ग्वालियर : तीन साल में 502 नाबालिग बालक-बालिकाएं अगवा, इनमें 392 छात्राएं
ग्वालियर. जिले में नाबालिग बालक और बालिकाओं को अगवा करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। तीन साल में 12 से 17 वर्ष तक के 502 नाबालिग बच्चे अगवा किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 15 से 17 वर्ष तक की छात्राएं हैं, जिनकी संख्या 392 है। शेष 110 मामलों में छह वर्ष से 17 वर्ष तक के बालक हैं। पुलिस अगवा किए गए बच्चों में से 65 प्रतिशत को ही बरामद कर पाई है। 35 फीसदी बच्चे अभी भी लापता हैं।
अभिभावक देखें, बच्चे किसी अपरिचित के संपर्क में तो नहीं हैं
नवजीवन सहायता संगठन संचालक के नीतेश जैन ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा पर अभिभावकों को ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को स्कूल या अन्य स्थान पर लाने और ले जाने का काम घर के सदस्य करें। बच्चे यदि अपरिचित व्यक्ति से मिले हैं तो वह व्यक्ति कौन है, कहां रहता है और उसका सामाजिक चरित्र क्या है, इसकी जानकारी आवश्यक है। बच्चों का मोबाइल पर या इंटरनेट के जरिए संदिग्ध व्यक्ति से संपर्क तो नहीं हो रहा है, इसके लिए समझाइश देते हुए उसकी गतिविधियों पर नजर रखना आवश्यक है।
तीन साल में इतने बच्चे हुए अगवा
जिले के थानों में धारा 363 के तहत मामलों के अनुसार वर्ष-2020 में 134 बच्चे बहला फुसलाकर अगवा किए गए। जबकि वर्ष-2021 में 175 बच्चे और वर्ष-2022 में 193 बच्चे अगवा किए गए हैं।
अगवा करने के यह हैं कारण
पुलिस ने तीन साल में अगवा हुए बच्चों में से 65 फीसदी बच्चे बरामद किए हैं। पुलिस के जांच अधिकारियों के अनुसार 70 फीसदी बालिकाओं को प्रेम जाल में फंसाकर अगवा किया जा रहा है। वहीं 10 फीसदी बालिकाओं को फिल्मों में हीरोइन बनाने, अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर फुसलाया जा रहा है। 20 फीसदी बालिकाएं मानव तस्करी का शिकार हो रही हैं। बालकों में 20 फीसदी मां-बाप की डांट से नाराज होकर घर छोड़ गए। 30 फीसदी दोस्तों व अन्य लोगों की बातों में आकर अपनी पहचान बनाने के उद्देश्य से गए। 30 फीसदी बालक मानव तस्करी का शिकार हुए हैं, जबकि 20 फीसदी भटक कर गुम हुए हैं।
पुलिस टीमें बच्चों की तलाश कर रही
पुलिस टीमें अगवा हुए बच्चों को लगातार तलाश कर रही हैं। परिणाम स्वरूप बरामदगी में लगातार इजाफा हो रहा है। अभिभावक बच्चों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहें और उन्हें समय दें।
अमित सांघी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
बच्चों के अगवा होने की घटनाओं से अवगत कराएं
नाबालिग छात्र-छात्राओं को अगवा करने तथा बच्चों की तस्करी आदि के समाचारों से अपने बेटे-बेटी को अवगत कराते रहें। ऐसे में बच्चे खुद सतर्क होंगे। बच्चों से दोस्त सा व्यवहार करें, ताकि वह कोई भी बात आप से सहजता पूर्वक साझा कर सकें। माता-पिता की बच्चों से दूरियां भी अक्सर नुकसानदायक साबित हो जाती हैं। बेटे और बेटी को डायल 100, 1098 चाइल्ड लाइन केयर के टोल फ्री नंबर के अलावा घर के मुख्य सदस्यों के मोबाइल नंबर याद कराकर रखना चाहिए। स्कूल खेल मैदान या रिश्तेदारी में किसी भी प्रकार का अटपटा व्यवहार होने पर बच्चे उस घटना को माता-पिता से साझा करें, इस बारे में बच्चों को जागरूक करते रहने की जरूरत है।
शिवभान सिंह राठौर, डायरेक्टर चाइल्ड लाइन
माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को उनके लक्ष्य का ध्यान दिलाते रहें। इससे वह अपने मकसद को पाने के लिए पढ़ाई और भविष्य की तैयारी के लिए व्यस्त रहेंगे। जिससे उन्हें अपरिचित लोगों से नजदीकियां बनाने का अवसर नहीं मिल पाएगा।
हिना खान, डीएसपी महिला थाना ग्वालियर