PMT कांड में दीपक यादव दोषमुक्त …@
- गौरव गुप्ता के नाम से केस , उसकी ट्रायल के दौरान हो चुकी है मौत
पुलिस की जांच पर ही CBI ने करा दी ट्रायल, अपनी जांच में कुछ नया नहीं पाया …
प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल घोटाले PMT कांड में ग्वालियर की झांसी रोड थाना पुलिस ने सरगना दीपक यादव, उसके छोटे भाई राहुल यादव, गौरव गुप्ता, संतोष चौरसिया, सुरेंद्र वर्मा खिलाफ केस दर्ज किया था। गौरव गुप्ता व राहुल यादव को 2004 में फर्जी तरीके से PMT पास कराने के लिए सुरेंद्र यादव, संतोष चौरसिया ने मीडिएटर की भूमिका निभाई थी, जबकि दीपक यादव ने राहुल यादव के लिए संतोष व सुरेंद्र यादव से संपर्क किया था। इस मामले में पुलिस की SIT (स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम) द्वारा जांच के बाद साल 2014 में कोर्ट में चालान पेश कर दिया था, लेकिन उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीएमटी कांड से जुड़े सभी मामले CBI को सौपने के आदेश दिए थे। इसलिए इस मामले की जांच CBI ने शुरू की। सेन्ट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन के अफसरों ने मामले में एडिशनल जांच की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। CBI ने पुलिस की जांच को न तो आगे बढ़ाया न ही उसमें कुछ नया किया। बल्कि उस जांच की पड़ताल भी नहीं की गई। पुलिस की जांच को आगे बढाकर कोर्ट में ट्रायल करा दिया। पहले जांच में आरोपी राहुल यादव के पिता को केस से बाहर किया। फिर ट्रायल के दौरान ही मुख्य आरोपी गौरव गुप्ता की मौत हो गई।
इस वजह से कोर्ट में मामला संदिग्ध हुआ और आरोपियों को फायदा मिला
– गौरव गुप्ता व राहुल यादव के खिलाफ पुलिस ने उस वक्त केस दर्ज किया, जब अपराध क्रमांक 449 मप्र शासन बनाम गुलाब सिंह माथुर में पूछताछ के दौरान दीपक यादव ने राहुल यादव, पंकज गुप्ता को फर्जी तरीके से पीएमटी पास कराने का खुलासा किया था। उसके बाद गौरव गुप्ता, राहुल यादव को पीएमटी पास कराने का अलग से केस दर्ज किया गया। पंकज गुप्ता के खिलाफ अलग केस दर्ज किया। पंकज गुप्ता केस अभी न्यायालय में लंबित है।
– दीपक यादव के अधिवक्ता पियुष गुप्ता ने अपराध क्रमांक 449 में जो मेमे लिया था। दीपक यादव का मेमे दो अलग-अलग सीएसपी ने लिया। विश्वविद्यालय के तत्कालीन सीएसपी आकाश भूरिया व पुरानी छावनी के सीएसपी विवेक लाल ने दीपक यादव का मेमो लिया था। दोनों सीएसपी का मेमो लेने का समय एक था। मेमो के दौरान जो गवाह थे, वह भी एक ही थे। इस तथ्य को बचाव के दौरान अधिवक्ता सामने लाए कि एक समय पर दो सीएसपी अलग-अलग स्थानों पर कैसे पूछताछ कर सकते हैं। एक जैसे गवाह कैसे हो सकता है। इस पर CBI ने जांच के दौरान गौर नहीं किया। इससे केस संदिग्ध हो गया।
– वर्ष 2004 से 2007 के बीच के व्यापमं ने दस्तावेजों को नष्ट कर दिया था, जिसके चलते दस्तावेज नहीं मिल सके। पूरा केस धारा 27 के मेमो के आधार पर चला।
-आशीष चतुर्वेदी ने राहुल यादव पर फर्जी तरीके से पीएमटी पास करने का आरोप लगाया था। इसका साल्वर राममुनीस को बताया था, लेकिन राममुनीस को न पुलिस तलाश पाई और न CBI, इसके साथ ही आशीष की गवाही भी नहीं हो सकी।
सप्लीमेंट्री की जानकारी छुपाने का दोषी राहुल यादव, चार साल की सजा
ग्वालियर में व्यापम फर्जीवाड़ा मामले में CBI की विशेष कोर्ट ने राहुल यादव को चार साल के सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया है। साथ ही उसपर साढे बारह हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। खास बात यह है कि इस मामले में फरियादी बने CBI एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने तीन साल तक कोर्ट के आदेश के बावजूद अपने बयान दर्ज नहीं कराए। आखिरकार CBI कोर्ट ने उसके गवाही के अधिकार को ही कुछ दिन पूर्व खत्म कर दिया था। लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर राहुल यादव को यह सजा सुनाई गई है। बता दें कि उसके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र परीक्षा अधिनियम धोखाधड़ी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने की धाराओं में ग्वालियर के झांसी रोड थाने में मुकदमा दर्ज था। इस मामले में उसके भाई और सहयोगी रहे दीपक यादव को बरी कर दिया गया है।
दरअसल यह मामला PMT परीक्षा 2004 से जुड़ा हुआ है। जहा कक्षा 12 वीं में राहुल यादव को सप्लीमेंट्री आई थी लेकिन उसने PMT परीक्षा दी और चयन होने पर कक्षा 12 वीं में आई सप्लीमेंट्री की जानकारी व्यवसायिक परीक्षा मंडल से छुपाई। उसने अपने दस्तावेजों के साथ अंकसूचियां चोरी होने की रिपोर्ट भी भोपाल के GRP थाने में 24 जुलाई 2004 को दर्ज कराई थी। उसने काउंसलिंग के दौरान भोपाल GRP में दर्ज FIR का हवाला दिया और बाद में दस्तावेज पेश करने का उसकी ओर से भरोसा दिया गया था। लेकिन राहुल यादव ने डिग्री पूरी कर ली और बांड की अवधि पूरी होने तक मूल दस्तावेज जमा नहीं किए।