2023 में 10 राज्यों में चुनाव, मिलेगी 24 की झलक …?

2023 में 10 राज्यों में चुनाव, मिलेगी 24 की झलक:राजनीति की दिशा मोड़ सकते हैं सुप्रीम कोर्ट से आने वाले 8 अहम फैसले

नए साल में 10 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें लोकसभा की 93 सीटें आती हैं, जो कुल सीटों का 17% है। इनके अलावा सुप्रीम कोर्ट में आठ ऐसी याचिकाओं पर फैसला आना है, जिनका डायरेक्ट या इनडायरेक्ट असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर हो सकता है।

जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां के नतीजों से केंद्र की तरफ से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले को सही या गलत साबित करने की राय बनेगी। जम्मू-कश्मीर के मौसम को देखते हुए वहां विधानसभा चुनाव अगली गर्मी में ही कराए जाने के आसार हैं।

नए साल में होने वाले इन बदलावों को सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं। शुरुआत चुनाव से…

10 राज्यों में विधानसभा चुनाव, यहां लोकसभा की 93 सीटें

2023 में देश के 10 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्य शामिल हैं। वहीं पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में भी इसी साल चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर में भी इसी साल चुनाव के पूरे आसार हैं। नीचे दिए ग्राफिक से समझा जा सकता है कि 10 राज्यों के चुनाव इतने अहम क्यों हैं…

अब सुप्रीम कोर्ट में चल रहे उन मामलों पर नजर डाल लेते हैं, जिन पर आने वाले फैसले 2024 के लोकसभा चुनाव पर असर डाल सकते हैं…

केस-1: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों का परिसीमन

 

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अगले एक-दो महीने में फैसला दे सकता है। श्रीनगर के हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू ने याचिका में कहा था कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। इधर केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इन आरोपों को गलत बताया था।

कोर्ट ने इस पर 1 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आने वाले साल में कोर्ट का आदेश का असर पूरे राज्य की विधानसभा और लोकसभा सीटों का अंतिम रूप तय करेगा।

केस-2: कर्नाटक हिजाब विवाद में बड़ी बेंच देगी फैसला

2022 की शुरुआत में कर्नाटक के उडुपी में हिजाब पहनकर आई छात्राओं को कॉलेज क्लास में नहीं घुसने दिया गया था। कहा गया कि हिजाब ड्रेस कोड का हिस्सा नहीं है। मुस्लिम समुदाय ने इसका विरोध किया। मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कर्नाटक हाईकोर्ट ने कॉलेजों में हिजाब बैन के राज्य सरकार के फैसले को सही बताया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस पर मतभेद थे।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता ने यह केस 9 जजों की बड़ी बेंच के पास भेजने की राय दी थी। कोर्ट आने वाले साल में इस पर फैसला सुना सकता है। इस फैसले से देशभऱ के मुस्लिम समुदाय की परंपराओं पर असर की बात कही जा रही है।

केस-3: प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट में बदलाव की मांग

ज्ञानवापी, मथुरा, ताजमहल और कुतुब मीनार को लेकर विवाद जारी है। अब विवादित प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की है। स्वामी ने कहा है कि उन्होंने पूरे एक्ट को चुनौती नहीं दी है, बल्कि केवल दो मंदिरों को इसके दायरे से बाहर रखने की मांग की है।

स्वामी ने अपनी याचिका पर अलग से सुनवाई अपील की है, जिस पर कोर्ट जल्द ही इस पर फैसला ले सकता है। एक्ट में बदलाव पर अदालत के फैसले से देश में मंदिर-मस्जिद विवाद पर नई बहस शुरू हो सकती है।

केस-4: CEC, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के तरीके पर विवाद
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में ज्यादा पारदर्शिता लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला देना है। इसको लेकर दायर याचिका में कहा गया है कि इस संवैधानिक पद पर सीधे सरकार की तरफ से नियुक्ति करना सही नहीं है। याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयुक्त का चयन भारत के चीफ जस्टिस (CJI), PM और नेता विपक्ष की कमेटी को करना चाहिए।

केस-5: EWS को 10% रिजर्वेशन लागू रहेगा या नहीं

केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दाखिले और नौकरियों में 10% आरक्षण (EWS कोटा) का प्रावधान किया है। तमिलनाडु की सत्ता में काबिज द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर कहा है कि इस आधार पर जिन्हें रिजर्वेशन दिया जा रहा है, वे कभी सोशल इनजस्टिस का शिकार नहीं हुए।

