अदाणी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच करेगी ऑस्ट्रेलिया सरकार, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा

हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट से अदाणी ग्रुप को तगड़ा झटका लगा है और कंपनी के शेयरों में गिरावट आई है। अब खबर आई है कि ऑस्ट्रेलिया के कॉरपोरेट रेगुलेटर भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है। बता दें कि अमेरिकी फर्म हिंडेनबर्ग ने बीती 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी कर अदाणी ग्रुप पर शेयरों में हेराफेरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अदाणी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। अब ऑस्ट्रेलिया के अखबार सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ऑस्ट्रेलिया के कॉरपोरेट रेगुलेटर्स भी मामले की जांच कर रहे हैं।

हालांकि अभी तक ऑस्ट्रेलिया कॉरपोरेट रेगुलेटर ऑस्ट्रेलियन सिक्योरिटीज एंड इनवेस्टमेंट कमीशन ने इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया है। बता दें कि गौतम अदाणी के नेतृत्व वाला अदाणी समूह ऑस्ट्रेलिया में भी बिजनेस करता है और वहां समूह कार्मिकेल कोयला खदान और एबॉट पाइंट पोर्ट का संचालन करता है। बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इस कंपनी को कॉरपोरेट जगत की गलत गतिविधियों का खुलासा करने के लिए जाना जाता है।

हालांकि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह ने भी प्रतिक्रिया दी है और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत पर साजिश के तहत हमला बताया। अदाणी समूह ने रिपोर्ट को निराधार और बदनाम करने वाला बताया। समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी जुगेशिंदर सिंह ने कहा कि रिपोर्ट में तथ्यात्मक आंकड़े प्राप्त करने के लिए कंपनी से संपर्क नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट गलत और पुरानी सूचनाओं, निराधार और बदनाम करने की मंशा से किया गया एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है। अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात भी कही है।

उल्लेखनीय है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद खुद कंपनी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी न्याय विभाग दर्जनों बड़े शॉर्ट सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच कर रहा है। इस मामले में हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी भी सवालों के घेरे में है। अमेरिका न्याय विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि क्या शॉर्ट सेलर्स ने समय से पहले हानिकारक शोध रिपोर्ट साझा करके शेयर की कीमतों को कम करने की साजिश तो नहीं रची जा रही।

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