श्रीराम वन गमन पथ पर REPORT:MP में प्रोजेक्ट कागजों में सिमटा; चित्रकूट के संत बोले- आज भी पगडंडी से ज्यादा कहीं कुछ है क्या..

वनवास के दौरान राम ने सबसे ज्यादा दिन चित्रकूट में बिताए हैं। कहा जाता है कि चित्रकूट में पग-पग पर राम की निशानियां बसी हैं। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा पर बसे चित्रकूट नगरी के विकास के लिए बड़ी बातें की गईं। इसे श्रीराम वन गमन पथ बनना है, लेकिन 14 साल में काम के नाम पर सिर्फ सर्वे हुआ है। संतों का दावा है कि पथ आज भी पगडंडी ही है। वहीं पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में श्रीराम वन गमन पथ को मूर्ति रूप देने का काम तेजी से चल रहा है। यूपी के अयोध्या से लेकर प्रयागराज वाया श्रृंगवेरपुर होते हुए फोर लाइन के माध्यम से चित्रकूट को छोड़ दिया गया है।

मध्यप्रदेश के सतना जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर टीम सबसे पहले चित्रकूट के रामघाट पहुंची। यहां पुरोहित संदीप तिवारी मिले। उन्होंने चित्रकूट की गंगा कही जाने वाली मां मंदाकिनी नदी का बड़ा महत्व है। बोले- ये रामघाट यूपी क्षेत्र है, इसलिए जगमग है। एमपी के भरतघाट में कोई स्नान तक नहीं करता है। इसके बाद टीम कामदगिरी पर्वत पहुंची।

यूपी की सरकार द्वारा बनाया गया रामायण दर्शन
यूपी की सरकार द्वारा बनाया गया रामायण दर्शन

भगवान कामनाथ के मुख्य पुजारी और ट्रस्टी मदनगोपाल दास ने बातचीत में कहा-श्रीराम वन गमन पथ को लेकर मध्यप्रदेश के हिस्से में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है, जबकि यूपी के हिस्से में कई विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं। हमारी सरकार से अपील है कि दोनों सरकार समानांतर रूप से बैठकर विकास की बात करें, क्योंकि चित्रकूट जो श्रीराम की कर्मस्थली है, वह दो राज्यों की सीमा से लगा है। एमपी के हिस्से का श्रीराम वन गमन पथ उपेक्षा का शिकार है।

सती अनुसूया के आश्रम की उंचाई से ऐसी दिखती है मंदाकिनी नदी।
सती अनुसूया के आश्रम की उंचाई से ऐसी दिखती है मंदाकिनी नदी।

आगे चलकर सती अनुसूया आश्रम पहुंचे तो मुख्य महंत कमलदास मिले। उन्होंने बताया, श्रीराम वन गमन पथ के सर्वे की बात आ रही है। अनुसूया से लेकर सरभंगमुनि आश्रम का निरीक्षण किया गया। अभी लोग पगडंडी से आते-जाते है। हालांकि पुल और नदियों का सर्वे हुआ है,लेकिन अभी काम कुछ नहीं हुआ है। स्फटिक शिला के पुजारी जुगुल​ किशोर दास ने बताया कि अभी तक न यहा सर्वे हुआ है न कोई विकास के कार्य हुए हैं। एमपी के हिस्से वाले भगवान की सरकार सुध नहीं ले रही है।

स्फटिक शिला के पास नदी में स्नान करते भक्त
स्फटिक शिला के पास नदी में स्नान करते भक्त

गुप्त गोदावरी की गुफा पहुंचे तो पुजारी अनिल कुमार शुक्ला मिले। बताया कि श्रीराम वन गमन पथ के नाम पर गोदावरी में कुछ नहीं है। कहते है कि स्मार्ट सिटी बनाई जाएगी। वहीं नगर पंचायत के प्रभारी रामचन्द्र मिश्र ने बताया कि गुप्त गोदावरी क्षेत्र प्रो​जेक्ट में शामिल है। यहां सर्वे पूरा हो चुका है। साथ ही सरकार की प्राथमिकता में है।

चित्रकूट के घने जंगल, जहां भगवान श्रीराम ने की थी लीला
चित्रकूट के घने जंगल, जहां भगवान श्रीराम ने की थी लीला

एमपी के हिस्से का श्रीराम वन गमन पथ
अयोध्या से प्रयागराज होते हुए चित्रकूट के बाद एमपी के सतना जिले की सीमा लगती है। 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में 11 वर्ष 11 माह और 11 दिन बिताए थे। ऐसे में 80 फीसदी राम की लीला एमपी के हिस्से में हुई है। इसके बाद यह पथ पन्ना, अमानगंज, कटनी, जबलपुर, मंडला, डिंडौरी, शहडोल होते हुए अमरकंटक तक जाता है। इसके आगे सरगुजा में सीता कुंड से छत्तीसगढ़ की सीमा लग जाती है। 2007 में श्रीराम वन गमन पथ की योजना बनाई गई थी।

प्रो​जेक्ट में शामिल सतना जिले के क्षेत्र
प्रोजेक्ट में कामदगिरी पर्वत, कामतानाथ मंदिर, मंदाकिनी नदी, स्फटिक शिला, अनुसूया आश्रम, गुप्त गोदावरी, टिकरिया अमरावती आश्रम, मारकुंडी मारकंडे आश्रम, सरभंगमुनि आश्रम, सुतीक्षण आश्रम और​ सिद्धा पहाड़ शामिल है। रामचरित मानस के अरण्य कांड में सरभंगा आश्रम का वर्णन है। संत महात्माओं के मुताबिक भगवान यहां अरण्य कांड की लीला कर दंडकारण्य की ओर चले गए थे।

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