उनमें मिलीभगत न हो।

नई शिक्षा नीति में विषयों व पाठ्यक्रमों का अच्छा समावेश हुआ है, पर शैक्षणिक ढांचे को पूरी तरह साफ-सुथरा व पारदर्शी बनाने के लिए शिक्षा में घुस आए ऐसे लोेगों की धरपकड़ जरूरी है। शिक्षा से खिलवाड़ करने वाला ऐसा अपराध तो अक्षम्य ही कहा जाएगा।

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