भोपाल। देश में पिछले तीन साल में आपरेशन से प्रसव 20.5 से बढ़कर 23.9 प्रतिशत हो गया है। यह स्थिति 2019-20 की तुलना में 2021-22 की है। देश के निजी अस्पतालों में कुल प्रसव में 38 प्रतिशत आपरेशन से हो रहे हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में यह आंकड़ा 15 प्रतिशत ही है। बिहार में आपरेशन से प्रसव का प्रतिशत सबसे कम पांच है। झारखंड और उत्तर प्रदेश में यह नौ प्रतिशत है। आंध्र प्रदेश, दिल्ली, केरल, कनार्टक और तमिलनाडु में 25 प्रतिशत से ज्यादा प्रसव आपरेशन से हो रहे हैं। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की हेल्थ मैनेजमेंट इंफारमेशन सिस्टम (एचएमआइएस) की 2022 की रिपोर्ट में सामने आई है।

रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में आपरेशन से 8.63 प्रतिशत प्रसव होते हैं, जबकि निजी में यह आंकड़ा 45 प्रतिशत है। विशेषज्ञों का कहना है कि कई महिलाएं दर्द से बचने के लिए निजी अस्पतालों में जाकर आपरेशन से प्रसव कराती हैं। दूसरी तरफ निजी अस्पतालों पर यह भी आरोप लगते हैं कि ज्यादा पैसे के लालच में वे आपरेशन से प्रसव पर ज्यादा जोर देते हैं। सामान्य प्रसव 10 से 20 हजार रुपये में हो जाता है तो आपरेशन से प्रसव का पैकेज 50 हजार रुपये से 75 हजार रुपये तक है।

देश में इस तरह बढ़ा आपरेशन से प्रसव वर्ष …..

आपरेशन से कुल प्रसव का प्रतिशत 

2019-20– 20.5

2020-21– 21.3

2021-22– 23.9

देश के सरकारी और निजी अस्पतालों में आपरेशन से प्रसव (प्रतिशत में) ….

वर्ष– सरकारी– निजी

2019-20– 14.1 — 34.2

2020-21– 13.96–35.95

2021-22– 15.48 -37.95

राज्य जहां आपरेशन से प्रसव 25 प्रतिशत से ऊपर रहा

राज्य– 2020-21– 2021-22

तेलंगाना– 55–54

जम्मू-कश्मीर– 46– 48

तमिलनाडु– 44–47

आंध्र प्रदेश– 41– 42

चंडीगढ़– 33– 36

दिल्ली– 32– 35

कर्नाटक– 34– 35

मध्य प्रदेश–11– 13(आंकड़े प्रतिशत में)

राज्य जहां निजी अस्पतालों में आपरेशन से प्रसव का प्रतिशत ज्यादा

राज्य – 2020-21–2021-22

अंडमान एवं निकोबार– 95–96

दिल्ली– 59– 62

जम्मू-कश्मीर—89–92

मध्य प्रदेश 40–45

तेलंगाना–65 –61

त्रिपुरा– 94–93

बंगाल– 79–84

ओडिसा– 65– 75(आंकड़े प्रतिशत में )

विशेषज्ञ की राय…

आरामपसंद जीवनशैली से मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां बढ़ी हैं। ऐसी जीवनशैली वाली महिलाएं प्रसव पीड़ा नहीं झेल पातीं। किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट के बाद भी महिलाएं गर्भधारण कर रही हैं, जिनका आपरेशन करना पड़ता है। देर से शादी भी एक वजह है। निजी अस्पतालों में जो वर्ग जाता है, उनमें यह समस्याएं ज्यादा रहती हैं। निजी अस्पताल सामान्य प्रसव के लिए इंतजार कर जोखिम नहीं लेना चाहते और आपरेशन करते हैं। सरकारी अस्पतालों में मेहनत करने वाला वर्ग ज्यादा है, जिससे सामान्य प्रसव ज्यादा होते हैं। सरकारी अस्पताल में डाक्टर भी जोखिम उठा लेते हैं।  डा., पूर्व प्राध्यापक, स्त्री एवं प्रसूति रोग, गांधी मेडिकल कालेज, भोपाल।

ज्यादा पैसे के लिए आपरेशन का आरोप अनुचित है। कई अस्पताल सामान्य व आपरेशन का समान पैसा लेने लगे हैं। अच्छे खानपान से अब मां के शरीर के हिसाब से शिशु का वजन ज्यादा रहता है। ज्यादा उम्र के साथ ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी जटिलताओं के चलते न तो प्रसूता के घर वाले जोखिम उठाते हैं, न ही डाक्टर। पिछले वर्ष इंग्लैंड में रायल कालेज आफ आब्सट्रैटिशिएन एवं गायनकोलाजिस्ट के प्रेसीडेंट ने सीजर कम करने की बात कही थी, पर प्रसव में देरी से बच्चों को दिक्कत होने लगी तो माफी मांगते हुए अपनी बात वापस ले ली।