ग्वालियर – चंबल प्रोजेक्ट- 30 साल तक पेयजल समस्या के समाधान का दावा, हकीकत में 15 साल बाद ही दम तोड़ने लगेगी योजना
अधूरी प्लानिंग अधूरा अमल:चंबल प्रोजेक्ट- 30 साल तक पेयजल समस्या के समाधान का दावा, हकीकत में 15 साल बाद ही दम तोड़ने लगेगी
- 2025 में शहर में पानी की खपत 260.20 एमएलडी होगी जो 2040 तक बढ़कर 477.91 हो जाएगी
अगले तीन दशक तक शहर को पानी की समस्या का सामना न करना पड़े इसे ध्यान में रखकर तैयार की जा रही चंबल से पानी लाने की 376.04 करोड़ रुपए की यह योजना डेढ़ दशक में ही दम तोड़ने लगेगी। इसका कारण योजना में बदलाव किया जाना है। शुरुआती दौर में चंबल से 250 मिलियन लीटर रोजाना (एमएलडी) पानी लाने का प्रस्ताव था, जो बाद में घटकर 150 एमएलडी रह गया।
इसमें से भी चंबल के पानी का हिस्सा महज 90 एमएलडी होगा। शेष 60 एमएलडी पानी कोतवाल बांध से लेना पड़ेगा। चंबल नदी से तिघरा तक पानी लाने का प्रस्ताव था, लेकिन चंबल से पानी लाने की अनुमति नहीं मिल पाई। मुरैना के अधिकारियों ने भागदौड़ कर यह अनुमति ले ली। मुरैना को चंबल से 150 एमएलडी पानी की अनुमति मिल गई। इस पर जिम्मेदारों ने बीच का रास्ता निकालते हुए मुरैना से ग्वालियर तक लाइन बिछाकर मुरैना के 150 एमएलडी पानी में से 90 एमएलडी लेने की योजना तैयार कर ली। इसको राज्य स्तरीय तकनीकी समिति की मंजूरी मिल गई है। टेंडर डॉक्यूमेंट तैयार हो चुका है। हाल में केंद्रीय मंत्री सिंधिया के सामने दिए प्रजेंटेशन में अधिकारियों ने आंकड़ों से भी यह स्पष्ट किया है कि भविष्य में पानी की कमी पड़ेगी।