नेशनल कंप्यूटर सिक्योरिटी डे आज:सॉफ्टवेयर अपडेट, एंटीवायरस जैसी 10 बातों का ख्याल रखेंगे तो नहीं होगा कंप्यूटर हैक; रैनसमवेयर अटैक से भी रहेंगे सेफ
आज नेशनल कंप्यूटर सिक्योरिटी डे है। कोरोनाकाल में वर्क फ्रॉम होम की वजह से कंप्यूटर से होने वाला वर्क लोड बढ़ गया है। आज बैंक से लेकर रेल की टिकट रिजर्व करने तक एक्टिविटी कंप्यूटर से हो रहीं हैं, लेकिन साइबर अटैक के बढ़ते मामले को देखते हुए अब कंपनियों के साथ इंडिविजुअल लेवल पर भी ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है। CERT-In के आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून तक भारत में 6 लाख से ज्यादा साइबर अटैक हुए हैं। वहीं 2020 में यह 11.58 लाख थे। 2019 में 3.94 लाख जबकि 2018 में यह 2.08 लाख अटैक हुए हैं।
साइबर अटैक के खतरों को साल 1988 में ही पहचान लिया गया था, यही वजह है कि इसी साल से 30 नवंबर को कंप्यूटर सिक्योरिटी डे के रूप में मनाया जाने लगा। इसका उद्देश्य लोगों को कंप्यूटर सिक्योरिटी को लेकर जागरुक करना है,कि कम से कम साइबर अटैक हों। इसी देखते हुए आज हम कंप्यूटर में होने वाले साइबर अटैक से बचने के 10 उपाय बता रहे हैं……
1.डेटा का बैकअप रखें
साइबर हमले का मकसद सिर्फ सिस्टम में रखे डेटा को हैक करना होता है। ऐसे में हम अपने डेटा की बैकअप फाइल को पेन ड्राइव, सीडी, या हार्ड ड्राइव में सेव रखना होगा। किसी तरह का वाइरस सिस्टम में आने पर बैकअप डेटा सेव रहेगा।
2. अपने कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर हमेशा अपडेटेड रखें
सभी कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम को लगातार अपडेट मिलता है। इन अपडेट में सेफ्टी फीचर को अपडेट किया जाता है। जो हमारे कंप्यूटर को हैकर्स द्वारा तैयार किए गए वायरस और मॉलवेयर से सेफ रखते हैं। कंप्यूटर में अपडेट मैन्युअल हैं या ऑटोमैटिक इस बात का ध्यान रखें।
3. अपने कंप्यूटर में ऑटोमैटिक स्कैन को सेट करें
अपने कंप्यूटर पर डेली या वीकली वाले स्कैन का सेटअप रखें। किसी भी वायरस से बचने का यह एक अच्छा तरीका है।
4. अपने कंप्यूटर में एन्टीवॉयरस इनस्टॉल करें
मार्केट में कई एंटीवायरस प्रोग्राम मिलते हैं, ये सेफ्टी के लेवल को बढ़ाते है और आपके कंप्यूटर को सेफ रखते हैं। एंटीवायरस फ्री और पेड दोनों तरह के मिलते हैं। हम आपको यही सलाह देंगे की कोई पेड एंटीवायरस आपने कंप्यूटर में इस्तेमाल करें। ये एंटीवायरस कंप्यूटर के डाटा की पूरी सुरक्षा देते हैं। नियमित रूप से इसके एंटीवायरस अपडेटेड भी होते रहते हैं।
5. पॉप-अप ब्लॉकर का इस्तेमाल करें
वेब ब्राउजर में पॉप-अप विंडो को रोकने का फीचर होता है और आप पॉप-अप ऑन या ऑफ करने के लिए सेटिंग कर सकते हैं। पॉप-अप स्क्रीन में दिए लिंक पर क्लिक न करें। इन पॉपअप से वायरस या मॉलवेयर आने की संभावना होती है। यदि आपके कंप्यूटर धीमा हो रहा है और क्रैश की प्रॉब्लम आ रही है या फिर एरर बार बार आ रहा है तो हो सकता है की आपके कंप्यूटर में वायरस आ गया हो।
6. एक मजबूत पासवर्ड बनाएं
पासवर्ड में कम से कम 10 से 15 कैरेक्टर का इस्तेमाल करें। इसमें अल्फाबेट के साथ नंबर्स का भी इस्तेमाल करें। पासवर्ड में एक अल्फाबेट कैपिटल जरूर रखें। स्पेशल कैरेक्टर जैसे ! @ # $ % ^ & * ) का भी यूज करें। समय-समय पर अपना पासवर्ड बदलते भी रहें। जहां मुमकिन हो पासवर्ड को OTP से भी प्रोटेक्ट करें। अकाउंट्स के पासवर्ड बहुत जरूरी होते हैं, जैसे ईमेल का, कंप्यूटर का, नेटबैंकिंग अकाउंट का इसलिए आपको अपना पासवर्ड बहुत ही स्ट्रांग बनाना चाहिए जिसे कोई क्रैक ना कर सके।
