विधानसभा अध्यक्ष सत्ताधारी पार्टी के नेता के तौर पर काम कर रहे हैं, सब देख रहे हैं- कमलनाथ
कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन के बाद तेजी से उभरे सियासी घटनाक्रम में विपक्ष ने स्पीकर डॉ. गिरीश गौतम की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही कहा कि वे सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि वे भाजपा सरकार के नेता बन गए हैं, जबकि उन्हें संसदीय परंपराओं का पालन करना चाहिए था। डॉ. गौतम ने पलटवार किया कि जो मेरे खिलाफ अविश्वास ला सकते हैं, उनसे दूसरी बातों की उम्मीद नहीं है।
विधानसभा अध्यक्ष सत्ताधारी पार्टी के नेता के तौर पर काम कर रहे हैं, सब देख रहे हैं- कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री
विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि विपक्ष तो कहेगा ही कि मैं सत्तापक्ष के दबाव में काम कर रहा हूं, जबकि वास्तव में ऐसा कुछ नहीं है। सदन संसदीय परंपराओं से चलता है।
पूरे प्रदेश की जनता देख रही है कि विधानसभा अध्यक्ष सत्ताधारी नेता के तौर पर काम कर रहे हैं। अगर वे संसदीय परंपराओं का पालन करते तो जीतू पटवारी पर एकतरफा कार्रवाई नहीं करते।
जीतू पटवारी अशोभनीय आचरण कर रहे थे, खेद भी प्रकट नहीं कर रहे थे। इसलिए निलंबन करना पड़ा।
जीतू पटवारी के सदन में किए गए कार्य की मैं प्रशंसा करता हूं। विपक्ष के विधायक को जिस तरह से जनता की मांग उठाना चाहिए, वही काम उन्होंने किया। पूरी पार्टी जीतू के साथ है। हम इसी तरह जनता के मुद्दे उठाते रहेंगे।
अध्यक्ष का कहना है कि सदन चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका विपक्ष की होती है, जो वो नहीं निभा रहे हैं?
अगर विधानसभा अध्यक्ष ने वाकई यह बात कही है तो फिर मुझे दुख के साथ कहना पड़ेगा कि उन्हें संसदीय परंपराओं का ज्ञान नहीं है। सत्र को चलाना विपक्ष की नहीं, बल्कि सत्ताधारी दल की जिम्मेदारी होती है।
पटवारी के निलंबन का मामला अभी निपटा नहीं कि फिर कांग्रेस के विधायकों ने सदन में विधानसभा नियमावली की प्रतियां फाड़ दी।
इस मामले में नेता प्रतिपक्ष डाॅ. गोविंद सिंह और विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नेता प्रतिपक्ष की ओर किताब फेंकी थी। संभवत: वे नेता प्रतिपक्ष को किताब मारना चाहते थे। हमने इस मामले में नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
संसदीय कार्यमंत्री जिन पर फ्लोर संभालने की जिम्मेदारी होती है, वे अशोभनीय बर्ताव कर रहे हैं?
संसदीय कार्य मंत्री का अमर्यादित व्यवहार है। उनके ऊपर तो फ्लोर मैनेजमेंट की जिम्मेदारी होती है। वे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सेतु का काम करते हैं।
वे मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं, ये तो नहीं कहेंगे कि मैं निष्पक्ष हूं- डॉ. गिरीश गौतम, मप्र विस स्पीकर
विपक्ष आपके ऊपर सरकार के दबाव में एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगा रहा है?
उनको जो कहना चाहिए, वही कह रहे हैं। मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं। ये तो नहीं कहेंगे कि मैं निष्पक्ष हूं।
क्या आपको लगता है कि दोनों दलों के साथ आपका व्यवहार बराबरी का है?
विधानसभा अध्यक्ष ने कोई शपथ नहीं ली। सदन में दोनों पक्षों को बराबरी का मौका दिया जाता है। कितनी बार जीतू पटवारी को टोका गया है। रिकाॅर्ड देख लें। सत्तापक्ष का प्रस्ताव था कि उन्हें बजट सत्र से निलंबित किया जाए। इसे एक घंटे तक रोके रखा। पटवारी नहीं माने तो कार्रवाई की।
पटवारी को सस्पेंड करने के पीछे उनकी बड़ी गलती क्या थी?
लगातार पटवारी को समझाया। सदन की गरिमा को ठेस न पहुंचाएं। इसकी प्रतिष्ठा है। वो तो मंच या सभा की तरह भाषण दे रहे थे। ये नहीं करने दे सकते। किसी विधायक के निर्देश पर विधानसभा थोड़े ही चलेगी। उन्हें बोलने के कई मौके दिए गए। पहले एक घंटा और बाद में 40 मिनट। वे कोई नेता प्रतिपक्ष थोड़े ही हैं।
सभापति पर भी कुछ कथन विलोपित करने का दबाव बनाया गया?
उन्हीं के दल की विधायक हैं। क्यों दबाव में आकर विलोपित कराया। यह सवाल तो उनसे पूछें। यदि कथन में असंसदीय शब्द होंगे तो उन्हें हटाया ही जाना चाहिए।
{अमर्यादित और असंसदीय शब्द क्या थे?
बिलकुल इसी कारण पटवारी पर कार्रवाई हुई। जो कार्यवाही से हटा दिया गया है, उन शब्दों को नहीं बोल सकता।
सत्र छोटे क्यों हो हो रहे हैं, इसका जिम्मेदार कौन है?
सत्र चलाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी विपक्ष की होती है। वह सही भूमिका निभाए तो सरकार को जवाबदेह बनाया जा सकता है। सत्तापक्ष की जवाबदेही और विपक्ष की जवाबदारी, दोनों के समन्वय से सदन चलता है। इसका ज्यादा फायदा विपक्ष को होता है।
निष्पक्षता बड़ा प्रश्न है, क्या सदन में यह होता है?
हमेशा प्रयास करता हूं कि निष्पक्षता से काम कर सकूं।