ग्वालियर  शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व सिविल डिस्पेंसरी, सिविल अस्पताल किस हाल में हैं यह देखने वाला कोई नहीं है। कहीं पर डाक्टर गायब तो कहीं पर स्टाफ ही नहीं। कुल मिलाकर मरीजों को इलाज के नाम पर यह अस्पताल ढांचे बने हुए हैं। जहां पर परामर्श नहीं मिलता पर बस दवा के नाम पर गोली देकर मरीजों को चलता कर दिया जाता है। नतीजा बड़े अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती भीड़। जितनी संख्या में शहर में अस्पताल मौजूद है यदि वहां पर डाक्टर व स्टाफ सही से काम करे तो बड़े अस्पतालों में मरीजों का भार कम होगा। जब नईदुिनया टीम ने स्वास्थ्य केंद्रों की हकीकत जानी तो स्टाफ गायब था।

समय : 3 बजे – सिविल अस्पताल हेमसिंह की परेड

– यह मिली स्थिति : सिविल अस्पताल में डा. हेमंत आर्य मौजूद थे। डा आर्य ने बताया कि यहां पर डा विक्रम सिंह हैं जो ओपीडी में नियमित आते हैं लेकिन उनके साथ में कुछ समस्याएं है इसलिए मुझे प्रभारी बनाया गया है। यहां पर एक सैकड़ा से अधिक की ओपीडी है। दो नर्सिंग स्टाफ, कंप्यूटर आपरेटर, वार्ड बाय भी है, लेकिन लैब टेक्नीशियन न होने से मरीजों की जांच यहां पर नहीं हो पाती है। जिससे मरीजों को परेशानी आ रही है। पहले जो टेक्नीशियन था वह जेल में तैनात कर दिया गया है। अस्पताल का परिसर भी छोटा है इसलिए व्यवस्थाएं जैसी है वैसे में ही काम करना पड़ रहा है।

– रिपोर्टर: बुखार आ रहा है, डाक्टर को दिखाना है

– कर्मचारी: डाक्टर साहब तो नहीं हैं।

– रिपोर्टर: तो अब कौन चैकअप करेगा और परामर्श देगा।

– कर्मचारी: डाक्टर साहब तो हो सकता है कि लौटकर आएं भी और न भी आएं। आप कल आकर दिखा लेना।

– रिपोर्टर: कल तक हम क्या करें?

– कर्मचारी: बुखार की दवा दे देते हैं, जिससे आपको आराम मिलेगा।

– रिपोर्टर: अस्पताल खाली पड़ा है, आज स्टाफ भी नहीं आया क्या कारण है?

– कर्मचारी: नर्सिंग स्टाफ आवश्यक कार्य के चलते सीएल पर है। कंप्यूटर आपरेटर कहीं गए हुए हैं। अभी सपोर्ट स्टाफ व फार्मासिस्ट ही मौजूद है।

अस्पताल में ड्यूटी समय पर मौजूद न रहना गलत है। मैं जानकारी लेता हूं, यदि बिना अवकाश लिए डाक्टर अस्पताल से गायब है तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा और भी कौन-कौनसा स्टाफ नहीं था सभी के खिलाफ कार्रवाई होगी। केन्द्रीय जेल में टेक्नीशियन की आवश्यकता थी इसलिए वहां पर भेजना पड़ा। जल्द ही यहा पर भी टेक्नीशियन उपलब्ध कराया जाएगा।

डा मनीष शर्मा, सीएचएचओ