ग्वालियर। शहर में भू-माफिया का गुंडाराज, इससे सरकारी कर्मचारी से लेकर व्यापारी तक इनसे पीड़ित हैं। अपनी ही जमीन के लिए यह लोग पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तरों में भटक रहे हैं, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा। गुंडागर्दी के बल पर दूसरों की जमीनें हड़पने वाले इन भू-माफियाओं से प्रताड़ित ऐसे ही लोगों से नईदुनिया ने संपर्क किया, इन लोगों ने अपना दर्द साझा किया। इसमें सामने आया किस तरह से पूरे सिस्टम ने ही इनका साथ नहीं दिया, जिसकी वजह से अपनी ही जमीन के लिए लोग सालों से भटक रहे हैं।

यह है दर्द: 1. योगेश शर्मा निवासी मुरार, जो खुद राजस्व विभाग में है। उन्होंने और उनके दो रिश्तेदारों ने सिटी सेंटर इलाके में रजिस्ट्रार कार्यालय के पास रामू सिंह कंसाना से प्लाट खरीदे। इन लोगों ने तीन प्लाट खरीदे। योगेश शर्मा ने अपनी पत्नी सीमा शर्मा के नाम प्लाट खरीदा। 7 जनवरी 2020 को रजिस्ट्री करवाई। इन्हें फार्म फोर कालोनी कहकर प्लाट बेचे गए, बाद में बोले- अभी इसे फार्म फोर कराना बाकी है। कुछ दिन में यह प्रक्रिया पूरी कराने की बात कहकर इन्हें घुमाते रहे। इन्हें जिस नक्शे पर प्लाट बेचे, उसकी जगह टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से दूसरा नक्शा पास कराकर दूसरों को रजिस्ट्री कर दी। योगेश और उनके रिश्तेदारों ने इसका नामांकन करा दिया। फिर जैसे ही निर्माण कार्य करने के लिए पहुंचे तो यह लोग विरोध करने लगे। योगेश का कहना है- पूरे षड़यंत्र के साथ इन लोगों ने कोर्ट में यह आवेदन लगा दिया कि अभी प्लाट बेचने के एवज में उन्हें राशि नहीं दी गई। जबकि रजिस्ट्री में पूरी राशि देने का उल्लेख है, बैंक का स्टेटमेंट है। कोर्ट ने कब्जा योगेश और उनके रिश्तेदारों का माना, लेकिन यह लोग जब भी जमीन पर जाते हैं तो उन पर हमले पर आमादा हो जाते हैं। रामू सिंह कंसाना और उसके साथियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। इस मामले की शिकायत कई जगह की, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली।

2- मुरार के रहने वाले राजेंद्र गर्ग। बिजौली के सुनारपुरा गांव में इनकी जमीन है। जिस पर खेती कर रखी है। राजेंद्र ने बताया कि उनकी जमीन पर रिंकू राणा, अलबेल सिंह, पुलिंदर सिंह, अनिल सिंह, परवेंद्र व इनके साथियों ने जबरन खंडे डाल दिए और पूरी फसल काट ले गए। अब यह लोग जमीन हड़पने का षड़यंत्र कर रहे हैं, इसकी शिकायत बिजौली थाने में की लेकिन बिजौली थाना पुलिस ने सुनवाई तक नहीं की। कई बार थाने के चक्कर काटे लेकिन यहां दूसरे पक्ष को बुलाया तक नहीं गया। जबकि इसके फोटो, वीडियो, जमीन के कागज तक सौंप दिए।