भिंड – पंचायतों के पेमेंट में गड़बड़झाला!
भिंड, अटेर व रौन जनपद CEO और मनेरगा सहायक लेखाफसरों को थमाए नोटिस …
भिंड जिले में मार्च महीने में पंचायतों में होने वाले काम के बदले पेमेंट किए गए। इन भुगतानों में अब धांधली की बू आ रही है। जिले के भिंड, अटेर व रौन जनपद सीईओ व उनके अधीनस्थों को भिंड कलेक्टर ने नोटिस थमाया है। जिसका जवाब आगामी 27 मार्च को सुबह 11 बजे तक पेश किए जाने की डेटलाइन निर्धारित की गई है। यद्पि संतोष जनक जवाब पेश नहीं किया गया तो इन अफसरों पर आगामी कार्रवाई हो सकती है। ऐसी चेतावनी भी दी गई है।
जनपदों में अफसर-नेताओं में छिड़ा था विवाद
भिंड जनपद के साथ ही अब अटेर जनपद में धांधली की शिकायत हुई है। भिंड जनपद सीईओ सुनीता शर्मा दंडोतिया और जनपद उपाध्यक्ष शिवांकर सिंह भदौरिया के बीच होने वाले विवाद में पंचायतों के भुगतान में लेन-देन किए जाने की बात सामने आई थी। जनपद उपाध्यक्ष ने सीधे तौर पर सीईओ पर अनियमितता पूर्ण भुगतान किए जाने का आरोप लगाया था। हालांकि इससे पहले 15 मार्च को ही जिला पंचायत सीईओ द्वारा जनपद सीईओ को अनियमितता पूर्ण भुगतान किए जाने को लेकर नोटिस दिया गया था। इसी तरह का मामला जनपद अटेर में भी देखने को मिला था। यहां पर जनपद सीईओ राजधर पटेल व उनके अधीनस्थ प्रभारी लेखाधिकारी राजेंद्र सिंह भदौरिया द्वारा अनियमितता पूर्ण भुगतान किए कर कमीशनखोरी किए जाने की शिकायत बीजेपी नेता व अटेर क्षेत्र के विधायक प्रतिनिधि विकाश शर्मा ने की थी। ये शिकायत कलेक्टर से की गई थी। इसके पश्चात मामला संज्ञान में लिया गया था। ये शिकायत बीते चार दिन पहले की गई थी। इसी तरह का मामला रौन जनपद के सीईओ अरूण त्रिपाठी और प्रभारी सहायत लेखाधिकारी दिलीप मूढ़ोतिया का है। इन पर भी अनियमितता पूर्ण भुगतान किए जाने का आरोप लगा है।
ऐसे की गड़बड़ी
भिंड कलेक्टर द्वारा जारी किए गए जारी नोटिस में उल्लेख किया गया है कि जनपद भिंड और अटेर में वर्ष 2020-21 एवं उसके पूर्व के 2021-22 के लंबित सामग्री भुगतान में फीफी (एफआईएफओ) का पालन नहीं किया गया है। इसीप्रकार से वर्ष 2022-23 के प्राथमिकता क्रम में अमृत सरोवर के भुगतान किए जाने थे। भिंड जनपद में 10 अमृत सरोवर में से सिर्फ एक सरोवर का भुगतान किया गया। वहीं अटेर जनपद में 15 अमृत सरोवर में किसी का भी भुगतान नहीं किया गया। रौन जनपद में सात अमृत सरोवर में से सिर्फ तीन सरोवरों का भुगतान किया गया। वहीं दो लाख रुपए की लागत वाले अपूर्ण कार्याें को अधिक से अधिक संख्या में पूर्ण किए जाने के लिए भुगतान किया जाना था। लेकिन रौन जनपद में 10 लाख से 25 लाख रुपए तक की लागत वाले कार्याें का भुगतान किया गया। कुछ यही स्थिति भिंड और अटेर जनपद में रही है। यह पूरी गड़बड़ी जिलास्तरीय गठित दल के द्वारा की गई जांच में सामने आई है।