7.अपने कंप्यूटर में फायरवॉल इनस्टॉल करें
फायरवॉल अनचाहे ऐप्लिकेशन, फाइल्स, प्रोग्राम्स आदि को कंप्यूटर में इनस्टॉल या स्टोर होने से बचाती है। इससे कंप्यूटर को मैलवेयर, वायरस आदि से सुरक्षा मिलती है। अपने PC को हैकर्स से बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें शुरू से ही इसे एक्सेस करने से रोका जाए। आप फायरवॉल इनस्टॉल करके ऐसा कर सकते हैं। फायरवॉल आपके कंप्यूटर तक पहुंच प्राप्त करने के बाहरी प्रयासों को रोक देगा।
8. ईमेल अटैचमेंट को बिना स्कैन किए न खोलें
वायरस फैलने का सबसे आम तरीका ईमेल भी है। आप एक ईमेल खोलने से पहले सभी अटैचमेंट्स को स्कैन करना जरूरी है, ताकि अटैचमेंट में वायरस का पता चल सके।
9.ब्लूटूथ को एक्टिव न छोड़ें
मोबाइल व लैपटाप के डाटा को ब्लूटूथ के जरिए भेजने के बाद तुरंत बंद कर देना चाहिए। अक्सर हैकर्स खास तरह के ऐप का इस्तेमाल कर जरूरी डाक्यूमेंट गायब कर लेते हैं।
10. Ad ब्लॉकर इनस्टॉल करें
ऑनलाइन पॉप-अप विज्ञापन अक्सर ऐसी वेबसाइटों तक ले जा सकते हैं जो हमारा डेटा चुराती हैं और वायरस को कंप्यूटर पर करती हैं। इसके लिए हमें एक विश्वसनीय एड ब्लॉकर को डाउनलोड करना चाहिए।
रैनसमवेयर के अटैक मामले में भारत 6वें स्थान पर
हाल ही में गूगल ने पिछले डेढ़ साल में जमा किए गए 8 करोड़ से ज्यादा रैनसमवेयर सैंपल का एनालिसिस किया है। इसके आधार पर भारत रैनसमवेयर से सबसे ज्यादा प्रभावित 140 देशों की लिस्ट में 6वें स्थान पर है। लगभग 600% की ग्रोथ के साथ इजराइल सबसे आगे रहा। इसके बाद दक्षिण कोरिया, वियतनाम, चीन, सिंगापुर, भारत, कजाकिस्तान, फिलिपींस, ईरान और UK सबसे ज्यादा प्रभावित टॉप 10 देशों में शामिल हैं।
रैनसमवेयर का पहला मामला
बेकर्स हॉस्पिटल रिव्यू वेबसाइट के मुताबिक दुनिया का पहला रैनसमवेयर अटैक 1989 में हुआ था। इसे एड्स रिसर्चर जोसेफ पोप ने अंजाम दिया था। जोसेफ ने दुनिया के 90 देशों में 20 हजार फ्लॉपी डिस्क बंटवाईं। उन्होंने कहा कि इस डिस्क में एड्स के खतरों का एनालिसिस है। डिस्क में एक मालवेयर प्रोग्राम भी था, जो उन सभी कंप्यूटर्स में एक्टिव हो गया। डेटा के बदले उस वक्त 189 डॉलर की फिरौती मांग गई। इस रैनसमवेयर अटैक को AIDS Trojan के नाम से जाना जाता है।
भारत के बड़े रैनसमवेयर हमले
- मई 2017 में दुनियाभर के दर्जनों देशों में वानाक्राई रैनसमवेयर का हमला हुआ, जिसमें 2 लाख से ज्यादा कंप्यूटर सिस्टम प्रभावित हुए। भारत भी इसमें शामिल था। हैकर्स ने कंप्यूटर सिस्टम लॉक करके 300 से 600 डॉलर जमा करने की बात कही थी। इस हमले में अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था।
- 22 मार्च 2018 की बात है। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के पंचकुला स्थित हेड ऑफिस के कंप्यूटर पर एक मैसेज फ्लैश हुआ। इसमें लिखा था कि आपका सिस्टम हैक हो चुका है। इसके बदले में 1 करोड़ रुपए की मांग की गई थी, जिसे बिटकॉइन में जमा करना था। हालांकि, निगम ने एक हफ्ते में सिस्टम रीस्टोर कर लिया। किसी तरह की फिरौती देने की बात सामने नहीं आई।
- 29 अप्रैल 2019 को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश स्टेट पॉवर यूटिलिटी पर रैनसमवेयर हमला हुआ। इससे उनके सिस्टम पर हैकर्स का कंट्रोल हो गया और कई तरह की सर्विसेज प्रभावित हुईं। साइबर क्राइम के एडिशनल DCP ने उस वक्त बताया था कि हैकर्स ने बिटकॉइन में फिरौती मांगी, लेकिन वो बिना पैसे दिए भी सिस्टम रीस्टोर कर लेंगे। कुछ दिनों में सिस्टम रिस्टोर कर लिया गया।