मजदूर सुसाइड को मजबूर …!

मध्यप्रदेश में पिछले 8 साल में 25486 दिहाड़ी मजदूरों ने ली अपनी जान, तमिलनाडु पहले और महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर   …

दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के मामले में मप्र देश में तीसरे नंबर पर हैं। मप्र में एक ही साल में 4657 दिहाड़ी मजदूरों ने सुसाइड की, जो कि तमिलनाडु (7673) और महाराष्ट्र (5270) के बाद तीसरा सबसे भयावह आंकड़ा है। एनसीआरबी के 2014 से 2021 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो इन 8 सालों में मप्र में 25486 दिहाड़ी मजदूरों ने अपनी जान ली हैं। इस दौरान देशभर के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर 2,35,779 दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की है।

यानी, हर साल देश में 19,631 मजदूर सुसाइड करने को मजबूर हैं। महाराष्ट्र में 29516 और तमिलनाडु में 44254 लोगों ने अपनी जान खुद ली। दूसरी ओर केंद्र का दावा है कि देशभर में कामगारों सहित असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सरकार ने सामाजिक सुरक्षा अधिनियम बनाया है। इसके तहत जीवन एवं अपंगता, स्वास्थ्य और प्रसूति लाभ, वृद्धावस्था संरक्षण की योजनाएं हैं।

एक्सपर्ट व्यू- मजदूरों के हितों पर केवल बातें

35 साल से मप्र में मजदूरों के हित पर काम कर रही संस्था ग्राम सुधार समिति के सार्थक त्यागी के मुताबिक सरकारी और निजी स्तर पर मजदूरों के हितों पर केवल बातें होती हैं। जैसे, मनरेगा में मजदूरी 204 रुपए है और जब काम नहीं मिलता तो बेरोजगारी भत्ता देने का नियम है, लेकिन नहीं मिलता। निजी स्तर पर हाल और भी बुरा है।

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