भोपाल। शिक्षा के अधिकार कानून के प्रविधानों पर ध्यान देते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी निजी स्कूलों में पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षक रखने पर विचार कर रहे हैं। इसके लिए दो वर्ष में एक बार पात्रता परीक्षा कराने की चर्चा शुरू हुई है। अब इस पर विस्तार से विचार कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। ऐसा होने पर उन तीन लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों को नौकरी मिल सकेगी, जो 2018 की शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं पर नौकरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के इस कदम से निजी स्कूलों की पढ़ाई में भी सुधार आएगा।

…नौ जनवरी के अंक में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। अब विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि ऐसा करने से विद्यार्थियों को लाभ होगा। अधिकारियों ने इस पर विचार शुरू कर दिया है पर बड़ी समस्या पात्रता परीक्षा आयोजित कराना है। देखने में आया है कि सरकारी स्कूलों में खाली शिक्षकों के पदों को भरने के लिए भी हर साल परीक्षा कराना संभव नहीं हो रहा है, ऐसे में विभाग ने वर्ष 2011 में परीक्षा कराई थी, इसके बाद 2018 एवं 2020 में करा पाया। क्योंकि खाली पदों के लिए भर्ती की मंजूरी लेने में ज्यादा समय लग जाता है। हालांकि अब अधिकारी इस समस्या का तोड़ निकाल रहे हैं।

वे कहते हैं कि कुल स्वीकृत पदों के पांच प्रतिशत पदों पर भर्ती करने के लिए वित्त विभाग की मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ती है, इसलिए हर साल पांच प्रतिशत पद भरे जा सकते हैं। इस साल कराई जाने वाली परीक्षा इसी रणनीति का हिस्सा है। अन्य अभ्यर्थियों से भर सकेंगे निजी स्कूलों के पद हर साल पांच प्रतिशत पदों के लिए पात्रता परीक्षा कराई जाती है तो सरकारी स्कूलों में रिक्त शिक्षकों के पद भरने के बाद भी उत्तीर्ण अभ्यर्थी बचेंगे, जिनकी नियुक्ति निजी स्कूलों में कराई जा सकती है। हालांकि ऐसे शिक्षकों को कितना वेतन मिलेगा यह निजी स्कूल प्रबंधन ही तय करेगा।