ग्वालियर : सरकार या सूदखोर?

सरकार या सूदखोर?\
यूनिट रेट पर लग रहे 3 तरह के चार्ज, 2908 के बिल पर 4286 रुपए की वसूली

विद्युत नियामक आयोग से तय होने के बाद बेशक मप्र में बिजली दर अधिकतम 6 रुपए 80 पैसे प्रति यूनिट (300 यूनिट से अधिक खपत पर) हो, लेकिन कंपनी द्वारा तमाम तरह के चार्ज लगाकर घरेलू उपभोक्ता से 9 रुपए 13 पैसे प्रति यूनिट तक की वसूली की जा रही है। यदि आपने अपने घर में एक महीने के दौरान 469 यूनिट बिजली का उपयोग किया है, तो आपका बिजली खपत का मूल बिल तो 2900 से 3100 रुपए तक होगा।

लेकिन बिजली कंपनी आपसे 4200 रुपए से ज्यादा की वसूली करेगी, जिसमें उपभोक्ता को प्रति यूनिट 9 रुपए 13 पैसे प्रति यूनिट का भुगतान करना होता है। यानी कि आयोग द्वारा तय टैरिफ से भी करीब 2 रुपए 33 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा का भुगतान। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रदेश सरकार और बिजली कंपनी बिल राशि पर 3 तरह के अलग-अलग चार्ज लगाकर 2 रुपए 33 पैसे प्रति यूनिट दाम बढ़ा देती है।

वहीं, इतनी महंगी बिजली देने के बाद भी कंपनी अब बिजली दरें 3 से 5 प्रतिशत बढ़वाने के लिए विद्युत नियामक आयोग के पास पहुंच गई है। नियामक आयोग के सचिव डॉ. यूके पांडा का कहना है कि नियामक आयोग द्वारा तय टैरिफ पर बिजली कंपनी अपने चार्ज लगाती है। यदि कोई शिकायतें आती है तो उनकी सुनवाई भी की जाती है।

वर्तमान में यह है तय टैरिफ

  • 0 से 50 यूनिट तक 4.27 रुपए
  • 51 से 150 यूनिट तक 5.23 रुपए
  • 151 से 300 यूनिट तक 6.61 रुपए
  • 300 यूनिट से ज्यादा पर 6.80 रुपए

ऐसे समझिए… बिजली के बिल की राशि और ​विभिन्न चार्ज को

  • एनर्जी चार्ज: उपभोक्ता द्वारा उपयोग की गई बिजली यूनिट खपत के अनुसार यह तय होता है। जैसे कि उपभोक्ता के यहां खपत 469 यूनिट बिजली है तो उसका एनर्जी चार्ज 2908.21 रुपए होगा। इस तरह प्रति यूनिट दर 6 रुपए 20 पैसे होती है।
  • फिक्सड चार्ज: हर बिल में लगने वाला यह चार्ज भी बिजली कंपनी के खाते में जाता है। जानकारी के अनुसार यह चार्ज प्रत्येक बिल में खपत राशि से 27-30 प्रतिशत तक लग रहा है। जैसे कि 2908 रुपए की बिल राशि पर इसे 864 रुपए वसूला जा रहा।
  • इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी: यह चार्ज प्रदेश सरकार को मिलता है। बिजली कंपनी द्वारा यह चार्ज 12 से 16 प्रतिशत तक लगाया जा रहा है। 2908 रुपए के बिल पर कंपनी इसके लिए 358 रुपए का चार्ज वसूल करती है।
  • एफपीपीएएस: इस वर्ष अप्रैल से कंपनी ने व्यवस्था बदली और फ्यूल कॉस्ट एडजेस्टमेंट की जगह फ्यूल एंड पावर परचेज एडजेस्टमेंट सरचार्ज लेना शुरू कर दिया। जो कंपनी हर महीने तय। 2908 रुपए के बिल पर यह चार्ज करती है। 0.6% यानी कि ~202.52 लगाया गया। यह पैसा बिजली कंपनी को मिलता है।

(यह जानकारी घरेलू उपभोक्ता के एक बिल में दर्ज खपत एवं चार्ज के अनुसार तैयार की गई है। जो कि व्यवसायिक और औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं पर जाकर बदल जाती है।)

सब्सिडी खत्म हो, चोरी रोकें तभी सस्ती हो सकेगी है बिजली

यह बात सही है कि बिजली दरें काफी ज्यादा बढ़ती जा रही हैं। यदि इस पर कंट्रोल करना है तो सरकार और बिजली कंपनी को सबसे पहला कदम सब्सिडी खत्म करने का उठाना चाहिए। लोग सब्सिडी का फायदा लेने के लिए चोरी करते हैं और इससे कंपनी का नुकसान बढ़ता जाता है। जिसकी भरपाई करने के लिए कंपनी द्वारा बिजली महंगी की जाती है। साथ ही प्रबंधन को बिजली खरीद के मामले में लंबे समय की प्लानिंग करके खरीदी करनी चाहिए। जिससे कि बिजली सस्ती मिल सके और आपाधापी की स्थिति न बने। इसके अलावा लोगों को भी बिजली की बचत करने के लिए तरीके अपनाने चाहिए।

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