भोपाल के पुलिस आयुक्‍त बने हरिनारायणाचारी मिश्र !

इंदौर में पचास से ज्यादा दंगे रोके, ड्रग्स पैडलर पकड़े, अब भोपाल के पुलिस आयुक्‍त बने हरिनारायणाचारी मिश्र
2003 बैच के आइपीएस हरिनारायणाचारी मिश्र इंदौर में एसएसपी, डीआइजी, आइजी और पुलिस आयुक्त रहे हैं।

 यूं तो इंदौर अमन पसंद शहर है, लेकिन यहां हर प्रकार के अपराध घटित होते हैं। सूचना पर तुरंत एक्शन लिया जाए तो बड़ी से बड़ी घटना टाली जा सकती है। हमने पिछले डेढ़ साल में पचास से ज्यादा दंगे रोके हैं, जिनकी चर्चा भी नहीं होने दी। हेल्प लाइन शुरू की और ड्रग्स पैडलरों को पकड़ कर जेल भेजा।

2003 बैच के आइपीएस हरिनारायणाचारी मिश्र इंदौर में एसएसपी, डीआइजी, आइजी और पुलिस आयुक्त रहे हैं। शासन ने उन्हें अब भोपाल पुलिस आयुक्त बनाया है। उनके स्थान पर भोपाल पुलिस आयुक्त मकरंद देऊस्कर को भेजा गया है। देऊस्कर 1997 बैच के आइपीएस है और पूर्वी क्षेत्र के एसपी भी रह चुके हैं।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के पसंदीदा अफसरों में शामिल मिश्र ने आयुक्त प्रणाली को स्थापित किया। इंटेलिजेंस विंग को मजबूती दी।

मिश्र के मुताबिक कई मौके आए, जब शहर में सांप्रदायिक तनाव और दंगे की साजिश हुई, लेकिन हमने पूर्व सूचना पर तुरंत एक्शन लिया और बड़ी घटनाओं को आसानी से टाल दिया। खजराना के कुछ असामाजिक तत्व हिंदूवादियों की रैली में गोलियां चलाना चाहते थे। पुलिस ने आसूचना का इस्तेमाल किया और तीन आरोपितों को पकड़ लिया। इनके तार पाकिस्तानी ग्रुप से जुड़े थे और बड़ी घटना की साजिश कर रहे थे।

 

खरगोन दंगे के दौरान भी शहर को सुलगाने की साजिश हुई, लेकिन हमने इंटरनेट मीडिया की मानीटरिंग कर मंसूबों को नाकाम कर दिया। मिश्र के मुताबिक शहर के नागरिक सभ्य है। उनके द्वारा दी जाने वाली सूचना पर पुलिस तत्काल कार्रवाई करें तो सफलता मिल जाती है। हमने विभाग में नवाचार किए जो आगे काम आते रहेंगे। नार्को हेल्प लाइन की शुरुआत की, जिससे गली मोहल्लों में ड्रग्स बेचने वालों की सूचना आने लगी।

संजीवनी हेल्पलाइन के माध्यम से आत्महत्या की सैकड़ों घटनाओं को टाला गया। साइबर हेल्पलाइन अपने आप में देश की पहली हेल्प लाइन है, जिससे हमने 4 करोड़ से ज्यादा राशि ग्राहकों को लौटाई है, जो साइबर ठग द्वारा ठगी गई थी। मूकबधिर हेल्प लाइन भी देश की पहली और अनूठी योजना है।

मिश्र के मुताबिक शहर के अनुमान से ट्रैफिक एक समस्या है, लेकिन इसका हल लोगों को ही निकालना होगा। 40 लाख की आबादी वाला शहर है। सड़कें वही है और वाहन बढ़ते जा रहे हैं।

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