भोपाल : 23 विधायकों के पास कोई सवाल नहीं, तर्क- पूछने लायक कुछ बचा ही नहीं

विधानसभा सत्र आज से …..
कमलनाथ, भूरिया, विश्नोई, पटवा, बिसेन, रामेश्वर और मेंदोला ने तीन सत्रों से एक भी सवाल नहीं पूछा

कांग्रेस सरकार के तख्तापलट के बाद मार्च 2020 भाजपा की सरकार बनने से अब तक 10 सत्र हो चुके हैं। सोमवार से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र 11वां है। यह स्थिति भी तब है, जब चुनावी साल शुरू हो गया है। मार्च 22 से लेकर अभी तक के लेखे-जोखे में चौंकाने वाला यह तथ्य भी मिला कि विधानसभा की ऑनलाइन व्यवस्था को अपनाने में भी ये दिग्गज पांचवीं और आठवीं पास से भी पीछे हैं। 5वीं पास शिवदयाल बागरी और 8वीं पास गोपाल सिंह चौहान व रक्षा सिरोनिया ने भी ऑनलाइन सवाल पूछे हैं, लेकिन उपरोक्त नेताओं ने नहीं।

ये हैं सवाल नहीं पूछने वाले माननीय

  • डॉ. शिशुपाल यादव, पृथ्वीपुर
  • अमर सिंह, चितरंगी
  • अजय विश्नोई, पाटन
  • देवसिंह सैय्याम, मंडला
  • गौरीशंकर बिसेन, बालाघाट
  • सुनीता पटेल, गाडरवारा
  • कमलनाथ, छिंदवाड़ा
  • संजय शाह, टिमरनी
  • सुरेंद्र पटवा, भोजपुर
  • हरिसिंह सप्रे, कुरवाई
  • रामेश्वर शर्मा, हुजूर
  • सुदेश राय, सीहोर
  • विक्रम सिंह राणा, सुसनेर
  • हुकुम सिंह कराड़ा, शाजापुर
  • मनोज चौधरी, हाटपिपल्या
  • सचिन बिरला, बड़वाह
  • सुलोचना रावत ,जोबट
  • कांतिलाल भूरिया ,झाबुआ
  • वीरसिंह भूरिया, थांदला
  • वालसिंह मेढ़ा, पेटलावद
  • रमेश मेंदोला, इंदौर-2
  • आकाश विजयवर्गीय, इंदौर-3
  • मालिनी गौड़, इंदौर-4

ऑनलाइन सवाल में नंबर एक पर 4 कांग्रेसी, 1 भाजपाई

सर्वाधिक 88 सवाल ऑनलाइन करने वालों में कांग्रेस के हर्ष यादव, लखन घनघोरिया, विनय सक्सेना, हीरालाल अलावा और भाजपा के यशपाल सिंह सिसोदिया हैं। 91 विधायकों ने ऑनलाइन सवाल किए है। तीन सत्रों में सिर्फ एक ऑनलाइन सवाल भाजपा के चेतन कुमार कश्यप ने किया है।

कमलनाथ, भूरिया, विश्नोई, पटवा, बिसेन, रामेश्वर और मेंदोला ने तीन सत्रों से एक भी सवाल नहीं पूछा

किसी ने कहा- सरकार अच्छी चल रही, तो कोई बोला विपक्ष पूछने नहीं देता

कुछ पूछने लायक बचा ही नहीं तो क्या सवाल लगाएं।

-अजय विश्नोई

मेहनत से सवाल पूछो, लेकिन लिस्ट में ही नहीं आता। यदि शामिल हो भी जाए तो विपक्ष पूछने नहीं देता।

-रामेश्वर शर्मा

पारिवारिक कारणों से प्रश्न नहीं लगाया। एकाध सत्र में तो जा नहीं सका।

-सुरेंद्र पटवा

भाजपा सरकार विकास के इतने अच्छे काम कर रही है कि कोई सवाल ही नहीं मिलता पूछने के लिए।

-मालिनी गौड़

विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और प्रमुख सचिव एपी सिंह ने विधानसभा में शीतकालीन सत्र के पहले सदन में तैयारियों का निरीक्षण किया।

शीतकालीन सत्र में लगे 1632 सवाल

मप्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार 19 दिसंबर से शुरू हो रहा है। इस बार के सत्र में विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए तगड़ी मोर्चाबंदी की है। रविवार शाम तक की जानकारी के मुताबिक विधानसभा में 1632 सवाल विधायकों ने लगाए हैं। सत्र 19 शुक्रवार 23 दिसंबर तक चलेगा। सत्र में ज्यादा सवाल होने के चलते सदन की कार्रवाई रात आठ बजे तक चलाने का फैसला हुआ है। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया शीतकालीन सत्र की अधिसूचना जारी होने से लेकर रविवार तक विधानसभा सचिवालय में कुल 1632 प्रश्नों की सूचनाएं मिलीं हैं। इनमें 858 तारांकित प्रश्न और 774 अतारांकित प्रश्न हैं। जबकि ध्यानाकर्षण की 211, स्थगन प्रस्ताव की 5, अशासकीय संकल्प की 16, शून्यकाल की 67 सूचनाएं विधानसभा सचिवालय को मिली हैं। 04 विधेयक भी विधानसभा सचिवालय को मिले हैं।

जरूरत पड़ेगी तो सत्र का समय बढ़ाएंगे

रविवार शाम मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम की अध्यक्षता में विधानसभा भवन में सर्वदलीय बैठक आयोजित हुई। बैठक के बाद नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा सर्वसम्मति से तय किया कि सत्र पूरे शांतिपूर्वक तरीके से चले। जरूरत पड़ने पर सत्र शाम 5:30 बजे के बाद भी चलाया जाए। नए विधायकों को बोलने का पूरा मौका मिले। जो जनता की समस्याएं हैं वो सदन में आ सकें इसके लिए अगर जरूरत पड़ेगी तो शाम के बाद भी सत्र चलाया जाए इसको लेकर दोनों दलों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है।

शीतकालीन सत्र में शामिल नहीं होंगे पिछोर विधायक केपी सिंह

इस सत्र में शिवपुरी जिले की पिछोर से कांग्रेस के सीनियर विधायक केपी सिंह ”कक्का जू” शामिल नहीं होंगे। केपी सिंह ने शीतकालीन सत्र में शामिल न हो पाने की सूचना विधानसभा सचिवालय को भी भेजी है। मालूम हो कि लंबे समय से केपी सिंह पार्टी की बैठकों में भी नजर नहीं आ रहे हैं।

कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में तय होगी अविश्वास प्रस्ताव की तस्वीर

इस सत्र में सत्तापक्ष को घेरने के लिए विपक्ष ने कड़ी मोर्चाबंदी की है। नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविन्द सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव की सूचना विधानसभा सचिवालय को भेजी है। आज कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में ये साफ होगा कि विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को ग्राह्य किया गया है या नहीं।

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