एनजीओ पर ‘कल्याण’ की बारिश, आदिवासी भीगे तक नहीं

अनुसूचित जनजाति कल्याण के लिए एनजीओ को सहायता अनुदान योजना का मामला …

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास का बजट खर्च ही नहीं

रतलाम. प्रदेश में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास के लिए मिले बजट को सरकार खर्च भी नहीं कर पाई है, लेकिन एनजीओ को मालामाल करने का सिलसिला जारी है। अनुसूचित जनजाति कल्याण के नाम पर एनजीओ को बजट देने में मध्यप्रदेश पिछले साल देश में दूसरे स्थान पर था, जबकि लाभार्थियों की संख्या में बाकी राज्यों से काफी पीछे है। करोड़ों बांटने के बाद भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में आदिवासी समाज के लाभार्थियों की संख्या प्रदेश में जीरो है। पिछले पांच वर्ष में एनजीओ के जरिए आदिवासी कल्याण के 175 प्रोजेक्ट पर 33 करोड़ 48 लाख का बजट खर्च किया गया है

मध्यप्रदेश का रिपोर्ट कार्ड

अब तक करोड़ों रुपए एनजीओ और अरबों रुपए विभिन्न योजनाओं में जनजाति समुदाय पर खर्च करने के बावजूद भी कई गांव सुविधाओं से वंचित हैं।

जिन्होंने दिया कम बजट, वहां ज्यादा लाभार्थी

जि न राज्यों ने एनजीओ को मध्यप्रदेश से काफी कम अनुदान दिया, वहां लाभार्थियों की संख्या यहां से कई गुणा अधिक हैं। मेघालय सरकार ने करीब पौने आठ करोड़ का अनुदान इन संस्थाओं को देकर स्वास्थ्य व शिक्षा में 95174 को लाभान्वित किया। झारखंड ने सात करोड़ के अनुदान में 61 हजार, आंध्रप्रदेश ने डेढ़ करोड़ के अनुदान में 16500, केरल ने 1.42 करोड़ का अनुदान देकर स्वास्थ्य में 75592 लोगों को लाभान्वित किया है।

एनजीओ…

अभी आदिवासी कल्याण के 26 प्रोजेक्ट पर 14 एनजीओ काम कर रहे हैं, जिन्हें 5.62 करोड़ आवंटित किए गए हैं।

दो वर्ष से पीवीजीटी बजट खर्च नहीं

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास (पीवीजीटी) में वर्ष 2019-20 में प्राप्त 12064 लाख में से 8098 खर्च किए गए हैं, लेकिन वर्ष 2021-22 में जारी 2188 लाख और वर्ष 2021-22 में जारी 2888 लाख का बजट खर्च ही नहीं हुआ। पिछले पांच वर्ष में केन्द्र की ओर से इस मद में प्राप्त 443.25 करोड़ में से 303.39 का हिसाब भी राज्य सरकार नहीं दे पा रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016-17 में प्रदेश के पात्र जनजातियों के लिए पीवीजीटी योजना के तहत जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने आवंटित 74 करोड़ रुपए की राशि अपात्र और गैर-जनजातियों के बीच बांटने का मामला चर्चा में रहा था।

संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, अनुसूचित जनजाति कल्याण के लिए एनजीओ को अनुदान देने में वर्ष 2021-22 में ओडिशा सबसे आगे रहा। यहां 24 करोड़ 24 लाख 81 हजार का बजट दिया गया। इससे शिक्षा में 11329 और स्वास्थ्य में 14592 को लाभ मिला। दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश ने 11 करोड़ रुपए आवंटित किए। इससे शिक्षा के क्षेत्र में 2468 लोगों को लाभ मिला। स्वास्थ्य में एक रुपया तक खर्च नहीं हुआ।

एनजीओ…

अभी आदिवासी कल्याण के 26 प्रोजेक्ट पर 14 एनजीओ काम कर रहे हैं, जिन्हें 5.62 करोड़ आवंटित किए गए हैं।

दो वर्ष से पीवीजीटी बजट खर्च नहीं

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के विकास (पीवीजीटी) में वर्ष 2019-20 में प्राप्त 12064 लाख में से 8098 खर्च किए गए हैं, लेकिन वर्ष 2021-22 में जारी 2188 लाख और वर्ष 2021-22 में जारी 2888 लाख का बजट खर्च ही नहीं हुआ। पिछले पांच वर्ष में केन्द्र की ओर से इस मद में प्राप्त 443.25 करोड़ में से 303.39 का हिसाब भी राज्य सरकार नहीं दे पा रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016-17 में प्रदेश के पात्र जनजातियों के लिए पीवीजीटी योजना के तहत जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने आवंटित 74 करोड़ रुपए की राशि अपात्र और गैर-जनजातियों के बीच बांटने का मामला चर्चा में रहा था।

सुविधाएं वंचित गांव

स्कूल 1257

स्वास्थ्य 652

सडकें 1317

ड्रेनेज 9482

पीडीएस 12206

टेलीकॉम 2705

इंटरनेट कैफे 17668

पोस्टऑफिस 17674

बिजली 600

पब्लिक ट्रांसपोर्ट 6464

मार्केट सुविधा 16700

(जहां एसटी आबादी 25 फीसदी से अधिक है)

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