पहले जब सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी गई थी, तो पांच जजों की संविधान पीठ ने तीन-दो के बहुमत से इसे बरकरार रखा। ताजा याचिका पर आने वाले साल में फैसला आ सकता है, जिसका असर देशभर में आर्थिक रूप से कमजोर आबादी पर होगा।

केस-6: नेताओं-अफसरों की बेतुकी बयानबाजी पर फैसला
क्या जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों को संवेदनशील मामलों में बेतुकी बयानबाजी से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दिशा निर्देश बनाने चाहिए? कोर्ट की संविधान पीठ ने इस पर आदेश सुरक्षित रखा है। दरअसल, 2016 में बुलंदशहर गैंग रेप केस में UP के तत्कालीन मंत्री आजम खान की बयानबाजी के बाद इस मामले की शुरुआत हुई थी।

केस-7: नोटबंदी सही या गलत, संविधान पीठ पर निगाहें

2016 में हुई नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अगले साल फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को नोटबंदी के फैसले से जुड़ी प्रक्रिया के दस्तावेज सौंपने को कहा था। कोर्ट की संविधान पीठ 7 दिसंबर को इस केस की सुनवाई पूरी कर चुकी है। इस मामले पर अदालत का फैसला सरकार के फैसले का सही या गलत साबित करेगा।

केस 8: मुकदमे में नए आरोपी जोड़ने की प्रोसेस पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट को आपराधिक मुकदमों पर भी एक अहम आदेश देना है। इस फैसले में निचली अदालतों को मुकदमे में नए आरोपी जोड़ने का अधिकार देने वाली CRPC की धारा 319 की व्याख्या होनी है। संविधान पीठ को यह तय करना है कि क्या आपराधिक मुकदमे यानी क्रिमिनल केस में आरोपियों को दोषी ठहराए जाने के बाद भी किसी नए व्यक्ति को आरोपी बनाया जा सकता है?

चुनाव और अदालत से इतर इस साल कुछ ऐसे बदलाव भी होंगे, जो हमसे सीधे जुड़े हुए हैं। इनमें नई एजुकेशन पॉलिसी से लेकर डिब्बाबंद सामान की पैकिंग पर दी जाने वाली जानकारी शामिल है। आइए इन पर भी एक नजर डाल लेते हैं…

1. अब 4 साल में होगा ग्रेजुएशन, मल्टिपल एंट्री-एग्जिट के विकल्प

सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करना शुरू कर दिया है। नए नियमों के अनुसार अब ग्रेजुएशन की डिग्री तीन की जगह चार साल में मिलेगी। चार साल के कोर्स में क्रेडिट सिस्टम लागू होगा, जिसके तहत 160 क्रेडिट तक स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स को ऑनर्स डिग्री दी जाएगी।

शुरुआती छह सेमेस्टर में 75% से ज्यादा क्रेडिट हासिल करके आगे रिसर्च को चुनने वाले स्टूडेंट्स को फोर्थ ईयर में रिसर्च सब्जेक्ट चुनने का मौका मिलेगा। उन्हें ग्रेजुएशन के साथ रिसर्च की डिग्री मिलेगी। अभी तीन साल का ग्रेजुएशन कोर्स करने वाले स्टूडेंट भी चार साल के कोर्स के लिए पात्र होंगे। इसके लिए स्पेशल ब्रिज कोर्स तैयार होगा।

2. लॉकर में हेराफेरी पर बैंक जिम्मेदार

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के नए लॉकर नियम 1 जनवरी 2023 से लागू होंगे। नये नियम के मुताबिक बैंक लॉकर में रखे सामान को कोई नुकसान पहुंचने पर बैंक की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

3. फूड आइटम्स के पैक पर पूरी जानकारी देना जरूरी

आप जब नए साल में एंट्री करेंगे तो फूड प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग बदल जाएगी। 1 जनवरी 2023 से 19 तरह के आइटम्स की पैकिंग पर पूरी जानकारी देना जरूरी होगा। इनमें दूध, चाय, बिस्किट, खाद्य तेल, आटा, बोतलबंद पानी, बेबी फूड, दाल और अनाज, सीमेंट बैग, ब्रेड और डिटर्जेंट शामिल हैं। इम्पोर्टेड सामान पर मैन्युफैक्चरिंग डेट और कंट्री ऑफ ओरिजिन भी लिखनी होगी।

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